Home » उत्तराखंड » करोड़ों की प्लोटिंग मरीना टिहरी झील में डूबी

करोड़ों की प्लोटिंग मरीना टिहरी झील में डूबी

👤 Veer Arjun Desk 3 | Updated on:7 May 2019 3:00 PM GMT
Share Post


टिहरी, वीर अर्जुन संवाददाता। लापरवाही और बदइंतजामी की वजह से झील में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ढाई करोड़ की लागत से बनाई गई मरीना रेस्तरां बोट टिहरी झील में डूब गई है। इसी बोट में पिछले साल राज्य कैबिनेट की बैठक हुई थी और इसी में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट '13 जिले, 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन' के लिए 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन का ऐलान किया था। खुद टिहरी झील उनमें से एक है। टिहरी बांध और टिहरी झील उत्तराखंड के लोगों के साथ किए जा रहे आधे-अधूरे प्रयोगों की प्रयोगशाला बन गए हैं। टिहरी झील में पर्यटकों को लुभाने के लिए पर्यटन विभाग ने झील किनारे करोड़ों की योजनाएं बनाई है। ढाई करोड़ की लागत से बनी फ्लोटिंग मरीना और बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर के लोगों की आवाजाही के लिए दो करोड़ 17 लाख की लागत से तैयार बार्ज बोट पिछले चार साल से झील किनारे संचालन की राह ताक रही है। पीपीपी मोड पर फ्लोटिंग मरीना और बार्ज बोट का संचालन होना था, लेकिन पर्यटन विभाग को दोनों योजनाओं के संचालन शुरू करने के लिए प्राइवेट पार्टनर नहीं मिल पा रहा है। कोटी कॉलोनी में झील किनारे खड़े फ्लोटिंग मरीना का एक हिस्सा मंगलवार सुबह टेढ़ा होकर पानी के अंदर समा गया था। मरीना के टेढ़ा होने की जानकारी मिलते ही पर्यटन विभाग और टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन प्राधिकरण के अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए। मौके पर पहुंचकर विभागीय अधिकारियों ने डूबे मरीना को खींचकर सुरक्षित स्थान पर खड़ा किया। टिहरी बांध को लेकर लगातार विवाद होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने बड़े बांध बनाने से तौबा कर ली थी। उसके बाद टिहरी में झील को लेकर प्रयोग शुरु हुए। टिहरी झील को पर्यटक आकर्षण बनाने के लिए करीब चार साल पहले कांग्रेस सरकार ने टिहरी लेक फेस्टिवल शुरू किया था। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने और पर्यटन से आमदनी बढ़ने की उम्मीद थी। टिहरी में पर्यटकों की संख्या तो बढ़ी लेकिन झील के पास पार्किंग, शौचालय, सफाई और खाने-पीने का ठीक सा इंतजाम अब तक नहीं हो पाया है। .पर्यटन विभाग की लापरवाही और गैरजिम्मेदारी का प्रतीक बन गई मरीना बोट, जो शुभारम्भ के बाद से ही टिहरी झील के किनारे जंग खा रही थी। स्थानीय बोट व्यवसाई इसके संचालन की मांग कर थे लेकिन पर्यटन विभाग शायद चाहता ही नहीं था कि यह चले। चाहता तो ऐसा नहीं होता। त्रिवेंद्र सरकार टिहरी झील और दूसरे टूरिस्ट डेस्टिनेशन को लेकर कितनी संजीदा है यह बताने के लिए ही राज्य कैबिनेट की बैठक इस बोट में की गई थी। इस बोट के डूबने से एक बार फिर साफ हो गया कि सिर्फ अच्छे इरादे और बड़ी योजनाओं से कुछ नहीं होने वाला उन्हें जमीन पर ठीक से उतारने का सिस्टम भी तैयार करना होगा। वहीं, टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन प्राधिकरण के एसीईओ अजयवीर सिंह का कहना है कि झील का जलस्तर कम होने से मरीना का एक हिस्सा टेढ़ा होकर झील के अंदर डूब गया है। हो सकता है मरीना के अंदर पानी लीकेज होने से वह टेढ़ा होकर आधा हिस्सा झील में घुसा होगा। कितना नुकसान हुआ है यह तकनीकी विशेष ही बता सकते हैं।

Share it
Top