Home » दुनिया » पाकिस्तानी हैकर्स कर रहे थे तालिबान की मदद, फेसबुक ने खोली पोल

पाकिस्तानी हैकर्स कर रहे थे तालिबान की मदद, फेसबुक ने खोली पोल

👤 Veer Arjun | Updated on:17 Nov 2021 5:34 AM GMT

पाकिस्तानी हैकर्स कर रहे थे तालिबान की मदद, फेसबुक ने खोली पोल

Share Post

वांशिगटन । अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर तालिबान की हरसंभव मदद करने वाले पाकिस्तान की पोल अब सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने भी दुनिया के समाने खोल दी है। जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के दौरान पाकिस्तान लगातार तालिबान की मदद कर रहा था। इस बात की पोल अब सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक ने भी खोल दी है।

फेसबुक के एक अधिकारी ने एक इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान के हैकर्स ने तालिबान के काबुल पर अधिग्रहण के दौरान अफगानिस्तान में लोगों को टारगेट करने के लिए फेसबुक का इस्तेमाल किया। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि पाकिस्तानी हैकर्स का मकसद तालिबान के खिलाफ उठ रहे आवाजों को दबाना था।

फेसबुक ने कहा कि साइडकॉपी के नाम से जाना जाने वाला समूह मेलवेयर की मेजबानी करने वाली वेबसाइटों के लिंक साझा करता है। यह लोगों के उपकरणों का सर्वेक्षण कर सकता है। हैकर्स के निशाने पर काबुल में सरकार, सेना और कानून प्रवर्तन से जुड़े लोग शामिल थे। फेसबुक ने कहा कि उसने अगस्त में ही साइडकॉपी को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया।

हाल ही में फेसबुक का नाम बदलकर मेटा करने के बाद कंपनी ने कहा है कि हैकर्स के समूह ने इसके लिए महिलाओं के नाम पर अकाउंट बनाकर उनको प्यार व रोमांस का लालच दिया। यूजर से काल्पनिक बातें की। इसने वैध वेबसाइटों से भी समझौता किया ताकि लोगों के फेसबुक क्रेडेंशियल्स के साथ हेराफेरी किया जा सके।

फेसबुक के साइबर जासूसी जांच के प्रमुख माइक डिविल्यांस्की ने कहा कि हैकर्स के मकसद के बारे में अनुमान लगाना हमारे लिए हमेशा मुश्किल होता है। हम ठीक से नहीं जानते कि किससे समझौता किया गया था या उसका अंतिम परिणाम क्या था।

फेसबुक, ट्विटर इंक, अल्फाबेट इंक के गूगल और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प के लिंक्डइन सहित प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और ईमेल प्रदाताओं ने कहा है कि उन्होंने अफगानिस्तान पर तालिबान के तेजी से अधिग्रहण के दौरान अफगान यूजर्स के खातों को बंद करने के लिए कदम उठाए हैं।

फेसबुक जांचकर्ताओं ने कहा कि फेसबुक ने पिछले महीने दो हैकिंग समूहों के खातों को निष्क्रिय कर दिया था, जिन्हें उसने सीरिया की वायु सेना की खुफिया जानकारी से जोड़ा था।

फेसबुक ने कहा कि एक समूह, जिसे सीरियन इलेक्ट्रॉनिक आर्मी के नाम से जाना जाता है, ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों को निशाना बनाया। वे सत्तारूढ़ शासन का विरोध कर रहे थे।एजेंसी /हिस

Share it
Top