Home » द्रष्टीकोण » नौकरशाही पर रूपजाल का शिकंजा?

नौकरशाही पर रूपजाल का शिकंजा?

👤 admin5 | Updated on:13 Jun 2017 3:51 PM GMT
Share Post

श्याम कुमार

पिछले लगभग दो दशकों से हमारी नौकरशाही का एक बड़ा हिस्सा कई तरह से विकृत हुआ है तथा वह जनता की सेवा करने का अपना दायित्व भूलकर धन बटोरने में अधिक लिप्त हो गया है। धनलिप्सा के साथ नौकरशाही पर `सेक्सलिप्सा' की एक अन्य बुराई भी हावी होने लगी। तमाम नौकरशाहों की इस बढ़ती कमजोरी का इस क्षेत्र में सक्रिय दलालों ने फायदा उ"ाया और धीरे-धीरे मजबूत `सेक्स माफिया' पैदा हो गए। उन्होंने इस माध्यम का इस्तेमाल कर खूब धन बटोरा तथा मनचाहा फायदा उ"ाया। इस सेक्स-माफिया ने पत्रकार आदि का रूप भी धारण कर लिया, जिससे हर जगह घुसपै" आसान हो गई। विधायिका व कार्यपालिका ही नहीं, न्यायपालिका तक अपना जाल फैलाने एवं मनचाहे काम करा लेने की कोशिश की। नौकरशाही में अपनी मजबूत पकड़ बनाकर `सेक्स माफिया' ने कांग्रेस, सपा व बसपा के राज में भरपूर फायदा उ"ाया। चर्चा के अनुसार अनेक मुख्यमंत्रियों तक भी उसने पकड़ बना ली थी। यह भी चर्चा है कि अब माफिया भाजपा में पकड़ बनाने में लगा हुआ है। एक आईएएस अफसर ने संस्कृति विभाग को बहुत विकृत किया तो एक अन्य आईएएस अफसर ने बाल एवं महिला कल्याण विभाग को। उन दोनों अफसरों की अय्याशियां काफी मशहूर हुईं।

काफी समय हुआ, लखनऊ में बड़ा मशहूर `सुजाता कांड' हुआ था। एक आईएएस अधिकारी थे, जो `सेक्स' के शौकीन थे तथा उनकी पुत्री, जिसका नाम सुजाता था, अधिक धन कमाने के लिए `सेक्स' के धंधे में थी। हजरतगंज की एक बिल्डिंग के एक फ्लैट में यह धंधा होता था। एक दिन वह आईएएस अधिकारी उस फ्लैट में पहुंचे तो वहां उनके सामने उनकी पुत्री ही पेश हो गई थी। लेकिन जिस पकार पुराने समय में बहुत कम नेताओं के बारे में `सेक्स पकरण' सुने जाते थे, उसी पकार गिने-चुने अफसरों के बारे में वैसे किस्से सामने आते थे। वे कृत्य इतने छिपे रूप में होते थे कि आमतौर पर लोगों को जानकारी नहीं हो पाती थी। उनकी पेमिकाएं पायः सत्ता का फायदा नहीं उ"ाती थीं। केवल एक बड़े नेता की `चेलियां' बुलंदियों पर पहुंचीं। पर अब यह स्थिति नहीं है। आज का समय अर्थपधान है, जिसके परिणामस्वरूप `सेक्स' भी आज आय का बड़ा जरिया बनता जा रहा है। इस विषय पर कई फिल्में बन चुकी हैं।

