आवेदन, निवेदन और फिर दे दनादन की राजनीति
आदित्य नरेन्द्र
लोकतंत्र की सबसे सटीक परिभाषा में इसे लोगों का, लोगों के द्वारा, लोगों के लिए किया गया शासन बताया गया है। इसमें हिंसा का लेशमात्र भी स्थान नहीं है। लेकिन पिछले कुछ समय से आ रही खबरें लोकतंत्र की इस परिभाषा पर प्रश्नचिन्ह लगाती हुई प्रतीत हो रही हैं जिसमें विरोध के लिए पहले कुछ प्रतीकात्मक रूप से और फिर बाद में हिंसात्मक रूप से विरोध दर्ज कराने का सिलसिला चल पड़ा है। कुछ वर्षों पहले कभी जूता उछाल कर या कभी मिर्च या स्याही फेंक कर विरोध दर्ज कराने की परंपरा अब तेजी से बल्ले या लाठी द्वारा सरकारी कर्मचारियों की पिटाई तक आ पहुंची है। सुनने में मामूली-सी लगने वाली यह घटनाएं लोकतंत्र के लिए कितनी घातक सिद्ध हो सकती हैं इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। क्योंकि ऐसी घटनाएं लोगों की भलाई की आड़ में अपना राजनीतिक हित साधने का जरिया बनती जा रही हैं। इस तरह के सबसे ताजे मामले मध्यप्रदेश के इंदौर, सतना और दमोह से सामने आए हैं। इंदौर में भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने अपने समर्थकों के साथ एक जर्जर मकान को तोड़ने पहुंचे निगम के अधिकारियों की क्रिकेट के बैट से पिटाई कर दी। इस मामले में आकाश समेत 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने आकाश को गिरफ्तार कर उन्हें कोर्ट में पेश किया। इंदौर की कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इंकार करते हुए 11 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसके बाद मामला भोपाल की एक विशेष अदालत में पहुंचा जहां से उन्हें शनिवार की शाम को जमानत मिल गई। दूसरे मामले में दमोह के युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष विवेक अग्रवाल भी लेखाधिकारी के चैंबर में उन्हें धमकाने के लिए बैट लेकर पहुंच गए। एक अन्य मामले में सतना में सीएमओ देवरत्नम सोनी द्वारा फाइलों पर हस्ताक्षर किए जाने से इंकार करने पर गुस्साए भाजपा नेता और रामनगर पंचायत के अध्यक्ष रामसुशील पटेल ने अपने समर्थकों को फोन कर बुला लिया और उन्होंने लाठी-डंडे से सोनी की पिटाई कर डाली। सोनी का सिर फट गया जिस पर चार टांके आए। मामला दर्ज कर लिया गया। चूंकि आकाश विजयवर्गीय वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र हैं इसलिए मामला तेजी से तूल पकड़ गया। देखते-देखते उनका वीडियो वायरल हो गया। मामला भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के संज्ञान में भी आया। सुनने में आया है कि उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सिक्वेंस ऑफ इवेंट के हिसाब से रिपोर्ट तलब की है ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके। उधर इस घटना के समर्थन में आकाश के समर्थकों ने इस घटना को उचित ठहराते हुए जहां इंदौर के कई हिस्सों में `सैल्यूट आकाश जी' लिखकर कई पोस्टर लगा दिए वहीं इस घटना के विरोध में वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और कवि कुमार विश्वास की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। ऐसी घटनाओं की गंभीरता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि ऐसे नेताओं के प्रशंसक उनसे गाइडलाइन लेकर ऐसी घटनाएं दोहराने का प्रयास करते हैं। और जब ऐसा होता है तो न सिर्प प्रशासन बल्कि समाज के स्तर पर भी इसका गलत संदेश जाता है। हमें समझना होगा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए नेताओं का जिम्मेदारीपूर्ण आचरण पहली शर्त है। इसे अल्पकालीन नफे-नुकसान से दूर रखा जाना चाहिए। ऐसी घटनाओं की बार-बार पुनरावृत्ति होने से प्रशासन के पंगु होने का खतरा बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंसात्मक गतिविधियों द्वारा कानून अपने हाथ में लेने की प्रवृत्ति की कई बार निन्दा कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा नेतृत्व के लिए जरूरी है कि वह ऐसी गतिविधियों से दूर रहने के लिए अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दे क्योंकि ऐसी घटनाओं का समाज में गलत संदेश जाता है। यह सही है कि ऐसे हर मामले में कानून अपना काम करेगा। पहले आवेदन, फिर निवेदन और फिर दे दनादन की प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए खतरा है क्योंकि यह प्रवृत्ति लोकतंत्र को लट्ठतंत्र में बदल सकती है। ऐसे में लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें इस प्रवृत्ति को हतोत्साहित करना ही होगा।