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झूलन गोस्वामी भारतीय क्रिकेट की सबसे तेज महिला गेंदबाज

👤 admin 4 | Updated on:22 May 2017 6:00 PM GMT

झूलन गोस्वामी  भारतीय क्रिकेट की सबसे तेज महिला गेंदबाज

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सारिम अन्ना

दसवें इंडियन फ्रीमियर लीग (आईपीएल) में महिला ािढकेट की पूर्व व कुछ वर्तमान खिलाड़ियों को फ्रोत्साहन स्वरूप 25 लाख रूपये हर खिलाड़ी को ईनाम के रूप में दिए गए। आमतौर पर हमारे देश में महिला ािढकेट को कोई महत्व नहीं दिया जाता है न ािढकेट फ्रशासन द्वारा और न ही मीडिया द्वारा। यही कारण है कि अक्सर यह तक मालूम नहीं होता कि कौन-कौन लड़की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का फ्रतिनिधित्व कर रही है। लेकिन यह जुझारू लड़कियां अपने परिश्रम, लगन व शानदार फ्रदर्शन से अपनी ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर ही लेती हैं, उन्हें नजरंदाज करना क"िन हो जाता है। अब ऐसा ही न भूल पाने वाला कारनामा भारत की सबसे सफल तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी ने कर दिखाया है।

पॉटशेफस्ट्रूम (दक्षिण अफ्रीका) में चल रही चार देशों की एक दिवसीय श्रंखला में जब झूलन गोस्वामी ने अपनी शानदार तेज व स्विंग गेंदबाजी से दक्षिण अफ्रीका की नदीन डी क्लर्क, मसाबता क्लास और रैसिबे नतोजख को वापस पवेलियन भेजा तो वह महिला एक दिवसीय ािढकेट के इतिहास में सबसे अधिक विकेट लेने वाली खिलाड़ी बन गईं। उन्होंने रिटायर हो चुकी ऑस्ट्रेलिया की तेज गेंदबाज कैथरीन फिट्जपैट्रिक के 180 विकेट का विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया।

34 साल की झूलन गोस्वामी के पास (इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक) 153 मैचों में 21.76 की औसत से 181 विकेट हैं, और इससे भी अधिक उनकी किफायती दर वाली गेंदबाजी है कि फ्रति ओवर उन्होंने मात्र 3.18 रन ही दिए हैं। इसके अतिरिक्त झूलन गोस्वामी ने दस टेस्ट मैचों में 40 विकेट लिए हैं और टी 20 में 50 विकेट लिए हैं। इस फ्रकार 271 अंतरराष्ट्रीय विकेट लेकर वह विश्व महिला ािढकेट में आज तक की सबसे अधिक विकेट लेने वाली खिलाड़ी हैं। टेस्ट मैच में उनका सबसे अच्छा फ्रदर्शन 2006 की इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट श्रंखला में था जब लीसेस्टर में उन्होंने मैच में 78 रन देकर 10 विकेट लिए थे और उनकी बदौलत भारत ने पहली बार इंग्लैंड को उसी की धरती पर पराजित किया था।

जहां तक उस मैच की बात है जिसमें झूलन गोस्वामी ने एक दिवसीय विकटों का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया तो दक्षिण अफ्रीका 6 विकेट खोकर 113 रन बना चुकी थी कि तभी झूलन गोस्वामी को गेंदबाजी का अवसर दिया गया, उन्होंने जल्दी-जल्दी 3 विकेट झटके और दक्षिण अफ्रीका मात्र 119 रन पर आउट हो गई। भारत ने तीन विकेट के नुकसान पर लक्ष्य को पार कर लिया, जिसमें कप्तान मिथाली राज के 51 नाबाद रन का शानदार योगदान था। इससे पहले भारत ने आयरलैंड को 10 विकेट से पराजित किया था, इसमें भी झूलन गोस्वामी ने एक महत्वपूर्ण विकेट चटकाया था।

भारत की पूर्व कप्तान झूलन गोस्वामी इस साल फरवरी में कंधे की चोट के कारण विश्व कप क्वालीफाइंग फ्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकी थीं, लेकिन अपने हाल के फ्रदर्शन से वह साबित कर रहीं हैं कि अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। पदमश्री से सम्मानित झूलन गोस्वामी वर्तमान में आईसीसी की महिला गेंदबाजों की एक दिवसीय रैंकिंग सूची में तीसरे स्थान पर हैं।

