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क्या भारत की कहानी खत्म हुई?

👤 | Updated on:11 Sep 2013 12:06 AM GMT
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       कुलदीप नैयर यह दुनिया भर में मालूम है कि भारत भारी आर्थिक संकट में है। लेकिन अभी तक लोग यह नहीं जान पाए हैं कि इस आर्थिक अस्वस्थता की वजह राष्ट्रपति पणव मुखर्जी और वित्तमंत्री पी. चिंबरम के वे र्निणय हैं जो उन दोनों ने वित्तमंत्री के रूप में लिए हैं ।  पणव मुखर्जी जनवरी 2009 से 2012 के मध्य तक और उनके पहले चिदंबरम 2008 के आखिर तक वित्त मंत्रालय के मुखिया थे। मुखर्जी तो राष्ट्रपति भवन के ऐशो-आराम में रहते हैं और चिदंबरम अपना बचाव इन बड़े-बड़े वायदों से कर रहे हैं कि वे अभी भी अर्थव्यवस्था को "ाrक करने में लगे हैं। अभी की स्थिति के लिए दोनों जबाबदेह हैं। उन्हें यह बताना चाहिए कि उन्होंने ऐसे कदम क्यों उ"ाये जिससे विकास का तालमेल बिगड़ गया। सरकार के कामकाज में पारदर्शिता नहीं होने की वजह से यह सिर्प मुट्ठी भर लोगों को पता है कि उन्होंने कौन सी गलतियां की हैं।  ऐसी गलतियों में से एक है, मुखर्जी की वह गलती जिसमें उन्होंने एक विदेशी मोबाइल कंपनी पर 1200 करोड़ रुपए का टैक्स लगा दिया। इसे बीते पभाव से लागू किया गया। 8 सितंबर, 2010 को सुपीम कोर्ट में मुकदमा हार जाने के बाद सरकार ने इसके लिए अध्यादेश जारी कर दिया और फिर वित्त कानून 2012 बनाया ताकि बीते पभाव से ही टैक्स लगाने का निण्

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