भारत-पाकिस्तान का एकसाथ लाने की कोशिश कर रहा है अमेरिका: पोम्पिओ
वाशिंगटन, (भाषा)। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही लड़ाई का कारण बताते हुए कहा कि अमेरिका दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच सुलह कराने और उन्हें साथ लाने की कोशिश कर रहा है। पोम्पिओ ने भारत-पाकिस्तान विवाद और इज़राइल संघर्ष का हवाला देते हुए कहा कि यह अमेरिका की वार्तात्मक कूटनीतिक कौशल का उदाहरण है, जिसके बारे में उनसे सोमवार को आयोवा के फ्यूचर फार्मर्स ऑफ अमेरिका कार्यक्रम में पूछा गया था।
शीर्ष अमेरिकी राजनयिक से पूछ गया था, अमेरिका की ओर से आप कैसे सुलह कराने और बातचीत कराने की कोशिश करते हैं? पोम्पिओ ने किसानों से कहा, अगर आप सबसे जटिल समस्याओं पर एक नजर डालें... एक अच्छा उदाहरण क्या है- इज़राइलियों और फलिस्तीनियों के बीच पश्चिम एशिया में शांति स्थापित करना या हाल ही में, भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर में लंबे समय तक लड़ाई के बारे में जानने की कोशिश करने के लिए की गई वार्ता है। उन्होंने कहा, राजनयिकों के रूप में हम जो काम करते हैं, वह दोनों के बीच परस्पर किसी तरह के सामान्य संबंध तलाशने की कोशिश करना है।
पोम्पिओ ने दोहा में तालिबान के साथ जारी वार्ता को अत्यंत जटिल बताते हुए उम्मीद जताई कि अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत जलमय खलीलजाद को उनके प्रयासों में सफलता मिलेगी। अमेरिका के विशेष दूत जलमय खलीलजाद और उनका दल कतर की राजधानी में तालिबान के साथ वार्ता कर रहा है।
पोम्पिओ ने आयोवा में किसानों की सभा में सोमवार को कहा, जमीनी स्तर पर मेरा एक दल अफगानिस्तान में तालिबान के आतंकवादियों से बातचीत कर रहा है और एक ऐसा अफगानिस्तान बनाने की कोशिश कर रहा है जहां युद्ध नहीं हो, जहां हिंसा नहीं हो, जो अमेरिका के लिए खतरा पैदा नहीं करे, जो महिलाओं और बच्चों समेत अफगानिस्तान के हर नागरिक के मौलिक अधिकारों का सम्मान करे।
उन्होंने कहा, यह एक जटिल समस्या है और यदि आप अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, चीन, रूस जैसे उन क्षेत्रीय भागीदारों को इसमें शामिल करते हैं, जिनका अफगानिस्तान में हित है तो यह एक अत्यंत जटिल वार्ता है। उन्होंने कहा कि खलीलजाद ऐसी सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसके आधार पर सब आगे बढ़ सकें, सभी विभिन्न जटिल टुकड़ों को एकसाथ लाकर कोई समझौता कर सकें। पोम्पिओ ने कहा, इस मामले में यदि हम ऐसा कर सकते हैं, यदि हम अफगानिस्तान में कोई समाधान निकाल सकते हैं तो इससे दुनिया का भला होगा। मुझे उम्मीद है कि खलीलजाद इस दिशा में प्रगति करेंगे।