Home » द्रष्टीकोण » स्वयं हित की बजाय देशहित को तरजीह दे बीसीसीआई

स्वयं हित की बजाय देशहित को तरजीह दे बीसीसीआई

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:24 Feb 2019 3:56 PM GMT

स्वयं हित की बजाय देशहित को तरजीह दे बीसीसीआई

Share Post

आदित्य

पिछले दिनों पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद से ही पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त रोष का माहौल है। ऐसे में क्रिकेट का वर्ल्ड कप भी इससे अछूता नहीं रह गया है। कुछ लोगों को यदि छोड़ दिया जाए तो अधिकांश लोग इस बात के सख्त खिलाफ हैं कि भारत वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के साथ कोई भी मैच खेले। चूंकि वर्ल्ड कप सिर्प तीन महीने दूर हैं ऐसे में बीसीसीआई पर इस मामले में जल्द कोई फैसला लेने का दबाव बढ़ गया है। इसी के चलते शुक्रवार को बीसीसीआई और सीओए के बीच वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के साथ मैच खेलने को लेकर एक लंबी मीटिंग हुई। इस मीटिंग में पाकिस्तान के साथ मैच खेला जाए या नहीं, इस बात का फैसला सरकार पर छोड़ दिया गया। सीओए के प्रमुख विनोद राय ने कहा कि सरकार जो भी फैसला लेगी उसे बीसीसीआई मानेगी। इस तरह गेंद केंद्र के पाले में डाल दी गई। लेकिन यहां सिर्प एक मैच खेलने या न खेलने का सवाल नहीं है। सवाल यह भी है कि जो बीसीसीआई खुद को ऑटोनामस बॉडी (स्वायत्तशासी संस्था) बताती हो वह स्पष्ट फैसला लेने से कतरा क्यों रही है। क्या पैसा दिशहित से ऊपर है। दुनिया के सबसे अमीर और शक्तिशाली क्रिकेट बोर्ड को चाहिए था कि वो भ्रम की स्थिति से बाहर निकल कर पाकिस्तान के साथ होने वाले मैच का न केवल बहिष्कार करे अपितु पाकिस्तान को आईसीसी से बाहर निकलवाने के लिए भी ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दे। इस माहौल में पाकिस्तान के साथ मैच खेलना आत्मघाती सिद्ध हो सकता है क्योंकि पाकिस्तान के साथ जब मैच खेलने के दौरान दोनों देशों की टीमों के खिलाड़ी हाथ मिलाएंगे तो दुनिया को यह संदेश जाएगा कि भारत खुद ही पाकिस्तान से बदला लेने के मामले में गंभीर नहीं है। इस मामले में बॉलीवुड ने पाक कलाकारों के बहिष्कार की घोषणा करके एक उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है। बॉलीवुड की तरह ही बीसीसीआई को भी चाहिए था कि वो देश के अधिकांश लोगों की भावनाओं के साथ खुद को स्पष्ट रूप से जोड़ता। हालांकि कुछ लोगों के विचार मैच खेलने के पक्ष में आज भी दिखाई देते हैं। इनमें कांग्रेस के शशि थरूर, राजीव शुक्ला तथा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तेजस्वी यादव जैसे लोग शामिल हैं। पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा पाक को वैश्विक मंचों पर अलग-थलग करने की कोशिशों के बीच थरूर ने पाक के साथ विश्व कप में नहीं खेलने को सरेंडर से भी बुरा बताते हुए कहा है कि यह बिना लड़े हार जाने जैसा होगा। उनका तर्प है कि 1999 में कारगिल युद्ध के समय भी भारत ने वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेला था और जीत हासिल की थी। इसी तरह बीसीसीआई के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा है कि यदि पाकिस्तान से क्रिकेट मैच खेलने पर प्रतिबंध लगाना है तो दूसरे खेलों पर भी प्रतिबंध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई की पॉलिसी है कि सरकार की अनुमति से ही द्विपक्षीय मैच खेले जा सकते हैं। केंद्र ने सिर्प आईसीसी के मैच खेलने की अनुमति ही बीसीसीआई को दे रखी है। शुक्ला शायद यह भूल रहे हैं कि पुलवामा हमले से उपजे विशेष हालात में ही यह मांग उठाई जा रही है। झारखंड के लिए रणजी और आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेल चुके राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने भी थरूर के सुर में सुर मिलाते हुए कहा है कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच न खेलने की मांग सही नहीं है। उन्होंने कहा कि हम पुलवामा हमले की कड़ी निन्दा करते हैं और चाहते हैं कि इसका जवाब दिया जाए लेकिन यह उचित नहीं है कि दो देश इसकी वजह से एक साथ नहीं खेल सकते। बेहतर होता कि तेजस्वी देश को स्पष्ट रूप से यह समझाते कि पाकिस्तान के साथ मैच खेलने के साथ-साथ पुलवामा हमले का जवाब कैसे दिया जाए। फिलहाल तो पूरे देश की निगाहें बीसीसीआई पर टिकी हैं। देश देखना चाहता है कि बीसीसीआई किस सीमा तक अपने आर्थिक हितों की कुर्बानी देकर देशहित को तरजीह देती है। पाकिस्तान को सही सबक तभी सिखाया जा सकता है जब पूरे देश में एकजुटता हो। उम्मीद है कि बीसीसीआई इसी तथ्य को ध्यान में रखकर फैसले करेगी।

Share it
Top