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इंटरनेट ने बदलकर रख दिया है पर्यटन की दुनिया

👤 | Updated on:31 May 2010 3:27 PM GMT
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अगर कहा जाए कि कम्प्यूटर क्रांति ने हमारे कामकाज के ढंग को ही नहीं हमारे सोचने-विचारने, मौज-मस्ती यहां तक कि घूमने-पिफरने की दुनिया को भी पूरी तरह से बदलकर रख दिया है तो इसमें किसी तरह का कोई आश्चर्य नहीं होगा। जी हां, सुनने में भले अटपटा लगे लेकिन सच्चाई यही है कि जैसे कम्प्यूटर और इंटरनेट ने दूसरे क्षेत्रााsं को बदलकर रख दिया है, उसी तरह से पर्यटन के क्षेत्रा पर भी इसने अपना पभाव डाला है। ई-छुट्टियां ऐसा ही शब्द है जिसमें ध्वनित होता है कि किस तरह से हमारे पर्यटन की दुनिया में हाल के दिनों में बदलाव आए हैं। दरअसल ई-छुट्टियां, ई-पर्यटन का अहम हिस्सा हैं। भले कभी मजाक-मजाक में शुरू हुआ हो मगर आज ई-छुट्टियां पर्यटन की दुनिया के एक रोमांच का नाम है। हमारी युवा पीढ़ी जो अपने आपको सिपर्फ युवा कहलाने की बजाय एक्स और वाई जनरेशन कहलाना ज्यादा पसंद करती है। इस पीढ़ी की जिंदगी में जिस तरह तमाम इलेक्ट्रॉनिक गैजेट महत्व रखते हैं वैसा ही महत्व इनके लिए ई-छुट्टियें का भी है। नई पीढ़ी के लिए ई-छुट्टियां मौज मजे का जरिया हैं। ई-पर्यटन दरअसल है क्या? वास्तव में यह एक साइबर गतिविधि् ही है या यूं कहें सर्पिफंग का एक व्यवस्थित तरीका जो हमें घूमने-पिफरने का वर्चुअल अहसास ही नहीं बल्कि वास्तविक खुशी भी देता है। यही कारण है कि ई-पर्यटन सिपर्फ युवाओं के बीच ही मशहूर नहीं हैं बल्कि बड़ों खासकर उन अध्sड़ों को भी उतना ही आकर्षित करता है जो पिछली सदी के अंतिम दशक में इंटरनेट के साथ-साथ आगे बढ़ें। भारत में तो इंटरनेट कापफी बाद में आया है इस वजह से इसके दीवानों में अभी सबसे ज्यादा तादाद युवाओं और किशोरों की ही हैऋ लेकिन पश्चिम में 50 के पार के अध्sड़ भी इससे रोमांचित होते हैं। सिपर्फ आम लोग ही नहीं पिफल्मी सितारे और सेलिब्रिटीज जिन्हें कुछ भी वर्चुअल करने की जरूरत नहीं होती, वह भी इस दुनिया के दीवाने हैं यानी उन्हें भी ई-छुट्टियें का रोमांच आकर्षित करता है। रितिक रोशन, शाहरुख खान, साजिद खान, पफराह खान, शाहिद कपूर, मिनीषा लांबा और पियंका चोपड़ा के बीच एक समानता यह भी है कि ये सभी बॉलीवुड सितारे ई-छुट्टियें के भी दीवाने हैं। अगर बात हॉलीवुड की करें तो एंजेलिना जौली से लेकर मेग रायन तक और लियोनार्डो से लेकर स्वैजनार्गर तक सब ई-पर्यटन के दीवाने हैं। दरअसल ई-पर्यटन तेजी से उभरती एक ऐसी साइबर गतिविधि् है जिसमें हम कहीं जाए बिना ही वर्चुअल रियलिटी के जरिए वहां घूमने का लुत्पफ उ"ाते हैं। यह एक तरह से कल्पना की दुनिया है और कल्पना की दुनिया के लिए छूट होती है कि आप सब कुछ अपने मन का कर सकते हैं। अपनी ड्रीम गर्ल के साथ लंच कर सकते हैं, हाथ में हाथ डालकर समंदर के किनारे घूम भी सकते हैं बस जरूरत सिपर्फ एक छोटे से चिप की होती है जो आपके ब्रेन में इंस्टॉल की जाती है जैसे कि कुछ सालों पहले दुनिया के पहले सायबोर्ग पोपफेसर कैविन वॉरविक ने किया था जोकि आध्s इंसान और आध्s मशीन के रूप में पूरी दुनिया में विख्यात हो