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ग्राम रजवारा से डीएम ने की नशा मुक्ति अभियान की शुरूआत
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वीर अर्जुन संवाददाता
ललितपुर। जिलाधिकारी मानवेन्द सिंह की अध्यक्षता में ग्राम रजवारा में नशामुक्पि अभियान के तहत जन जागरूकता कार्यत्रढम का आयोजन किया गया। ग्राम रजवारा कच्ची शराब निर्माण के लिए पूरे जनपद में बदनाम है। जिस पर जिलाधिकारी ने आबकारी अधिकारी को निर्देश दिये थे कि नशा मुक्पि अभियान की शुरूआत ग्राम रजवारा से की जाये तथा इसमें महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जाये। जिलाधिकारी के उक्प निर्देश के त्रढम में आबकारी विभाग द्वारा आज यह कार्यत्रढम आयोजित किया गया। शुरूआत अतिथियों के स्वागत से हुयी, उसके उपरान्त उपस्थित कलाकारों ने बुन्देली लोकगीतों के माध्यम से लोगों को नशामुक्पि के महत्व के बारे में जागरूक किया। मद्य निशेध अधिकारी मनोज कुमार ने लोगों को शराब एवं अन्य नशों का सेवन करने वाले लोगों के लक्षणों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अकारण त्रढाsध, चिड़-चिड़ाहट व अत्यधिक तर्क-वितर्क करना, अचानक स्वास्थ्य में गिरावट आना, भूख न लगना, चाल व व्यवहार का असमान्य हो जाना आदि नशे का सेवन करने वालों के मुख्य लक्षण हैं। उन्होंने अध्यापकों एवं अभिभावकों से कहा कि वे किशोरावस्था के बालकों पर नजर रखें, जिससे शुरूआत में ही उनको इस दलदल में गिरने से बचाया जा सके। आबकारी अधिकारी एसपी पाण्डेय ने आसवनियों में निर्मित शराब तथा कच्ची शराब के अंतर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि वे कच्ची शराब का सेवन कदापि न करें क्योंकि यह सुरक्षित नहीं है। इसमें भारी मात्रा में एल्डिहाइड, कीटोन्स एवं अन्य हानिकारक कैमिकल्स पाये जाते हैं जो लीवर, किडनी को नुकसान पहुंचाकर सेवन करने वाले व्यक्पि की असामयिक मृत्यु का कारण बनते हैं। इसके उपरान्त सीओ सदर हिमान्शु गौरव ने कच्ची शराब बनाने वालों के खिलाप उठाये जाने वाले दण्डात्मक कदमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तर पदेश आबकारी संशोधन अध्यादेश 2017 द्वारा आबकारी अधिनियम की धाराओं में कड़े पावधान किये गये हैं। अवैध एवं विशाक्प मदिरा के अपराध को गैर जमानती बनाते हुए इन अपराधों के लिए आजीवन कारावास और मृत्यु दण्ड तक की सजा दी गयी है। सीएमओ डा.पताप सिंह ने उपस्थित जन समुदाय को बताया कि किस पकार मदिरा का सेवन उन्हें मृत्यु की ओर ले जाता है। बताया कि कच्ची शराब के सेवन से यकृत कोशिकायें पहले तो वसायुक्प (फैटी लीवर) हो जाती हैं और धीरे-धीरे यकृत कोशिकायें पाइवर में बदल जाती हैं, जिससे लीवर सिरोसिस की बीमारी उत्पन्न हो जाती है और कच्ची शराब का दूसरा पभाव गुर्दे फेल होने के रूप में देखा जाता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि अगर महिलायें ठान लें तो ग्राम रजवारा को कच्ची शराब की समस्या से मुक्प कराया जा सकता है। जिलाधिकारी का कहना था कि शराब के सेवन से होने वाले दुश्पभावों से सबसे ज्यादा महिलायें पभावित होती हैं। उन्हें शराबी पतियों के द्वारा विभिन्न पकार की घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है। मद्यपान से ग्रसित परिवार के बच्चों की परवरिश एवं विवाह में भी समस्यायें आती हैं। धीरे-धीरे उस परिवार को सामाजिक, आर्थिक तौर पर ऐसी चोट लगती है, जिससे वह परिवार कभी उबर नहीं पाता और अन्ततः विघटित हो जाता है। उन्हेंने जिला आबकारी अधिकारी को निर्देशित किया कि वे ग्राम में महिलाओं के एक समूह का गठन करें, जो शराबबंदी की दिशा में शासन पशासन का आगे बढ़कर सहयोग करे। उन्होंने ग्रामवासियों से कहा कि यदि वे कच्ची शराब निर्माण से सम्बंधित कोई भी सूचना देना चाहते हैं तो वे जिला आबकारी अधिकारी अथवा स्वयं मुझे दे सकते हैं। उनका नाम गुप्त रखा जायेगा। इस दौरान एक स्वयंसेवी संस्था के द्वारा स्लोगन लेखन तथा हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। संचालन डीआईओ पीयूश चन्द राय द्वारा किया गया। इस दौरान वीडीओ बिरधा सुनील कुमार, कोतवाली पभारी भरत पाण्डेय, आबकारी निरीक्षक संजीव कुमार तिवारी, आबकारी निरीक्षक अमित कुशवाहा सहित आबकारी विभाग के अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
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