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हर हिन्दुस्तानी के दिल में पाक से बदले की मांग

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:25 April 2019 6:20 PM GMT
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पूरे हिन्दुस्तान को हमेशा से अपनी सेना और अपने वीर सैनिकों के शौर्य और वीरता पर गर्व है। जब भी हमारी सेना और हमारे सैनिकों पर कोई भी आंच आती है तो पूरा देश रोता है। ऐसा ही दृश्य पुलवामा के आतंकी हमले के बाद पूरे हिन्दुस्तान में देखने को मिला। जब पुलवामा के आतंकी हमले में 44 भारत माता के वीर सपूत शहीद हो गए, तब 130 करोड़ हिंदुस्तानियों की आंख नम हो गई। शहीदों के परिजनों का रूंदन सुनकर देश का हर नागरिक रो पड़ा। सम्पूर्ण देश शहीदों की शहादत को सलाम कर रहा है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही सम्पूर्ण देश में उबाल और आक्रोश है। हर किसी के दिल में प्रतिशोध की ज्वाला भड़क रही है कि जल्द से जल्द हमारे वीर सैनिकों की शहादत का बदला लिया जाए और आतंकवाद का पोषण करने वाले पकिस्तान को माकूल सबक सिखाया जाए, जिससे कि वह आगे से ऐसी नापाक हरकतें न कर सके। हिन्दुस्तान जम्मू-कश्मीर के उरी' में 18 सितंबर 2016 में 18 सैनिकों की शहादत का दर्द भूला भी नहीं था कि पकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद जैश-ए-मोहम्मद (आतंकी संगठन) ने पुलवामा में हमारे करीब 44 जांबाज वीर सैनिकों की जान ले ली। सवाल उठता है कि किन गद्दारों की सहायता से आतंकी हमलावर आदिल अहमद डार कार में 350 किलोग्राम आरडीएक्स (विस्फोटक) लेकर सीआरपीएफ जवानों के 78 वाहनों के काफिले में पहुंचा। इससे भी बड़ा सवाल है कि आतंकियों को कैसे खबर लगी कि पुलवामा से सीआरपीएफ जवानों के 78 वाहनों का काफिला गुजर रहा है, यह सब सवाल अन्वेषण का विषय है और इस पर हमारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) काम भी कर रही है। निश्चित रूप से आने वाले समय में इस आत्मघाती हमले की सभी परतें खुलेंगी और देश के गद्दारों पर कड़ी कार्रवाई भी होगी। सितम्बर 2016 में तो उरी हमले के बाद तो आतंकवाद का पोषण करने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी जिसमें पाकिस्तान के कई आतंकवादी, पाकिस्तान सेना के जवान मारे गए थे। सबसे पहले हिन्दुस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए जरूरत है।

-जयभगवान शर्मा,

शालीमार बाग, दिल्ली।

आलोचनाओं से थम जाएंगे विकास के पहिए

हर मसले पर राजनीति हमारी दिनचर्या का जरूरी हिस्सा बन चुकी है। वहीं दूसरी ओर ये भी कड़वी सच्चाई है कि हमारे यहां राजनीति में `निगेटिव अप्रोच' का स्तर इतना बढ़ चुका है कि अब उसके दुष्प्रभाव अब खुलकर दिखने लगे हैं। हर मामले में जब तक राजनीति न हो तब तक कथा अधूरी ही समझी जाती है। ताजा मामला वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन से जुड़ा है। बीती 15 फरवरी को प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया के तहत बनीं देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस को नई दिल्ली स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर वाराणसी के लिए रवाना किया। वापसी में वाराणसी से दिल्ली आते वक्त ट्रैन ब्रेक डाउन का शिकार हो गई। इसके बाद ट्रेन को लेकर आलोचनाओं को दौर और राजनीति शुरू हो गई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करके प्रधानमंत्री मोदी को मेक इन इंडिया पर दोबारा गंभीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत की सलाह दे डाली। वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अखिलेश ने ट्वीट कर वंदे भारत एक्सप्रेस की कहानी देश के विकास की कहानी से जोड़ने का काम किया। राहुल गांधी के ट्वीट से जो राजनीति शुरू हुई उसमें रेलमंत्री पीयूष गोयल भी कूद पड़े। पीयूष गोयल ने ट्वीट कर राहुल गांधी को नसीहत देने में कोई कमी नहीं की। इस विवाद में देश की सबसे बड़ी बायोफार्मा कंपनी बायोकांन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने भी ट्वीट करके भारतीय इंजीनियरों की प्रतिभा, कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए। शां के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। तीखी प्रतिक्रियाओं और आलोचनाओं को देखते हुए किरण शॉ ने लगातार दो ट्वीट करके गलती सुधारी और अपने ट्वीट के लिए माफी मांगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली से 200 किमी दूर रेलवे ट्रैक पर कुछ पशुओं की आने की वजह से ट्रेन की यात्रा बाधित हुई थी। चंद घंटों के बाद ट्रेन का सामान्य संचालन शुरू हो गया था। ऐसा ही मामला लखनऊ मेट्रो के संचालन के समय भी पेश आया था। 6 सिंतबर 2017 को कार्मिशियल रन के उद्घाटन के अगले ही दिन लखनऊ मेट्रो रेल तकनीकी खराबी के चलते बीच रास्ते पटरियों पर खड़ी हो गई थी। उस वक्त यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस पर तंज कसा था और इसके अलावा समाजवादी पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने मेट्रो खराबी के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था। अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा था कि लखनऊ मेट्रो तो पहले से ही बनकर तैयार थी, भारत सरकार ने सीएमआरएस के जरिये एनओसी में इतना लंबा वक्त लिया।

-सुदेशना जैन,

गांधीनगर, दिल्ली।

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