पाचीनकाल में विषकन्याएं हुआ करती थीं, जो राजवंश के लोगों को अपने रूपजाल में फंसा लिया करती थीं। आधुनिक युग में भी विषकन्याओं का अस्तित्व बरकरार है, बस उनके स्वरूप में यह अंतर आ गया है कि अब वे `सेक्स बालाएं' हो गई हैं। वे अपने रूपजाल में नेताओं व अफसरों को फंसाकर अपना खूब उल्लू सीधा करती हैं। एक बार पश्चिमी उत्तर पदेश के एक नए मंत्री से मेरी अच्छी निकटता हो गई थी तथा वह भी मुझे बहुत मानते थे। एक दिन एक आयोजन में मैं उन मंत्री के साथ बै"ा था कि तभी एक महिला, जो परम सुंदरी थी, मंत्री के पास आई और अपना परिचय दिया। जब वह हट गई तो मैंने मंत्री को उस महिला का चरित्र बताते हुए सावधान किया। दो-तीन दिन बाद मैं उन मंत्री से मिलने गया तो उनके स्टाफ ने मुझ से रुकने को कहा। चूंकि मंत्री से निकटता थी, इसलिए मैं रुका नहीं, भीतर चला गया। वहां यह देखकर मैं हैरत में पड़ गया कि वही सुंदरी महिला मंत्री के निकट बै"ाr हंस-हंसकर बातें कर रही थी। मैं बहाना कर तुरंत लौटने लगा। वैसे तो वह मंत्री चाय पिलाए बिना आने नहीं देते थे, किन्तु उस दिन उन्होंने मुझे रोका नहीं। बाद में मंत्री मुझ से कटने लगे तथा वह सुंदरी महिला उनके निकट हो गई और फायदे उ"ाने लगी।

इसी पकार इलाहाबाद में एक दिन पातःकाल मैं सर्पिट हाउस में आए हुए एक अधिकारी से मिलने गया था तो वहां विदित हुआ कि कौशाम्बी के नवागुंतक जिलाधिकारी भी बगल के कमरे में "हरे हुए हैं। वह मेरे पुराने मित्र थे, इसलिए मैं भीतर जाने लगा तो स्टाफ ने यह कहकर रोका कि जिलाधिकारी आवश्यक बै"क कर रहे हैं। मुझे कोई काम नहीं था, सिर्प `विश' करना था, इसलिए मैं रोकने के बावजूद भीतर चला गया। वहां वह अधिकारी किसी बै"क में नहीं व्यस्त थे, बल्कि अपनी महिला स्टेनो के साथ वार्तालाप में लीन थे। लखनऊ में मेरे परिचित एक वरिष्" आईएएस अधिकारी एक फ्लैट में इस कार्य के लिए कुछ दूर अपनी कार खड़ी कर पैदल जाया करते थे। इलाहाबाद में मेरे घर के सामने मुहत्शिमगंज मुहल्ले की एक गली के एक घर में भी एक वरिष्" आईपीएस अधिकारी कुछ दूर अपनी कार खड़ी कर आया करते थे।

चर्चा है कि लखनऊ में कुछ नवयौवनों विभिन्न वेशों में कतिपय आईएएस अफसरों को अपने रूपजाल में फंसाकर खूब फायदा उ"ा रही हैं। एक बार एक पत्रकार अपने निकट परिचित एक उच्चाधिकारी के भीतर वाले कक्ष में चले गए थे तो वहां उन्होंने ऐसी ही एक यौवना को अधिकारी से सटे बै"s देखा तो तुरंत तेजी से वापस लौट आए। उत्तर पदेश के एक राज्यपाल अपने
`शौक' के बारे में मशहूर थे तथा वह एक माफिया के यहां जाकर काफी समय व्यतीत किया करते थे। एक मुख्य सचिव के बारे में मशहूर था कि वह अपने कार्यालय वाली मेज पर बै"कर काम करने के बजाय अपना अधिक समय भीतर वाले कक्ष में किसी न किसी महिला के साथ व्यतीत करते थे। उनके बारे में तो यह भी चर्चा थी कि वह अपने थरमस में पानी नहीं
, मदिरा रखते थे और बीच-बीच में चुस्की लेते रहते थे। देश के एक मंत्री के बारे में यह चर्चा है कि वह अपनी सुंदरी रखैलों का किसी से विवाह करा देते हैं और उसे इतना फायदा पहुंचा देते हैं कि उसका जीवन सुखी हो जाता है तथा वह मंत्री की रखैल भी बनी रहती है। कुछ "sकेदारों एवं सप्लायरों के बारे में मशहूर है कि वे अपने साथ सुंदरी बालाओं को जोड़े रहते हैं और उनके जरिये शौकीन अफसरों व मंत्रियों से फायदा उ"ाते हैं। इस पवृत्ति का लाभ उ"ाकर कला के क्षेत्र में भी कतिपय माफियाओं का उदय हुआ तथा उन्हें हर पकार का संरक्षण पाप्त हुआ, जिससे वे धनकुबेर बन गए।

Share it
Top