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अमेरिका 26 नवम्बर के अपराधियों को कटघरे में लाएगा

👤 | Updated on:6 Jun 2010 2:59 PM GMT
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ऐसा नजर आता है कि पिछले कुछ दिनों में अमेरिकन हुक्काम ने भारत को राम करने के लिए एक बाकायदा अभियान शुरू कर रखा है और इसकी रहनुमाई अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के हाथ में है। अमेरिका की इन कोशिशों की एक खास वजह यह दिखती है और वो यह है कि जो नई पॉलिसी पूर्वी एशिया के बारे अमेरिका ने बनाई है उसमें भारत की एक खास अहमियत है। लेकिन उसकी मुश्किल यह हो रही है कि आज से पहले उसने पाकिस्तान को उतनी अहमियत दे रखी थी कि आज जब भी अमेरिका कोई ऐसी बात करता है जिसे इस्लामाबाद पसंद नहीं करता तो वह चिल्लाना शुरू हो जाता है। पिछले कई दिनों से अमेरिका के तासुरात यह साबित कर रहे हैं कि वह इस हालत में भारत को बिगड़ने नहीं दे रहा। बेशक भारत उसकी नीयत पर विश्वास करता है लेकिन वह यह बात भूलने को तैयार नहीं कि मध्य एशिया के बारे उसने जो अपनी नीति बना रखी है उसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों को काफी से ज्यादा अहमियत दी जा रही है। अब जबकि भारत को राम करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं तो यह सवाल पैदा हो रहा है कि किस हद तक अमेरिका पाकिस्तान को नजरंदाज कर देगा और भारत की पीठ ठोंकेगा। इस सिलसिले में इस बात का भी इशारा हो रहा है कि अमेरिका ने पाकिस्तान से कह दिया है कि भारत अफगानिस्तान में जो कुछ कर रहा है वह केवल अपने संबंधों को सुधारने की गरज से या अफगानिस्तान की मदद करने की गरज से कर रहा है। पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाने का किसी का इरादा नहीं है। बेशक पाकिस्तान अपने हित को ध्यान में रखते हुए अमेरिका के इशारे को समझने को तैयार नहीं है। लेकिन इन्हीं दिनों अमेरिका के विदेश विभाग ने भारत के प्रति जो नीति अपनाई है उसे ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि वाशिंगटन डीसी इस बात के लिए भी तैयार है कि पाकिस्तान अगर खफा होता है तो हो जाए उसकी वजह यह है कि आज पाकिस्तान अमेरिका पर इस कद्र निर्भर रहा है कि एक हद से ज्यादा उसके खिलाफ जाने को तैयार नहीं और यह बात है जिसने अमेरिका को इस बात का हौंसला दे दिया है कि वह भारत से अपने जैसे संबंध बनाना चाहता है, बना ले। चुनांचे भारत को राम करने की कोशिशों में ताजातरीन नवम्बर 2008 के कत्लेआम के वाकया के आरोपियों को गिरफ्तार करने में अमेरिका पूरी तरह भारत का साथ दे रहा है। वो यह जानता है कि पाकिस्तान इस बात को पसंद नहीं करता लेकिन नजर यह आता है कि अमेरिका ने इस बात का तहैया कर लिया है कि जैसे भी हो भारत को संतुष्ट किया जाए और उसके अपने नजरियों में भारत को जो बात पसंद नहीं है उसे या तो तर्प कर दिया जाए या उसमें मुनासिब सुधार किया जाए। आज तक पाकिस्तान को अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती हुई दिलचस्पी पर सख्त एतराज हुआ। वो यह समझता है कि भारत अफगानिस्तान से पाकिस्तान को निकाल देने की कोशिशें कर रहा है हालांकि ऐसी कोई बात नहीं। भारत सरकार आज अगर इस्लामाबाद की पुश्त पर है तो महज इसलिए कि वे उसे तालिबान के खतरे से बचाना चाहता है और ऐसा करने के लिए इसके लिए उसकी हर तरह की मदद करने को तैयार है जबकि पाकिस्तान यह समझ रहा है कि भारत उसे अफगानिस्तान से निकालने की नीति पर चल रहा है, खैर। अब अमेरिका ने पाकिस्तान की भावनाओं की परवाह न करते हुए सार्वजनिक तौर पर ऐलान कर दिया है कि नवम्बर 2008 के आरोपियों को पकड़ने में अमेरिका हर तरह से भारत की मदद करेगा। इसके साथ ही भारत को इस बात का आश्वासन भी दिया गया है कि जो दिलचस्पी उसने अफगानिस्तान के मामले में अपना रखी है उसे वाशिंगटन डीसी बड़ी अच्छी तरह समझता है और पाकिस्तान की नापसंदीदगी के कारण वह अपने रवैये में कोई परिवर्तन करने का इरादा नहीं रखता। लेकिन इस अहम यकीनदहानी के बावजूद भारत सरकार इस बात को नजरंदाज करने को तैयार नहीं कि अमेरिकन सरकार को मध्य पूर्व में पाकिस्तान की खास जरूरत है। इसलिए वह उसे भी किसी हालत में नजरंदाज नहीं करना चाहता और उसकी कोशिश यही होगी कि जो गलतफहमी अफगानिस्तान में भारत के बारे में पाकिस्तान में महसूस हो रही है उसे दूर किया जाए। इस