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राष्ट्रीय सुरक्षा, संकल्प और समझौता

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:10 Oct 2018 5:52 PM GMT
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डां. दिलीप अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित किया कि उनके लिए राष्ट्रीय हित और सुरक्षा सर्वोच्च है। इसके लिए देश के भीतर कांग्रेस और बाहर अमेरिका का विरोध उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने रूस के साथ रक्षा सौदे को अंजाम तक पहुंचाया। अमेरिका ने इस समझौते को रोकने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। कांग्रेस राफेल की तरह इस पर भी चोर चोर चिल्ला सकती है। लेकिन मोदी अविचलित भाव से आगे बढ़ते रहते है। उनकी दृढ़ता से विदेश नीति के क्षेत्र में नया अध्याय जुड़ा। अमेरिका के लगातार विरोध को मोदी को दरकिनार किया। जिसके चलते रूस के साथ सामरिक समझौता संभव हो सका।

शीतयुद्ध की बात अलग थी। उस समय भारत खुलकर सोवियत संघ के साथ था। उस दौर से तुलना नहीं कि जा सकती। शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद विश्व के हालात पूरी तरह बदल गए थे। मनमोहन सिंह के समय विदेश नीति अमेरिका की तरफ झुकी थी। उसके साथ परमाणु करार ही तब एकमात्र ड्रीम प्रोजेक्ट था। इसका परिणाम यह हुआ कि रूस का झुकाव चीन और पाकिस्तान की तरफ होने लगा था।

नरेंद्र मोदी ने इस ओर ध्यान दिया। अमेरिका और रूस के साथ मित्रता में संतुलन बनाया। अमेरिका से भी बेहतर रिश्ते बनाये, इसी के साथ रूस को भी दूर नहीं जाने दिया। लेकिन अपनी दृढ़ता बनाये रखी। प्रधानमंत्री बनने के साथ ही मोदी ने कहा था कि किसी देश के साथ आंख झुकाकर नहीं आँख मिलाकर बात की जाएगी। रूस के साथ यह समझौते से मोदी ने यह साबित कर दिया।

नरेंद्र मोदी ने संकल्प शक्ति दिखाई तो अमेरिका को भी अपना नजरिया बदलना पड़ा। जो अमेरिका कल तक इस रक्षा सौदे के विरोध में था, उसके स्वर नरम पड़ गए। अमेरिकी दूतावास ने बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि सहयोगी देशों की सैन्य क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना उसका उद्देश्य नहीं है। रूस के विरुद्ध प्रतिबंध लगाने का यह मतलब भी नहीं था। जाहिर है कि अमेरिका ने एक दोस्त की तरह भारत की चिंताओं को समझा है। अमेरिका ने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट के अन्तर्गत रूस से रक्षा खरीद को प्रतिबंधित कर दिया था। यह प्रतिबंधित रूस के ाढाrमिया पर कब्जे और अमेरिकी चुनाव में रूसी हस्तक्षेप के मद्देनजर लगाया गया था। काटसा के तहत अमेरिका उन देशों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगा जो रूस से रक्षा सामग्री या खुफिया सूचनाओं का लेन-देन करते हैं। भारत ने रूस के साथ व्यापार, निवेश, नाभिकीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, अंतरिक्ष आदि क्षेत्रों पर भारत और रूस के सम्बन्धों का विस्तार होगा। इसके अलावा दोनों देशों के बीच रूबल रुपया डील, हाइ स्पीड रशियन ट्रेन, टैंक रिकवरी वीइकल, रोड बिल्डिंग इन इंडिया, ऑपरेशन ऑन रेलवे, सर्फेस रेलवे ऐंड मेट्रो रेल पर भी बात हुई। दोनों देशों ने आतंकवाद, अफगानिस्तान ऐंड इंडो पेसेफिक इवेंट, क्लाइमेट चेंज के साथ एससीओ, ब्रिक्स, जी ट्वेंटी और असियान जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। एस फोर हंड्रेड का सर्वाधिक आधुनिक लंबी दूरी वाला एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। यह दुश्मन के कूज, एयरकाफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है।

वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने एस फोर हंड्रेड को भारतीय वायुसेना के लिए एक बूस्टर शॉट बताया है। भारत को पड़ोसी देशों के खतरे से निपटने के लिए इसकी बहुत जरूरत थी, लेकिन पिछली सरकार इसके प्रति गंभीर नहीं थी। दोनों देशों के बीच स्पेस में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर भी करार हुआ है। इस डील के तहत साइबेरिया में रूसी शहर के पास भारत निगरानी स्टेशन बनाएगा।

भारत की ओर से दो हजार बाइस में चांद में मानव को भेजने के मिशन के ऐलान के बाद यह करार महत्वपूर्ण होगा। एस फोर हंड्रेड मिसाइल के अलावा दो अरब डॉलर के अन्य समझौते भी अंजाम तक पहुंचाए जायेगें। इनमें अकुला क्लास की परमाणु शक्ति संपन्न हमलावर पनडुब्बी की लीज, कृवाक के चार युद्धपोत के दो सौ से ज्यादा केए टू ट्वेंटी ऊचालाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर, जो हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ संयुक्त उद्यम में रशियन हेलिकॉपटर द्वारा बनाए जाने हैं। इसके अलावा, भारतीय सेना के लिए छह लाख से ज्यादा एके वन जीरो थ्री असॉल्ट राइफलों के निर्माण के लाइसेंस के लिए सरकार से सरकार के बीच एक सौदे पर भी बातचीत होगी। इसके बाद नंबर आता है दो आइएल-अठहत्तर विमान, एसयू-थर्टी विमान भी लाये जा सकते है।

दोनों देशों के बीच व्यापार इस वर्ष बीस प्रतिशत बढ़ा है। प्रधानमंत्री ने रूस को भारत में रक्षा औद्योगिक पार्प स्थापित करने तथा परंपरागत रिश्तों को आगे ले जाने का न्यौता देते हुए कहा कि भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में एक खुली अर्थव्यवस्था है। भारत और रूस के साझा बयान में आतंकवाद के विरुद्ध साझा प्रयास करने का संकल्प दिखाया गया। कुछ दिन पहले तक पाकिस्तान अपने को रूस के करीब मान रहा था। लेकिन पुतिन ने यह गलतफहमी दूर कर दी। साझा बयान में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का परोक्ष रूप से उल्लेख किया गया। सीमापार के आतंकवाद और आतंकियों को पनाह देने की निंदा की गई। नरेन्द्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन के बीच उन्नीसवें भारत रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने आतंकवादी नेटवर्प को समाप्त करने के साथ उनके वित्त पोषण के स्रोत, हथियारों एवं लड़ाकों की आपूर्ति लाइन, आतंकी विचारधारा एवं दुष्प्रचार तंत्र को समाप्त करने की दिशा में मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की। संयुक्त बयान में सीमापार आतंकवाद को खारिज करते हुए कड़ा बयान ऐसे समय में महत्वपूर्ण माना जा रहा है जब भारत के घनिष्ट मित्र रूस के संबंध पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान के साथ बेहतर होने की खबरें आ रही थी। भारत-रूस ः बदलते विश्व में टिकाऊ गठजोड़ शीर्षक से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों को खारिज किया और बिना किसी दोहरे मानदंड के अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से मुकाबला करने में निर्णायक एवं सामूहिक प्रतिकिया की जरूरत पर जोर दिया।

जाहिर है कि यह समझौता केवल भारतीय वायु सेना को मजबूत नहीं बनाएगा, बल्कि इसने राष्ट्रीय स्वाभिमान को बढ़ाया है। अमेरिका से भारत के रिश्ते अच्छे है, लेकिन इसके लिए कोई शर्तें नहीं हो सकती। सुरक्षा के लिए भारत की सैन्य जरूरतों को पूरा करना अपरिहार्य है। इसके लिए भारत जो भी उचित समझेगा, वह निर्णय करेगा। अमेरिका और रूस के बीच संबन्ध इसमें बाधक नहीं बन सकते। इसमें संदेह नहीं कि भारत की दृढ़ता से रूस के साथ सामरिक समझौता हो सका।

(लेखक विद्यान्त हिन्दू पीजी कॉलेज में राजनीति के एसोसिएट पोफेसर हैं।)

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