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देशवासी बेचैनöराम मंदिर के निर्माण में देर क्यों?

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:9 Jun 2019 3:38 PM GMT

देशवासी बेचैनöराम मंदिर के निर्माण में देर क्यों?

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आदित्य नरेन्द्र

दशकों से अदालती निर्णय का इंतजार करते हुए राम मंदिर मुद्दा अब एक बार फिर सुर्खियां बटोरता हुआ सा लग रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की पहले से भी बड़ी जीत ने इस मांग को और भी मजबूती दी है। बड़ी संख्या में लोग यह चाहते हैं कि मोदी सरकार अपने बहुमत का इस्तेमाल अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए करे जबकि भाजपा की इस सरकार का रुख साफ है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए। उधर सुप्रीम कोर्ट भी आउट ऑफ द बॉक्स जाकर इस मामले को हल करने का प्रयत्न कर रहा है। इसी कोशिश के चलते उसने आठ मार्च के अपने फैसले में इस मामले में मध्यस्थता को मंजूरी देते हुए तीन मध्यस्तों की नियुक्ति की थी जिसमें जस्टिस कलीफुल्ला, वकील श्रीराम पांचू और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर शामिल हैं। कमेटी ने मध्यस्थता को लेकर अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला जब उसे देना होगा तभी देगा लेकिन कुछ लोग चाहते हैं कि राम मंदिर के लिए अब उन्हें और इंतजार न कराया जाए। चूंकि मध्यस्थता समिति से संबंधित खबरों के मीडिया में आने पर रोक थी इसलिए किसी को कुछ नहीं पता कि मध्यस्थता समिति अपनी कोशिशों में कहां तक सफल हुई या सफल हुई भी या नहीं। यही बात लोगों को बेचैन कर रही है। राम मंदिर के मुद्दे को लेकर दशकों से सक्रिय राजनीतिक और गैर-राजनीतिक संगठन बेहद दबाव में हैं। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विश्व हिन्दू परिषद की एक बैठक अगले कुछ दिनों में होने वाली है। इस बीच महाराष्ट्र के चुनावों को देखते हुए शिवसेना भी सक्रिय है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने 18 सांसदों के दल-बल सहित 15-16 जून को अयोध्या जा सकते हैं। राम मंदिर के मुद्दे पर लोगों की बेचैनी को शिवसेना नेता संजय राऊत ने यह कहते हुए आवाज दी कि अगर अब भी राम मंदिर नहीं बना तो जनता जूते मारेगी। बेशक इस मामले में सबसे बड़ा स्टेक भाजपा का लगा हुआ है क्योंकि यही एक ऐसी सबसे बड़ी हिन्दी पट्टी की पार्टी है जो खुलेआम राम मंदिर के समर्थन में रही है। ऐसे में भाजपा नेतृत्व खासतौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दबे-छिपे ढंग से ही सही, लोगों को यह संदेश पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं कि वह राम मंदिर के अपने वादे से पीछे नहीं हटे हैं। इसके लिए उन्होंने अयोध्या में दीपावली मनाने की शुरुआत की और कल ही दक्षिण भारत से लाई गई कोदंड श्रीराम की प्रतिमा का अनावरण किया है। इसके साथ-साथ 221 फुट की श्रीराम की एक प्रतिमा का निर्माण भी होगा। दरअसल योगी यह सारे संकेत इसलिए भी दे रहे हैं कि राम मंदिर के समर्थक लोग, विश्व हिन्दू परिषद और साधु-संत अदालत का फैसला आने तक कुछ समय के लिए शांत रहें। योगी उन्हें विश्वास दिलाने में जुटे हैं कि सरकार अपने राम मंदिर बनाने के वादे से पीछे नहीं हटी है। इसीलिए श्री राम की कोदंड प्रतिमा के अनावरण पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने 'राम काज कीजे बिना मोहे कहां विश्राम' कहते हुए राम मंदिर के समर्थकों की बेचैनी दूर करने का प्रयास किया है। अब राम मंदिर का मुद्दा आगे जाकर क्या मोड़ लेता है यह तो सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता समिति का निष्कर्ष सामने आने पर ही पता लगेगा लेकिन राम मंदिर के समर्थकों और विरोधियों के लिए इस मुद्दे पर अपनी प्रतिबद्धता दिखाना जरूरी भी है और उनकी राजनीतिक मजबूरी भी है। फिलहाल तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार ही एक बेहतर रास्ता है।

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