सिलसिले में यह इशारा हो रहा है कि अमेरिका ने भारत सरकार को समय-समय पर अफगानिस्तान के हालात बताने और समझाने की अपनी नीति का एक अंग बना लिया है। पाकिस्तान की मुश्किल यह है कि जिन आतंकवादियों की आज तक वह हौंसला अफजाई करता रहा है वह उसके इशारे पर अमेरिका के प्रति अपने रवैये में कोई परिवर्तन करने को तैयार नहीं। इसके बरखिलाफ अमेरिका पाकिस्तान से कह रहा है कि जैसे भी हो, उन लोगों को राम करके ख्वामख्वाह भारत को परेशान करने की नीति को तर्प कर दे। इन्हीं दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऐलान किया है कि वे नवम्बर के महीने में भारत यात्रा पर आएंगे। इन्हीं दिनों दोनों देशों में जो वाकयात हो रहे हैं उन पर अमेरिका ने निहायत सख्त रद्देअमल अपनाया है। अमेरिका की विदेश मंत्री श्रीमती हिलेरी क्लिंटन ने इस बात का ऐलान किया है कि आतंकवाद के खिलाफ जो नीति शुरू की गई है उसका अमेरिका पूरा समर्थन करेगा और अगर पाकिस्तान ने इस बात को पसंद न किया तो उससे कह दिया जाएगा कि वह जो कुछ कर रहा है, अमेरिका के हित में कर रहा है और अगर पाकिस्तान को वह नीति समझ नहीं आ रही है तो खामोशी से हालात का अध्ययन करता रहे और ख्वामख्वाह अपनी नाराजगी का इजहार न करे। श्रीमती हिलेरी क्लिंटन ने भारतीय संस्थाओं को इस बात का विश्वास भी दिलाया है कि पाकिस्तानी और तालिबानी आतंकवादियों के बारे में अमेरिका को जो भी सूचना मिलती है उसे वह भारत को पहुंचाता रहेगा। ऐन मुमकिन है कि पाकिस्तान इस बात पर खफा हो जाए लेकिन नजर यह आता है कि अब अमेरिका इस बात के लिए तैयार हो गया है कि पाकिस्तान अगर बेमानी बातों से इसकी नीति से बिगड़ता है या भारत के समर्थन में वह जो नीति अपनाता है वो पाकिस्तान को पसंद नहीं तो उसमें वो पाकिस्तान की कोई मदद करने को तैयार नहीं। अफगानिस्तान के बारे में  भारत जो ज्यादा से ज्यादा वाबस्तगी अख्तियार कर रहा है उसके बारे में अमेरिका का कहना है कि दोनों देशों का फायदा इसी में है कि अफगानिस्तान की ज्यादा से ज्यादा मदद की जाए और अगर पाकिस्तान खफा होता है तो उसकी खुफगी को कम करने की तमाम कोशिशें की जाएंगी और उसे इस बात का आश्वासन दिया जाएगा कि अफगानिस्तान में जहां तक उसके कयाम का संबंध है उस पर कोई आंच नहीं आएगी। अमेरिका से आने वाली सूचनाओं में इस बात पर खास जोर दिया जा रहा है कि अफगानिस्तान के बारे में दोनों देश एक-दूसरे से ज्यादा से ज्यादा विचार-विमर्श करेंगे। अफगानिस्तान की भलाई दोनों देशों के फायदे में है और वह दोनों यह चाहते हैं कि किसी बाहरी शक्ति के बिना अफगानिस्तान तरक्की करता रहे। इस बात को भी ध्यान में रखा जा रहा है कि भारत ने अफगानिस्तान की वित्तीय सहायता के लिए 1.3 अरब डालर अफगानिस्तान को दिए हैं। जो सहायता भारत अफगानिस्तान को दे रहा है उसमें नवनिर्माण और खासकर अफगानिस्तान की संसद का निर्माण कार्य है। इस सिलसिले में भारतीय और अमेरिकन इंजीनियर अफगानिस्तान की सहायता कर रहे हैं और इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि काबुल ज्यादा से ज्यादा बिजली हासिल कर सके। स्पष्ट हो कि भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा इन दिनों वाशिंगटन गए हुए हैं और उन्होंने 26 नवम्बर के कत्लेआम मामले में अमेरिका की मदद पर उसका शुक्रिया अदा किया है। इसके अलावा डेविड हेडली से बातचीत की इजाजत पर भी शुक्रिया अदा किया है। आपने एक सरकारी बयान में कहा है कि अमेरिकन सरकार ने हमें जिस मदद का इशारा किया है हम उसके लिए शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। इस सिलसिले में यह उम्मीद की जाती है कि अमेरिकन सरकार मुंबई के हादसे के मामले में जिन लोगों को गिरफ्तार करती है उन्हें भारत की पुलिस से मिलने की इजाजत देगी। श्री कृष्णा का कहना है कि आप उम्मीद करते हैं कि इस तरह की साझा कोशिशें आने वाले दिनों में मुंबई के हमले जैसे वाकयात को रोकने में मददगार साबित होंगी। इस सिलसिले में अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा के इस ऐलान पर खास तवज्जों दी जा रही है जिसमें आपने कहा है कि  विश्वस्तरीय अमन और शांति की जो नीति है और जिसका समर्थन अमेरिका कर रहा है उसके लिए भारत की मदद और उसका सहयोग अति आवश्यक है और आप उम्मीद करते हैं कि यह अमेरिका को मिलता रहेगा।  

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