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केदारधाम यात्रा: समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना भारत को मंजूर नहीं: प्रधानमंत्री मोदी

👤 Veer Arjun | Updated on:5 Nov 2021 9:22 AM GMT

केदारधाम यात्रा: समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना भारत को मंजूर नहीं: प्रधानमंत्री मोदी

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केदारनाथ/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आज का भारत अपनी विरासत को लेकर आश्वस्त है और उसकी सफलता अब पुराने तरीकों से बंधी नहीं है। उन्होंने कहा कि देश आज अपने लिए कठिन लक्ष्य और समय सीमा को निर्धारित करता है। भारत को समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना मंजूर नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ में विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी और उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने आदिगुरु शंकराचार्य समाधि का उद्घाटन किया और आदिगुरु की दिव्य प्रतिमा का भी अनावरण किया। उन्होंने यहां चल रहे बुनियादी ढांचे के कार्यों की समीक्षा कर उसका निरीक्षण किया।

इससे पहले प्रधानमंत्री ने केदारनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। इस दौरान पूरे देश में 12 ज्योतिर्लिंगों, चार धामों के साथ आस्था के कई स्थानों पर पूजा-अर्चना की गई और समारोह आयोजित किए गये। इन सभी कार्यक्रमों को केदारनाथ धाम के मुख्य कार्यक्रम से जोड़ा गया।

इसके बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत की महान आध्यात्मिक ऋषि परंपरा का स्मरण किया और केदारनाथ धाम में आने पर अपनी अवर्णनीय खुशी व्यक्त की।

नौशेरा में सैनिकों के साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कल दीपावली पर उन्होंने 130 करोड़ भारतीयों की भावनाओं को सैनिकों तक पहुंचाया। आज गोवर्धन पूजा पर मैं सैनिकों और बाबा केदार की दिव्य भूमि पर उपस्थिति हूं।

प्रधानमंत्री ने रामचरितमानस के एक श्लोक का हवाला दिया- 'अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह' अर्थात् कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत हैं कि उन्हें शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। बाबा केदारनाथ की शरण में ऐसा ही अनुभव आता है। आगे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आश्रय, सुविधा केंद्र जैसी नई सुविधाएं यहां के पुजारियों और भक्तों के जीवन को आसान बनाएंगी और उन्हें तीर्थयात्रा के दिव्य अनुभव में पूरी तरह से डूबने की अनुमति देंगी।

2013 में केदारनाथ बाढ़ को याद कर भावुक हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वर्षों पहले बाढ़ से हुई क्षति अकल्पनीय थी। यहां आने वाले लोग सोचते थे कि क्या यह हमारा केदार धाम फिर खड़ा होगा? लेकिन मेरी अंतरात्मा कह रही थी कि वह पहले से कहीं अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान केदार की कृपा और आदि शंकराचार्य की प्रेरणा और भुज भूकंप के बाद के प्रबंधन के उनके अनुभव के कारण वे उस कठिन समय में मदद कर सके। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं, पुजारियों, पुजारियों के रावल परिवारों, अधिकारियों और मुख्यमंत्री को धाम में विकास कार्यों को अथक रूप से आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि वह स्वयं ड्रोन और अन्य तकनीकों के जरिए काम की निगरानी करते रहे।

आदि शंकराचार्य के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा कि शंकर का संस्कृत में अर्थ है- "शं करोति सः शंकरः" यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है। इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वे जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि एक समय था, जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था। लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को उसकी पूर्णता और समग्र तरीका में देखता है। आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आज हमारी आस्था के सांस्कृतिक केंद्रों को उसी गौरव भाव के साथ देखा जा रहा है, जैसा कि उन्हें देखा जाना चाहिए। आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है। अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा, अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा। भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज हम इसकी कल्पना कर सकते हैं।

अपने संबोधन के दौरान नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज का भारत अपनी विरासत को लेकर आश्वस्त है। उन्होंने कहा, "आज, देश अपने लिए कठिन लक्ष्य और समय की सीमा निर्धारित करता है। इस पर कुछ लोग कहते हैं कि इतने कम समय में यह सब कैसे होगा! होगा भी या नहीं होगा! तब मैं कहता हूं कि समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है।

स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के योगदान के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को भारत के गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित स्थानों और तीर्थ स्थलों की यात्रा करने और भारत की भावना से परिचित होने के लिए कहा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का है। उन्होंने बताया कि चारधाम हाई-वे को जोड़ने वाले चारधाम रोड प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। भविष्य में यहां केदारनाथ जी तक श्रद्धालु केवल कार के जरिए आकर दर्शन कर सकेंगे, इसके लिए यहां काम शुरू हो गया है।

उन्होंने आगे कहा कि यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं। हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है। उत्तराखंड के लोगों की अपार क्षमता और क्षमताओं में पूर्ण विश्वास को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार उत्तराखंड के विकास के 'महायज्ञ' में शामिल है।

प्रधानमंत्री ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उत्तराखंड द्वारा दिखाये गये अनुशासन की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भौगोलिक कठिनाइयों को पार करते हुए राज्य ने शत-प्रतिशत एकल खुराक का लक्ष्य हासिल कर लिया है। ये उत्तराखंड की ताकत और सामर्थ्य है। उन्होंने कहा, "उत्तराखंड बहुत ऊंचाई पर स्थित है। मेरा उत्तराखंड अपनी ऊंचाई से भी अधिक ऊंचाइयों को छुएगा"।

एजेंसी/(हि.स.)

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