पश्चिम बंगाल के जिला नाडिया में चकदह की रहने वाली झूलन गोस्वामी ने भारत की सीनियर महिला ािढकेट टीम में 2002 में फ्रवेश किया था और तब से वह उसका नियमित हिस्सा हैं और निरंतर अच्छा फ्रदर्शन करती आ रही हैं। इसलिए उन्हें न केवल अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया बल्कि 2007 में वह आईसीसी वीमेन ािढकेटर ऑफ द इयर भी रहीं।

बहरहाल, पॉटशेफस्ट्रूम (दक्षिण अफ्रीका) में जब चार देशों की श्रं=खला में झूलन गोस्वामी ने दक्षिण अफ्रीका की रैसिबे नतोजख के खिलाफ पगबाधा की सफल अपील की तो वह इतना ही ऐतिहासिक था जितना कि 1987 के अहमदाबाद टेस्ट में पाकिस्तानी स्पिनर एजाज फकीह की गेंद पर सुनील गावस्कर का लेट कट। दोनों ही रिकॉर्ड स्थापित करने वाले पल थे। ऐसे पल जो पहले कभी ािढकेट इतिहास में देखे नहीं गए थे। झूलन गोस्वामी से पहले किसी महिला ने एक दिवसीय में 181 विकेट नहीं लिए थे और सुनील गावस्कर से पहले किसी पुरुष बल्लेबाज ने टेस्ट ािढकेट में 10,000 रन नहीं बनाये थे, बल्कि इतने रनों के बारे में उस समय तक किसी ने सोचा तक नहीं था। लेकिन जिन अवरोधों को झूलन गोस्वामी को पार करना पड़ा वह सुनील गावस्कर की तुलना में कहीं अधिक पहाड़ जैसी थीं, खासकर इसलिए की झूलन गोस्वामी लिंग भेदभाव में डूबी पितृसत्तात्मक व्यवस्था के खिलाफ भी संघर्ष कर रही हैं। अगर महिला ािढकेट के संदर्भ में देखा जाये, जिसमें बहुत सीमित अवसर मिलते हैं या एक महिला तेज गेंदबाज के महान होने के दावे को सेक्सिस्ट निंदा से देखा जाता है, तो झूलन गोस्वामी की उपलब्धि आश्चर्यजनक है।

झूलन गोस्वामी का नाडिया से विश्व की सबसे सफल महिला गेंदबाज बनने का सफर निश्चित रूप से फ्रेरणादायक कहानी है। किसी भी महिला ािढकेटर के लिए अंतरराष्ट्रीय कैलंडर में अपने को फ्रेरित रखना व अपने खेल को चरम पर रखना आसान नहीं है क्योंकि कैलंडर में मैचों की तुलना में गैप्स अधिक होते हैं। 2002 में अपना पहला एक दिवसीय मैच खेलने के बाद से झूलन गोस्वामी ने अब तक मात्र 153 मैच खेले हैं, जबकि 2004 में अपना पहला मैच खेलने वाले महेंद्र सिंह धोनी 286 मैचों में देश का फ्रतिनिधत्व कर चुके हैं। महिला अंतरराष्ट्रीय कैलंडर में टेस्ट मैच दुर्लभ होते जा रहे हैं और भारतीय ािढकेट नियंत्रण बोर्ड की वरीयता पुरुष ािढकेट टीम है, फलस्वरूप भारतीय महिला ािढकेटरों को बड़े मंच पर अपने को साबित करने के कम ही अवसर मिलते हैं।

बोर्ड ने निश्चितरूप से महिला ािढकेट के उत्थान व पहचान में सहयोग किया है, लेकिन बहुत ही सुस्त रफ्तार व कमी के साथ। 2015 से बोर्ड महिला टीम को भी केन्द्राrय कॉन्ट्रैक्ट दे रहा है और इस वर्ष सुफ्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त फ्रशासन समिति के कारण उसने पूर्व भारतीय कप्तान शांता रंगास्वामी को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी सम्मानित किया। यह अपने में उपलब्धि है उस खेल के लिए जो 21 वीं शताब्दी के मोड़ पर भी किसी अन्य खेल संघ की तुलना में खिलाड़ियों के अपने दम व फ्रयास पर ही निर्भर था। अगर हाल के वर्षों में भारतीय महिला ािढकेट ने अपने लिए कोई स्थान बनाया है तो वह झूलन गोस्वामी और उनकी टीम की अन्य खिलाड़ियों जैसे कप्तान मिथाली राज की बदौलत ही है, उन्होंने ही निर्णायक भूमिका अदा की है। झूलन गोस्वामी ने इनका नेतृत्व किया है।

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