कुशीनगर एयरपोर्ट के लिए रूस ने की आईएलएस की आपूर्ति, उड़ान की बाधा समाप्त होगी
कुशीनगर। प्रतिकूल मौसम में भी विमानों के निर्बाध एवं सुरक्षित उड़ान के लिए अंतर-राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर लगने वाले आईएलएस (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) की मशीनरी मंगलवार को सुबह रूस से कुशीनगर पहुंच गई। आईएलएस को इंस्टाल करने के लिए विशेषज्ञ की टीम भी आ गई है। एयरपोर्ट अधिकारियों की देख रहे में पार्ट्स को सुरक्षित तरीके से अनलोडिंग कराई गई। इंस्टाल करने में चार माह का समय लगने की बात कही जा रही है।
इंस्टालेशन के बाद एयरपोर्ट अंतर-राष्ट्रीय मानक पूरा कर लेगा। जिसके बाद नियमित घरेलू उड़ान के साथ साथ अंतर-राष्ट्रीय उड़ान में कोई बाधा शेष नहीं रह जायेगी और ग्रेडिंग अपग्रेड होने से एयरपोर्ट अंतर-राष्ट्रीय मानचित्र पर आ जाएगा। एयरपोर्ट पर रात और कोहरे में भी विमान लैंड और टेक आफ कर सकेंगे। दरअसल एयरपोर्ट पर ग्राउंड नेवीगेशनल सिस्टम आईएलएस और डीबीओआर (डापलर वेरी ओमनी रेंज) लगा न होने से नियमित उड़ान से घरेलू विमानन कंपनियां रुचि नहीं ले रही थी। आईएलएस विमानों के आटो मोड में लैंडिंग और टेक आफ कराता है तो दूसरी तरफ डीबीओआर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (एटीसी) और पायलट को टेकआफ से लैंडिंग तक कम्युनिकेशन बनाए रखता है। डीबीओआर इंस्टाल होने के बाद मार्च माह में फ्लाइट इंस्पेक्शन यूनिट ने फ्लाइट कैलिब्रेशन का भी कार्य पूरा कर लिया।
अप्रैल 23 में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एयरपोर्ट पर आईएलएस व डीबीओआर की स्थापना के लिए 5.75 करोड़ की निविदा की थी। चयनित कम्पनी को कार्य पूर्ण करने के लिए चार माह का समय दिया गया है। किंतु निर्यात के लिए हो रही अंतर-राष्ट्रीय औपचारिकता में समय लगा। जिससे सिस्टम की आपूर्ति देरी से हुई।
एयरपोर्ट निदेशक आर पी लंका ने बताया कि एयरपोर्ट पर सुरक्षित विमान संचालन सुनिश्चित करने के सर्वोपरि उद्देश्य को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक ग्राउंड नेविगेशनल सिस्टम स्थापित करने का कार्य चल रहा है। आईएलएस के एक्यूपमेंट की आपूर्ति आ गई है। अगस्त माह तक सभी कार्य पूरे हो जायेंगे। उड़ान के लिए घरेलू विमानन कंपनियों से बात चल रही है।