महात्मा गांधी की दृढ़ इच्छाशक्ति
महात्मा गांधी ने करोड़ो भारतीयों को नंगे बदन देखकर अपने जीवन को भी बदल लिया। शरीर पर एक ही धोती,उसे वे आधी पहनते और आधी ओढ़ते थे। आजादी के आंदोलन के समय लंदन में गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हुआ। गांधी जी को कांग्रेस ने अपना मुख्य प्रतिनिधि बनाकर भेजा तो ब्रिटिश सरकार ने आक्षेप किया कि गोलमेज सम्मेलन में भाग लेते समय गांधी को अपनी वेशभूषा बदलनी होगी। गांधी अपने विचारो पर दृढ़ थे। उन्होंने कहा कि मेरे कहने पर आपने सम्मेलन नहीं बुलाया है। आपने मुझे निमंत्रण देकर बुलाया है। सम्मेलन में भाग लेने के लिए मैं अपने सिद्धांतों की बलि नहीं दे सकता। मजबूरन ब्रिटिश सरकार को गांधी की बात माननी पड़ी। सादा जीवन और उच्च विचार की यह बहुत बड़ी जीत थी। आज मनुष्य के जीवन में सादगी के स्थान पर आडंबर आ रहा है वहा उसके विचार भी नैतिकता से दूर हटते जा रहे है। विचारो से ही आचार पुष्ट होता है। जब विचार अच्छे होंगे तो व्यक्ति सदैव अच्छे कार्य ही करेगा। बुरा सोचते हुए अच्छा कार्य नहीं किया जा सकता है। आज का मनुष्य जैसा दिख रहा है वैसा है नहीं है और जो वैसा है नहीं वह दिख रहा है। एक व्यंगय-एक लंगड़े भिखारी को भीख देते हुए, सज्जन बोलेöअच्छा है तुम लंगड़े हो अंधे होते, खोटे सिक्के अधिकांश दे जाते है।
-मुकेश जैन,
शालीमार बाग, दिल्ली।
सारे जहां का दर्द हमारे दिल में है
ऐसा लगता है कि हमारे देश भारत ने सारे जहां के दुखियों का दर्द अपने दिल में बसा लिया है। कहीं के भी शरणार्थी हों यानि वे बंगलादेश के हों, पाकिस्तान के हों या म्यांमार या श्रीलंका के हों सब भारत की तरफ ही भागते हैं। और यहां के नेताओं का भी कमाल है। अपनी पार्टी की सरकार बनाने के लिए वे इन घुसपैठियों को भारतीय नागरिक बनाने और साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते। ताजा मामला रोहिंग्या मुसलमानों का है। काफी समय से इस पर विवाद चल रहा है। ये रोहिंग्या मुसलमान हैं तो असल में म्यांमार के निवासी पर खबरों के अनुसार वहां की सरकार और सेना के अत्याचारों से तंग आकर वे बंगलादेश और भारत की तरफ भाग रहे हैं। बंगलादेश में तो इन्हें कोई घुसने देता नहीं या फिर उनकी वहां कोई पूछ नहीं है इसलिए ये सबसे सरल तरीके से और आराम से जिन्दगी बिताने के लिए भारत में घुस आते हैं। खबरों के अनुसार बंगलादेश की सीमा से यो रोहिंग्या मुसलमान हजारों की संख्या में हमारे बंगाल राज्य में घुस रहे हैं। ताज्जुब की बात यह है कि जब कुछ टीवी चैनलों ने उनसे यह पूछा कि क्या आपके पास पासपोर्ट है तो जवाब था नहीं। कोई और डाक्यूमेंट है जवाब था नहीं। हैरानी की बात है कि हर बात पर प्रधानमंत्री मोदी को कोसने वाली और हर केंद्र सरकार की योजना को धत्ता बताने वाली सीएम ममता को यह देश विरोधी कार्य दिखाई नहीं दे रहा। ऐसे घुसपैठियों के बारे में एक बात और साफ हो चुकी है कि वे आतंकियों से भी मिले हुए हैं। आतंकी उनकी आड़ में कुछ भी कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं। इसमें मोदी जी का या उनकी सरकार का कोई स्वार्थ नहीं है बल्कि यह तो देश का सवाल है। भारत कोई धर्मशाला तो है नहीं कोई भी मुंह उठाकर यहां चला आए और फिर धौंस जमाकर कहे कि मैं तो यहीं रहूंगा।
-कमलेश तिवारी,
अशोक विहार, दिल्ली।