अपराध पर राजनीति
कुलदीप नैयर
अपराध पर राजनीति हो रही है। विपक्ष खासकर कांग्रेस के आरोपों के अनुसार यह एक नया चलन है। पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति के यहां सीबीआई की ओर से डाले गए करीब 39 छापों को राजनीतिक बदला कहा जाता है। यह पता करना एकदम क"िन है कि विपक्ष जो आरोप लगा रहा है वह सही है या नहीं। दूसरी ओर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री का भी कहना है कि वह चारा घोटाले में इसलिए घसीटे जा रहे हैं कि वह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ हैं।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इन आरोपों के जवाब में यह दलील दी है कि नई टेक्नोलॉजी, जो सारी चीजों को डिजिटल करती है, बताएगी कि व्यक्ति या पार्टी किस हद तक दोषी हैं। लेकिन दोष सिद्ध होने में इतना समय लगता है कि दाग लोगों के दिमाग में रह जाता है, चाहे बाद में सिद्ध हो या न हो।
हिंसा को भी इसमें शामिल किया जाने लगा है। लोकतंत्र जिसमें फैसले शांतिपूर्ण ढंग से किए जाते हैं, के मूल्यों का जानबूझ कर उल्लंघन किया जाता है। यह व्यवस्था अलग-अलग दिशाओं और अलग-अलग तरीकों से दबाव में आती है। शासन पर ही सवाल उ"ाए जाते हैं। साल की शुरुआत में पवर्तन निदेशालय ने कार्ति चिदंबरम के अलावा वासन हेल्थ केयर के पमोटरों और निदेशकों को 2100 करोड़ रुपए के विदेशी मुद्रा नियम के उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस दिया है। निदेशालय के अनुसार विदेशी निवेशकों को भी नोटिस भेज कर विदेशी मुद्रा पबंधन एक्ट के उल्लंघन के आरोपों के बारे में उनका जवाब मांगा गया है। निदेशालय चेन्नई के वासन हेल्थ केयर में पाइमरी और सैकेंडरी, दोनों बाजारों में विदेशी निवेश की जांच कर रहा है। बताया जाता है कि इसने विश्व के सबसे बड़े वेंचर कैपिटल फर्मों में से एक सिकोइया और मारीशस की वेस्ट ब्रिज से निवेश पाप्त किया है और इसने अंतर्राष्ट्रीय कंपनी जीआईसी-सिंगापुर की निवेश शाखा से भी निवेश पाप्त किया है। चिदंबरम और उनका बेटा दोषी के रूप में देखे जाएंगे अगर सरकार लोगों के सामने वे सबूत रखे जो इसके पास हैं। यहां-वहां सरकारी जानकारियों को बाहर करने से यह आरोप और गहरा होगा कि यह सब राजनीति से पेरित है। कांग्रेस का यह बचाव वजनदार हो जाएगा अगर वह अपने इंकार का समर्थन उन दस्तावेजों के सहारे करती है जो पार्टी ने अपने पास `रख लिए' हैं जब वह सत्ता में थी। लालू पसाद का यह शोर मचाना सच हो सकता है कि उन्हें भाजपा विरोधी होने के कारण फंसाया जा रहा है। लेकिन चारा घोटाले में उन्हें सजा मिल चुकी है। यह उचित नहीं है कि अदालत के दोषी करार देने के बाद भी वह यह कहें कि वे राजनीतिक पीड़ित हैं। यह भी सामने आया है कि उनके परिवार के सदस्य इसमें शामिल थे। आम आदमी भी चकराया हुआ है कि क्योंकि दोनों तरफ से जोर-जोर से आरोप लगाए जा रहे हैं। अगर लोकपाल होता, एक समय जैसा फैसला था, तो चीजें अलग होतीं। लोकपाल मशीनरी-कर्नाटक के राज्य लोकपाल से सबक लिया जा सकता है, उन लोगों का रिकार्ड रखती है जिनका भ्रष्टाचार की ओर झुकाव रहता है। राजनीतिक तकरार ने इसका ग"न नहीं होने दिया। अन्यथा पारदर्शी शासन संभव हो गया होता। इसका मतलब यह भी होताöलोगों की खुद की भागीदारी।
