एक बार फिर जैश अल-अदल ने 11 ईरानी सैनिकों को मारा, क्या पाकिस्तान पर होगा एयरस्ट्राइक?
नई दिल्ली । ईरान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में एक बार फिर तनाव फैल गया है और पाकिस्तानी सुन्नी-बहुल आतंकवादी समूह जैश-ए-अदल ने सीमावर्ती ईरानी सिस्तान प्रांत में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के मुख्यालय पर घातक हमला किया है।
दक्षिणपूर्वी ईरान के बलूचिस्तान में स्थिति सिस्तान प्रांत में जैश-ए-अदल के आतंकवादियों ने ईरानी सैनिकों को निशाना बनाया है और ये वही संगठन है, जिसपर ईरानी एयरफोर्स ने पिछले दिनों पाकिस्तान में घुसकर हमला किया था, जिसके बाद पाकिस्तान और ईरान के बीच टेंशन काफी बढ़ गई थी।
पाकिस्तान के पास ईरान के 11 सैनिकों की मौत
ईरान की सरकारी मीडिया ने बताया है, कि इस भयानक हमले में ईरानी सुरक्षा बलों के ग्यारह सदस्य मारे गए है। ईरानी राज्य टीवी ने 4 अप्रैल को कहा है, कि सुन्नी सशस्त्र समूह जैश अल-अदल (न्याय की सेना) ने सुरक्षा बलों के साथ रात की लड़ाई में अपने सोलह लड़ाके खो दिए हैं।
यह हमला अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा से सटे सिस्तान-बलूचिस्तान के चाबहार और रस्क शहरों में हुआ है। ईरान के उप आंतरिक मंत्री माजिद मिरहमादी ने सरकारी टेलीविजन को बताया है, कि "आतंकवादी चाबहार और रस्क में गार्ड्स मुख्यालय पर कब्जा करने में नाकाम हो गये हैं।"
यह हमला सीरिया में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर इजरायली युद्धक विमानों द्वारा बमबारी किए जाने के कुछ दिनों बाद हुआ है, जिससे देश गुस्से में है और प्रतिशोध लेने की कसम खा रहा है। घटनास्थल पर मौजूद अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संवाददाताओं ने कहा, कि यह जैश-ए-अदल समूह द्वारा किया गया सबसे घातक हमला है।
पाकिस्तान पर फिर एयरस्ट्राइक करेगा ईरान?
हालांकि, पाकिस्तान ने सैनिकों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने आतंकी हमले की निंदा की है, लेकिन आशंका जताई जा रही है, कि ईरान फिर से पाकिस्तानी सीमा क्षेत्र में एयरस्ट्राइक कर सकता है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है, कि "पाकिस्तान पुलिस और सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर जघन्य और कायरतापूर्ण आतंकवादी हमलों की स्पष्ट रूप से निंदा करता है। हम पीड़ितों के परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के ठीक होने की प्रार्थना करते हैं।"
बयान में आगे कहा गया है, कि पाकिस्तान "हमारे क्षेत्र में आतंकवाद की बढ़ती गतिविधियों से बेहद चिंतित है।"
पाकिस्तान का बयान महत्वपूर्ण है, कि क्योंकि जैश-ए-अदल ही वो आतंकी संगठन है, जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच लड़ाई की नौबत आ गई थी और माना जाता है, कि इस आतंकी संगठन को पाकिस्तानी सेना का संरक्षण मिला हुआ है।
जनवरी के मध्य में, ईरान ने पाकिस्तानी सीमावर्ती प्रांत बलूचिस्तान में जैश-ए-अदल को निशाना बनाकर हवाई हमला किया और दावा किया, कि उसने ईरान विरोधी विद्रोही समूहों के दो गढ़ों पर हमला किया है। उस समय, पाकिस्तान ने इस हमले को सीमाओं का उल्लंघन बताया और बाद में पाकिस्तान ने भी ईरानी सीमा में एयरस्ट्राइक किए थे।
जैसे को तैसा हवाई हमलों के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था, हालांकि कुछ दिनों बाद, दोनों पक्षों ने कहा, कि वे एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं और संबंधों को सुधारने के लिए सुरक्षा सहयोग का विस्तार करने की दिशा में काम करेंगे।
जैश अल-अदल क्या है?
जैश अल-अदल को अरबी में 'न्याय की सेना' के रूप में अनुवादित किया जाता है, जिसे पहले जुंदाल्लाह के नाम से जाना जाता था, जिसका मतलब होता है, ईश्वर के सैनिकों का उत्तराधिकारी माना जाता है। ये संगठन भी दूसरे आतंकी संगठनों की तरह बम धमाके करने के लिए कुख्यात रहा है। साल 2000 में इस्लामिक गणराज्य ईरान के खिलाफ एक हिंसक विद्रोह को बढ़ाना शुरू किया, जिससे अशांत ईरान-पाकिस्तान की सीमावर्ती इलाकों में सालों तक मार काट होती रही।
2010 में स्थिति उस वक्त बदल गई, जब ईरान ने जुंदाल्लाह के नेता अब्दोलमलेक रिगी को मार डाला। अब्दोलमलेक रिगी का पकड़ा जाना और फिर मारा जाना, जिसमें दुबई से किर्गिस्तान जा रही एक उड़ान को नाटकीय ढंग से रोकना शामिल था, विद्रोही समूह के लिए एक महत्वपूर्ण झटका था।
जैश अल-अदल का हेडक्वार्टर पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में है और इसे ग्लोबर टेरेरिस्ट संगठन करार दिया गया है। इसके आतंकी अतीत में ईरानी पुलिस के कई जवानों का अपहरण कर चुके हैं।
ऐसा दावा किया जाता है, कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव जब ईरान में अपना कारोबार कर रहे थे, तब इसी संगठन ने उनका अपहरण किया था और फिर उन्हें पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया था, और पाकिस्तानी सेना ने उनपर जासूस का आरोप लगा दिया।
सीरिया में बशर अल-असद सरकार को ईरान का समर्थन हासिल है, जिसका बदला लेने के लिए आतंकवादी सलाहुद्दीन फारूकी ने साल 2012 में जुंदाल्लाह को नया नाम दिया जैश अल-अदल और नये सिरे से इस आतंकी संगठन ने अपना ऑपरेशन शुरू किया।
जैश अल-अदल सिस्तान-बलूचिस्तान से संचालित होता है, लेकिन तीन देशों में इसकी पकड़ है। ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान, पाकिस्तान के बलूचिस्तान और अफगानिस्तान। इस समूह को जातीय बलूच जनजातियों से समर्थन प्राप्त करता है, विशेष रूप से शिया-प्रभुत्व वाले ईरान में भेदभाव का सामना करने वाले अल्पसंख्यक सुन्नी मुसलमानों के असंतोष से इस संगठन को बल मिलता है।
यह समूह सीरिया की बशर अल-असद सरकार को शिया ईरानी सरकार के समर्थन की वजह से विरोध करता है। प्रमुख नेताओं में सलाहुद्दीन फारूकी और मुल्ला उमर शामिल हैं, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में समूह के शिविर की कमान संभालते हैं। जुंदुल्लाह प्रमुख अब्दोलमालेक रिगी का चचेरा भाई अब्दुल सलाम रिगी, जैश अल-अदल के भीतर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।