अपने पहले पति के पास जाओ
छह साल पहले एक कमयुनिटी पंचायत ने एक ब्याहता महिला गुडिया को अपने पहले पति के पास जाने का फरमान सुनाया था क्योंकि उसका पहला पति अचानक नमुदार हो गया था। हू ब हू उसी तरह का एक दिलचस्प वाकया उप के मिरानपुर में रूनमा हुआ है। उसमें मिरानपुर की पंचायत ने एक मुस्लिम खातून रौशन को अपने पहले पति के पास जाने का हुक्म सुनाया है जिसने पांच साल पहले अपने पति इरशाद के लापता हो जाने के बाद दूसरी शादी कर ली थी। रौशन तीन बच्चों की मां है। इरशाद हाल ही में घर लौट आया है। स्पष्ट हो कि गुडिया मेरठ की रहने वाली थी, अपने पति के घर लौटने के बाद किसी नामालूम बीमारी के कारण उसकी मौत हो गई थी। ठीक उसी तरह महिला रौशन ने अपने पूर्व पति इरशाद के लापता हो जाने के बाद वर्ष 2007 में गफ्फार नाम के एक व्यक्ति से शादी कर ली थी। उससे रौशन की एक औलाद भी है। अब इरशाद चाहता था कि उसकी पत्नी उसके घर आए इसी मकसद से उसने मामले को बिरादरी की पंचायत के सामने रखा जिसने महिला रौशन की दूसरी शादी को रद्द कर दिया और उसको अपने पूर्व पति के पास जाने की हिदायत दी। बताया जाता है कि रौशन का पहला पति इरशाद गत सात वर्ष से लापता था तब जाकर महिला रौशन गफ्फार नाम के व्यक्ति से शादी रचाई थी।, मुजफ्फर नगर के जिला न्यायाधीश संतोष यादव ने पंचायती फरमान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस बारे में काई भी कानूनी कार्यवाही विचार-विमर्श के बाद ही करेंगे, सकिय मुस्लिम मौलवी मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा है कि फतवा माना न जाएगा अगर पंचायत में कोई मुस्लिम आलिम मौजूद न था। जरूरत इस बात की थी कि अपनी शादी की समस्या को हल करने के लिए किसी आलिम या मुफ्ती के पास जाती आपने कहा कि रौशन के पति के गायब हो जाने के नौ वर्ष तक उसकी शादी जायज ही समझी जाती इसके अलावा रौशन को चाहिए था कि अपना निकाह कैंसल करा दे। अगर वह वाकई दुबारा शादी करना चाहती थी । इस तरह मौलाना साहिब के ख्याल में दूसरी शादी गैरकानूनी है। स्पष्ट हो कि गुडिया 2004 में अवाम की नजरो ंमें थी जब उसका पहला पति इरशाद कारगिल युद्ध के कैदियों में से तबादला के बाद वापस भारत पहुंच गया। पंचायत ने तौफीक नाम के एक व्यक्ति से उसकी दूसरी शादी को गैरकानूनी कह दिया था और उसे हिदायत की कि वह आरिफ के पास चली जाए। हालांकि आरिफ जंग के बाद गायब हो गया था। बेटी पर बाप ने तेजाब फेंका जात-पात का एक और मामला मंजरेआम पर आया है जिसे खाप का केस भी कहा जा सकता है। बयान किया जाता है कि पश्चिमी उप की 18 वर्षीया लड़की की मौत हो गई जब उसके बाप ने उस पर तेजाब फेंक दिया। बाप को यह शिकायत थी कि लड़की ने उसके कहने के बावजूद अपने महबूब से जुदा होने से इंकार कर दिया था। पुलिस ने लड़की के पिता असगर को पाथमिकी नोटिस पर गिरफ्तार कर लिया लेकिन लड़की ने अपने बयान में कहा उसने खुद अपने शरीर पर तेजाब डाला है क्योंकि वह अपनी जिंदगी से बेजार हो रही थी और उसे खत्म करना चाह रही थी। उप के बुलंदशहर जिला के चौराना गांव की गुलिस्तां नजदीक ही रहने वाले एक नौजवान से मोहब्बत करती थी। पुलिस किसी वजह से पता न कर सकी कि यह लड़का कहां है। कहा जाता है कि लड़की के 50 वर्षीय पिता असगर और उसका बेटा इस संबंध के खिलाफ थे। बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जेके शाही ने कहा कि लड़की नजदीक ही एक नहर पर लेटी नजर आई लेकिन उसका शरीर तेजाब से झुलस चुका था। उसे फौरन ही सरकारी अस्पताल भेजा गया जहां वह दम तोड़ गई। बुलंद शहर के मेडिकल चीफ सुपरिंटेंडेंट डा एसपी आहूजा ने बताया कि लड़की को जब अस्पताल पहुंचाया गया तो वह 55 पतिशत जल चुकी थी। इस तरह कहा जा सकता है कि आजकल ऐसे वाकयात कम होने की बजाय ज्यादा ही ज्यादा होते जा रहे हैं। अगर हिन्दुओं में खाप की लानत मौजूद है तो मुसलमानों में भी वकार का सवाल कम नहीं है। चाहिए तो यह था कि ज्यों-ज्यों तालीम बढ़ती जा रही है दकियानूसी महौल से निजात हासिल की जाए। ल्sाकिन बदकिस्मती से देखने को कुछ और ही मिलता है और ऐसे कत्ल रोजआन ही हो रहे है। साफ है कि जब तक इनको रोकने के लिए नियमित तौर पर कोई कानून नहीं बनता तब तक ऐसे वाकयात को रोकना एक असंभव सी बात नजर आ रही है।