फिर भी लालू यादव का फट पड़ना भी गलत नहीं है। सत्तारूढ़ भाजपा देश में नरम हिंदुत्व ला रही है। यह उस राजनीतिक व्यवस्था को खत्म करना है जिसका लक्ष्य हमने आजादी आंदोलन के समय रखा था। खेद की बात है कि भ्रष्टाचार के आरोप सेकुलरिज्म के पक्ष में लालू की लड़ाई को मलिन करते हैं।
कांग्रेस की अपनी छवि के लिए अच्छा होगा कि वह चिंदबरम खानदान के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की अंातरिक जांच कराती। जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित नेशनल हेराल्ड के मुकदमे से गांधी परिवार का व्यक्तिगत संबंध चकराने वाला है। मुकदमे के अनुसार सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी पर धोखाधड़ी तथा विश्वास तोड़ने का अभियोग है और वे जमानत पर हैं। बताया जाता है कि वे मिलकर 76 पतिशत शेयरों पर नियंत्रण रखे हैं जिसमें 38 पतिशत शेयर यंग इंडिया पाइवेट लिमिटेड और बाकी शेयर पार्टी और परिवार के विश्वासपात्र मोतीलाल वोरा, आस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा के पास हैं।
सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से परिवार के खिलाफ लगाया गया मूल आरोप यह है कि उन्होंने संदिग्ध तरीकों से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड, जिसके पास नेशनल डेराल्ड की मिल्कियत है, कब्जे मे ले लिया है। आरोप का सार यह है कि नेशनल हेराल्ड पिंट मीडिया की एक मृत दुकान हो सकती है, लेकिन भारत के पमुख शहरों में महत्वपूर्ण स्थानों पर इसके पास दो हजार करोड़ रुपए का रीयल इस्टेट है और गांधी परिवार के सदस्यों ने कुछ और कांग्रेस नेताओं की वफादारी के सहारे सभी सम्पत्तियों पर कथित रूप से अवैध कब्जा कर लिया है। कांग्रेस की समस्या सिर्प बढ़ती ही जा रही है। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का समय देखिए; कांग्रेस के लिए इससे बुरा हो नहीं सकता था। अदालत ने सुनवाई वाली अदालत के आदेश को बहाल रखा जिसमें नेशनल हेराल्ड तथा राहुल की जांच करने की अनुमति आयकर विभाग को दी गई है। यह कांग्रेस के पथम परिवार के लिए एक और धक्का है। ऊंची अदालत में नेहरू-गांधी परिवार से संबधित मुकदमा हारने की बदनामी गांधी खानदान के सामने खड़ी है। अब अदालत के आदेश के अनुसार आयकर विभाग एक बार जांच शुरू करता है और हिसाब-किताब की पड़ताल करता है तो कोई नहीं कह सकता कि यह किस ओर जाएगा और कौन से अतिरिक्त मामले बाहर लाएगा, खासकर उस समय जब नरेंद्र मोदी की सरकार ताकतवर हो रही है।
सबसे बढ़कर, हाई कोर्ट का फैसला उस समय आया है जब कांग्रेस के रणनीतिकार आने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक पकार की विपक्षी एकता कायम करने की कोशिश कर रहे हैं और क्षेत्रीय विपक्षी नेताओं के बीच बातचीत की पक्रिया का नेतृत्व करने की वजह से कांग्रेस अध्यक्ष को परिकल्पित यूपीए-3 की नेता के रूप में स्थापित किया जा रहा है। संसद को बार-बार हस्तक्षेप करना चाहिए क्योकि सभी पार्टियां अपने ही बीच के लोगों के राजनीतिक अपराध को देख सकती हैं। और, उन्हें दोषी को ढूंढ निकालने में व्यक्ति तथा पार्टी को सजा देने में सहयोग करना चाहिए। इससे लोकतंत्र विकसित होगा और लोगों को भरोसा दिलाएगा कि व्यवस्था खुद ही दोषियों को बाहर फेंकती है और देखती है कि व्यक्ति या पार्टी बिना सजा पाए निकल न जाए।