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रिकॉर्डों का दूसरा नाम महेन्द्र सिंह धोनी

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:1 Feb 2019 3:21 PM GMT
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योगेश कुमार गोयल

भारतीय क्रिकेट टीम इन दिनों न्यूजीलैंड दौरे पर है, जहां शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम इंडिया ने नेपियर में पहला वनडे 8 विकेट से जीतने के बाद 26 जनवरी को खेले गए दूसरे वनडे में चैंपियन की भांति प्रदर्शन कर बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों ही क्षेत्रों में न्यूजीलैंड को पछाड़कर उसे 90 रनों से पराजित कर दिया। धोनी इस मैच में 48 रनों की शानदार पारी के साथ नॉट आउट रहे।

28 जनवरी के मैच में हालांकि नहीं खेल सके किन्तु टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को 7 विकेट से हराकर 3-0 की बढ़त के साथ 10 वर्षों बाद न्यूजीलैंड की सरजमीं पर पांच मैचों की सीरीज अपने नाम कर ली। दस साल पहले धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड में पहली बार यह सीरीज जीती थी और इतने लंबे अंतराल बाद भारतीय टीम ने अब यह करिश्मा कर दिखाया है। कुछ ही दिनों पहले टीम इंडिया का आस्ट्रेलिया का दौरा भी ऐतिहासिक रहा था क्योंकि आस्ट्रेलिया में उसने टी-20, टेस्ट तथा वनडे में से किसी भी सीरीज में हार का सामना नहीं किया। टी-20 सीरीज 1-1 से ड्रा हुई थी जबकि टेस्ट तथा वनडे में 2-1 से जीत मिली। भारत को आस्ट्रेलिया में मिली जीत ऐतिहासिक इसलिए मानी गई क्योंकि वहां के मैदान पर टीम इंडिया द्विपक्षीय वनडे सीरीज कभी नहीं जीत सकी थी। टीम इंडिया ने इससे पहले इसी प्रारूप में आस्ट्रेलिया में 1985 में वर्ल्ड चैंपियनशिप तथा 2008 में सीबी सीरीज जीती थी।

आस्ट्रेलिया में भारत को मिली ऐतिहासिक जीत का बहुत बड़ा श्रेय टीम इंडिया की जान माने जाते रहे महेन्द्र सिंह धोनी को जाता है, जिन्होंने एडिलेड वनडे में 54 गेंदों पर 55 रनों की शानदार विनिंग पारी खेलकर अपने कैरियर के उस मोड़ पर सभी खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया, जब फिटनेस और बढ़ती उम्र को लेकर उनकी आलोचनाएं हो रही थी। धोनी ने पुरानी लय हासिल करते हुए अपने बल्ले की दहाड़ से साबित कर दिखाया कि वे जब तक चाहें, क्रिकेट खेल सकते हैं। सच यही है कि जब-जब धोनी की रिटायरमेंट को लेकर चर्चाएं शुरू हुई, धोनी हर बार एक नए अवतार में सामने आए हैं और अब उन्होंने इस मिथक को भी तोड़ डाला है कि एक उम्र के बाद खिलाडियों को खेल से संन्यास ले लेना चाहिए।

आस्ट्रेलिया की ऐतिहासिक जीत से धोनी ने उन आलोचकों के मुंह भी बंद कर दिए, जो आस्ट्रेलिया दौरे के पहले धोनी की जमकर आलोचना करते हुए कह रहे थे कि धोनी अब थक चुके हैं और उन्हें अब संन्यास ले लेना चाहिए। हालांकि सुनील गावस्कर सरीखे क्रिकेट के कुछ दिग्गजों का कहना था कि धोनी को अभी स्वाभाविक खेल खेलने देना चाहिए क्योंकि उनके अंदर अभी काफी क्रिकेट बची है। धोनी ने आस्ट्रेलियाई सरजमीं पर दशकों बाद टीम इंडिया के तारणहार बनते हुए टेस्ट और एकदिवसीय दोनों श्रृंखलाएं जितवाकर साबित कर दिया कि उनमें कितना क्रिकेट बाकी है और टीम इंडिया को अभी उनकी कितनी जरूरत है।

वैसे धोनी को टीम इंडिया के लिए अकसर जिताऊ पारी खेलने वाले क्रिकेटर के रूप में भी जाना जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि मैच के दौरान मैदान में उनकी मौजूदगी ही खिलाड़ियों का हौंसला बढ़ाने के लिए काफी होती है और अकसर मैदान में खिलाड़ियों को दिए जाने वाले उनके टिप्स कई बार बाजी पलटने में भी सहायक सिद्ध होते हैं। उनका रिकॉर्ड एक कप्तान, बल्लेबाज, विकेटकीपर सभी रूपों में बेहतरीन रहा है और सभी मोर्चों पर वह सफल साबित हुए हैं। धोनी ने हमारे युवा खिलाड़ियों को सिखाया कि कैसे खेलना चाहिए।

धोनी के बारे में अकसर कहा जाता है कि जब वो मैदान पर होते हैं तो रिकॉर्ड बरसते हैं। धोनी के नाम अब तक अनेक रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं बल्कि अगर कहा जाए कि रिकॉर्डों का दूसरा नाम ही महेन्द्र सिंह धोनी हो गया है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। कुछ ही समय पहले एशिया कप के दौरान धोनी 200 वनडे मैचों में कप्तानी करने वाले पहले भारतीय कप्तान बन गए थे, जिनकी अगुवाई में खेले गए इन 200 वनडे मैचों में से भारत ने 110 में जीत हासिल की थी। इसी महीने के आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान धोनी ने 22 मैचों के लंबे अंतराल के बाद अपना अर्द्धशतक लगाया और पहले ही मैच में पहला रन बटोरते ही एकदिवसीय मैचों में अपने एक हजार रन भी पूरे कर लिए। ऐसा करने वाले वे सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ तथा विराट कोहली के बाद भारत के पांचवें बल्लेबाज बन गए। धोनी ने अपना पिछला अर्द्धशतक श्रीलंका के खिलाफ दिसम्बर 2017 में धर्मशाला में लगाया था और एक साल से अधिक अंतराल के बाद आस्ट्रेलिया में खेले गए मैचों में लगातार तीन अर्द्धशतक लगाकर तीन मैचों में 193 रन बटोरकर वह टॉप स्कोरर रहे और टीम इंडिया के लिए उनके रनों का आंकड़ा भी 10 हजार को पार गया। आस्ट्रेलिया की धरती पर ही वो अब तक 1053 रन बना चुके हैं।

तीसरे वनडे में आस्ट्रेलिया के शान मार्श को 39 रनों के व्यक्तिगत स्कोर पर स्टंप आउट करते हुए धोनी आस्ट्रेलिया के खिलाफ सर्वाधिक 17 स्टंप आउट करने वाले विकेटकीपर भी बन गए। शान मार्श ने उससे पिछले ही मैच में शतक जमाया था। वैसे इंग्लैंड तथा श्रीलंका के खिलाफ भी सर्वाधिक स्टंप आउट करने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है। इंग्लैंड के खिलाफ वह 16 जबकि श्रीलंका के खिलाफ 24 स्टंप आउट कर चुके हैं। इसी प्रकार वनडे में सर्वाधिक 117 स्टंपिंग तथा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक 187 स्टंपिंग का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है।

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