गए थे। इंटरनेट आज की तारीख में जिंदगी का बहुत जरूरी आधर हो गया है। उसके बिना जिंदगी एक पल को भी आगे नहीं बढ़ती। अपनी मशहूर किताब `ओनली पैरानॉइड सर्वाइव' में ऐंडी गूव कहते हैं, बिजनेस का मतलब है ई-बिजनेस और उसी तरह इंज्वाय का मतलब है ई-इंज्वाय, कहने का मतलब यह है कि ई-पर्यटन सिपर्फ एक तकनीकी पिफतूर भर नहीं है बल्कि यह आज की और आने वाले कल की अहम गतिविध्यों का हिस्सा है। जैसे-जैसे इंटरनेट का हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पभाव बढ़ रहा है वैसे-वैसे ई-पर्यटन का भी विस्तार हो रहा है। आज ई-बिजनेस ट्रेवल इंडस्ट्री का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस दुनिया के जानकारों का मानना है कि अगले 3 सालों में यानी सन् 2012 तक ई-ट्रेवल समूचे ट्रेवल उद्योग के 25 पतिशत हिस्से पर कब्जा कर लेगा। बहुत तेजी से टूरिज्म बिजनेस आई टी दुनिया का विस्तारित हिस्सा बनता जा रहा है लेकिन यहां हम जिस ई-टूरिज्म की बात कर रहे हैं वह सिपर्फ साधरण पर्यटन के लिए हासिल की जाने वाली ई-सुविधओं का हिस्सा भर नहीं है बल्कि ये वे सुविधएं हैं जो अब के पहले कभी नहीं थीं। वास्तव में ई-पर्यटन दो तरह से संभव हो रहा है एक तो मौजूदा पर्यटन में तमाम सुविधओं को हासिल करने के लिए ई-संचार का सहारा लेना और दूसरी सुविध ई तकनीक के जरिये पर्यटन का ही लुत्पफ लेना है। ई-टिकटिंग, ई-रिजर्वेशन ये अब बहुत पुरानी गतिविध्यों में शुमार हो चुके हैं। अब ई-पर्यटन का मतलब है एक ऐसे मनचाहे साइबर दुनिया की सैर जहां वास्तविक रूप से भी पहुंचने पर भी शायद आपको उतना आनंद न आए जितना आनंद ई-पर्यटन के जरिये मिल सकता है। ई-पर्यटन के जरिये आप साइबेरिया के जंगलों में बिना भालुओं से डरे  घूम सकते हैं और वहां चारें तरपफ पफैली बपर्फ में दौड़ सकते हैं। ई-टूरिज्म आपको आपकी कल्पनाओं की दुनिया में ले जाता है जहां शायद आप वाकई न पहुंच पाएं। ई-टूरिज्म आपको दुनिया की सबसे उफंची चोटी पर न सिपर्फ पहुंचने का लुत्पफ देगा बल्कि वहां तक पहुंचने की दुशवारियों से भी दो-चार कराएगा। ई-पर्यटन के लिए अब दुनिया के कई बड़े शहरों में वैसे ही केन्द खुल रहे हैं जैसे रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए जनरल स्टोर और पीने पिलाने के लिए पब्स मौजूद हैं। ई-सुविधओं ने पहले पारंपरिक पर्यटन को आसान बनाया और अब ये तकनीकी खुद पर्यटन का ही हिस्सा बन गई है। अगले 2 सालों में 2 लाख से ज्याद लोग सिपर्फ न्यूयार्क में ही चांद का भ्रमण करेंगे, ई-पर्यटन के जरिये। लेकिन यह महज वर्चुअल रियलिटी का हैल्मेट लगाकर चांद की सतह पर चहलकदमी की कल्पना भर नहीं होगी बल्कि यह चांद पर पहुंचने, वहां टहलने का वास्तविक अहसास कराएगी। वहां की दिक्कतों और वहां की परिस्थितियों का भी इन्हें जीवंत अहसास होगा। हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि ई-पर्यटन में वास्तविक पर्यटन की जगह ले ली है। लेकिन जिस तरह से ई-पर्यटन ने टैक्नो सैवी जनरेशन को आकर्षित किया है उससे कम से कम कारोबार के नजरिये आने वाले दिनों में ई-पर्यटन एक बड़ा आकार हासिल करेगी। इसमें कोई दो राय नहीं है। वीर अर्जुन

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