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सेंगर को सजा से कानून के प्रति बढ़ेगा विश्‍वास

👤 Veer Arjun | Updated on:23 Dec 2019 8:49 AM GMT

सेंगर को सजा से कानून के प्रति बढ़ेगा विश्‍वास

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-आदित्‍य नरेन्‍द्र

न्यायपालिका लोकतंत्र के तीन प्रामुख स्तम्भों में से एक है। इसका काम है कि लोगों के जायज और कानूनी हकों की रक्षा करे और जो लोग कानून का उल्लंघन करते हैं उन्हें सजा दे परन्तु दुर्भाग्यवश पिछले कईं दशकों से ऐसी स्थिति बनती जा रही है कि समय पर न्याय पाने की इच्छा रखना दिवास्वप्न देखने जैसा हो गया है। निर्भया का मामला इसका एक उदाहरण है जिसमें केस को फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाया गया था लेकिन इसके बावजूद भी आज सात वर्ष बीत जाने के बाद भी इंसाफ कहीं कानूनी दांव-पेचों में उलझकर रह गया है और पीड़िता के परिजन आरोपियों को सजा मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

ऐसा ही एक केस उन्नाव की रेप पीड़िता का है जिसमें भाजपा से निष्कासित विधायक वुलदीप सिह सेंगर को उम्रवैद की सजा सुनाने के साथसाथ उन पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इस मामले पर लोगों की निगाहें शुरू से थीं क्योंकि माना जाता था कि वुलदीप सेंगर एक बाहुबली विधायक हैं जो कानून की पकड़ से निकलने का देर-सवेर कोईं न कोईं रास्ता निकाल ही लेंगे। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और वुलदीप सेंगर की बच निकलने की सारी कोशिशें धरी की धरी रह गईं। उम्मीद है कि वुलदीप सिह सेंगर जैसे बाहुबली विधायक को मिली सजा से कानून के प्राति लोगों का विश्वास एक बार फिर बढ़ेगा।

यह बात अलग है कि लोग महसूस कर रहे हैं कि सेंगर निर्भया मामले के दोषियों के उलट ज्यादा सामर्थ्यंवान हैं और वो अभी भी बच निकलने का कोईं न कोईं रास्ता तलाश करने का प्रायास करेगा। ऐसे ताकतवर लोगों की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए मशहूर फिल्म लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि वुलदीप सेंगर को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाईं है। अब देखते हैं कि वह कितनी जल्दी अस्वस्थ होकर अस्पताल में भता होते हैं। जावेद अख्तर का यह ट्वीट सजा मिलने के बाद एक आम और एक खास दोषी के बीच फर्व को बाखूबी बयान कर रहा है। दरअसल यही वह मौके होते हैं जो कानून के खिलाफ लोगों के विश्वास को कमजोर कर सकते हैं। सेंगर को मिली सजा बताती है कि आतंक का भी एक दिन अंत होता है। कोईं बाहुबली राजनेता यदि खुद को देश के कानून से ऊपर समझे तो यह उसका भ्रम है। सेंगर ने भी यही गलती की।

उसने निर्भया मामले से कोईं सबक नहीं लिया। एक राजनेता के तौर पर उसे अहसास होना चाहिए था कि कानून जब पीिड़ता के पक्ष में खड़ा होगा तब उसे अपने सारे वुकर्मो का हिसाब देना होगा। बताया जाता है कि जब अदालत ने उसे अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाईं तो सेंगर और उसके परिजनों की आंख से आंसू बहने लगे। उसकी सजा कम करने की अपील पर जिला जज धम्रेश शर्मा का कहना था कि सेंगर ने जो वुछ भी किया वह पीड़िता को डराने-धमकाने के लिए किया। हमें नरमी दिखाने वाली कोईं परिस्थिति नहीं दिखी। सेंगर लोक सेवक था, उसने लोगों से विश्वासघात किया, इसलिए सजा में उसके साथ कोईं मुरव्वत नहीं की जा सकती। उम्मीद है कि पिछले दिनों हैदराबाद की वेटेनरी डाक्टर दिशा (बदला हुआ नाम) के साथ रेप और मर्डर के मामले में भी निर्भया और सेंगर के मामले की तरह जल्दी ही इंसाफ होगा।

हालांकि निर्भया और दिशा का मामला सेंगर के मामले से इसलिए अलग है क्योंकि इन दोनों मामलों के आरोपी कम पढ़े लिखे और छोटे मोटे काम से गुजारा करने वाले थे जबकि सेंगर की गिनती पढ़े लिखे और राजनीतिक व आर्थिक रूप से ताकतवर लोगों में होती है। फिलहाल एक जानकारी के अनुसार 18 सांसद और 58 विधायक महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में आरोपों का सामना कर रहे हैं। सेंगर को मिली सजा ने इनमें से कईं आरोपियों के दिल की धड़कनें बढ़ा दी होंगी। अदालत द्वारा सजा देने का उद्देश्य सिर्प इंसाफ करना ही नहीं होना चाहिए बल्कि उससे आपराधिक मानसिकता वाले लोगों में खौफ भी पैदा होना चाहिए। सेंगर को मिली सजा ने यही किया है।

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