Home » आपके पत्र » भीड़तंत्र पर सख्ती कार्रवाई हो

भीड़तंत्र पर सख्ती कार्रवाई हो

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:15 April 2019 5:30 PM GMT
Share Post

भारत के उच्चतम न्यायालय ने अभी हाल ही में कश्मीरी छात्रों पर हुए तथाकथित हमलों का स्वत संज्ञान लेते हुए आदेश दिया है कि ऐसे छात्रों पर हो रहे हमलों को भीड़तंत्र द्वारा किया गया हमला माना जाए और उससे उसी तरह से निपटा जाए जैसे कि भीड़तंत्र के मामलों से निपटा जाता है यानि सख्ती से ऐसे मामलों को देखा जाए। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अहम है। सभी कश्मीरी छात्र तो एक से नहीं हैं। पर यहां यह भी सवाल उठता है कि कश्मीरी छात्रों द्वारा जो भारत के खिलाफ जहर उगला जा रहा है उसके लिए कौन जिम्मेदार है। इसके साथ ही हमने अभी तक यह नहीं सुना कि कश्मीरी छात्रों ने पुलवामा कांड के खिलाफ कोई मार्च निकाला हो या उसकी निन्दा की हो। पूरे कश्मीर से एक भी ऐसी खबर पढ़ने या देखने को नहीं मिली क्यों? उलटे देश के अन्य भागों में पढ़ रहे छात्रों ने पाकिस्तान प्रेम के अनेक मैसे मोबाइल फोनों पर डाले। ऐसी रिपोर्टें पढ़ने को मिलीं। सुप्रीम कोर्ट ने उन छात्रों पर हमलों का स्वत संज्ञान लिया यह एक अच्छी बात है पर अफसोस इस बात का है कि जब वहां घाटी में भारतीय सेना पर भीड़ पत्थरबाजी करती है तो उसका संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने क्यों नहीं लिया? क्या वह भीड़तंत्र द्वारा किया गया हमला नहीं है? क्या उसमें हमारे जवान घायल नहीं हुए? क्या हमारे जवानों ने सिर्प पिटने और घायल होने के लिए ही वर्दी पहनी है? माननीय सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में भी स्वत संज्ञान लेना चाहिए और ऐसे आदेश पारित करने चाहिए कि जो भी पत्थरबाजी करते हुए पाया या पकड़ा जाएगा उसे न तो जमानत मिलेगी और न ही चोट लगने पर उनका सरकारी अस्पतालों में निशुल्क इलाज ही होगा। साथ ही यदि उनको जेल होती है तो वहां भी रखने के लिए और खाने-पीने का खर्च उनसे वसूल किया जाए। साथ ही ऐसे युवकों के माता-पिता यदि सरकारी नौकरी में हैं तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए और उनको चेतावनी जारी की जाए।

-इंद्र सिंह धिगान,

किंग्जवे कैंप, दिल्ली।

जीवनदायिनी गंगा ढाई गुना प्रदूषित हो चुकी है

जीवनदायिनी गंगा पिछले कुछ साल में लगभग ढाई गुना प्रदूषित हो चुकी है। गंगा को साफ करने की अबतक की सारी योजनाएं भी नाकाम ही साबित हुई हैं। केंद्र में बनी मोदी सरकार ने गंगा की सफाई को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देकर इसकी सफाई को एक जन आंदोलन बनाने का भरोसा दिया। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हफलनामा दायर कर गंगा की सफाई के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी। हालांकि इसके बाद अभी गंगा की सफाई के काम में कोई तेजी नहीं आई है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर गंगा की सफाई की योजना इसी तरह चली तो गंगा 200 साल में भी साफ नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह दो हफ्ते में बताए गंगा सफाई अभियान कैसे चलेगा। गंगा सफाई पर क्या कहता है सरकार का हलफनामा केंद्र की सत्ता में आने के बाद और इसके पहले अपने चुनाव प्रचार अभियान में ही नरेंद्र मोदी ने देश से गंगा की सफाई का वादा किया था। पीएम मोदी सबसे पहले काशी में गंगा आरती में शामिल हुए थे।

-मुकेश जैन,

गांधीनगर, दिल्ली।

Share it
Top