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कुछ तुम कहो कुछ वह कहे

👤 | Updated on:6 Jun 2010 4:48 PM GMT
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शादी के थोड़े समय बाद पति-पत्नी के बीच अलगाव एक आम समस्या बनता जा रहा है। तलाक के मामलें में लगातार वृ( को देखकर लगता है कि किसी का भी विवाह जैसी संस्था में क्या विश्वास बचा रहेगा? मनोविद पति-पत्नी के बीच बढ़ती दूरी कम्युनिकेशन गैप या संवादहीनता को एक बहुत बड़ी वजह मानते हैं। कई बार पति-पत्नी आपसी लड़ाई के बाद बातचीत करना बंद कर देते हैं और कई पति-पत्नी थोड़े समय बाद सब कुछ भूलकर नॉर्मल हो जाते हैं। वैसे देखा जाए तो आजकल कामकाजी पति-पत्नी के बीच संवादहीनता यानी कम्युनिकेशन गैप का यह रोग अपनी जड़े मजबूत बना रहा है। दोनों की व्यस्त दिनचर्या के बाद रात में मतलबभर की बातचीत होती है। जिंदगी में बस काम ही काम होता है और कुछ नहीं होता। दोनों अपनी-अपनी दिनचर्या में इतना ज्यादा उलझते जाते हैं कि दोनों के बीच एक संवादहीनता पैदा हो जाती है और आपसी इगो और नाराजगी के चलते बातचीत भी बंद हो जाती है। दोनों एक दूसरे को पहले बुलाने में अपनी हे"ाr समझते हैं नतीजतन दोनों के बीच दूरियां बढ़ती जाती हैं। तिल का ताड़ बन जाता है। नपफरत और गुस्सा दोनों के जीवन में इस कदर हावी हो जाता है कि दोनों एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते और इसकी परिणति तलाक में जाकर होती है। रिश्तों रूपी वृक्ष को हर समय हरा भरा बनाए रखने के लिए हमें उसे भी उचित देखभाल और पालने पोसने की जरूरत होती है। यह सिपर्फ कीर्ति का ही मामला नहीं है। आजकल शादी के थोड़े समय बाद पति-पत्नी के बीच अलगाव एक आम समस्या बनता जा रहा है। तलाक के मामलें में लगातार वृ( को देखकर लगता है कि किसी का भी विवाह जैसी संस्था में क्या विश्वास बचा रहेगामनोविद पति-पत्नी के बीच बढ़ती दूरी कम्युनिकेशन गैप या संवादहीनता को एक बहुत बड़ी वजह मानते हैं। कई बार पति-पत्नी आपसी लड़ाई के बाद बातचीत करना बंद कर देते हैं और कई पति-पत्नी थोड़े समय बाद सब कुछ भूलकर नॉर्मल हो जाते हैं। वैसे देखा जाए तो आजकल कामकाजी पति-पत्नी के बीच संवादहीनता यानी कम्युनिकेशन गैप का यह रोग अपनी जड़े मजबूत बना रहा है। दोनों की व्यस्त दिनचर्या के बाद रात में मतलबभर की बातचीत होती है। जिंदगी में बस काम ही काम होता है और कुछ नहीं होता। दोनों अपनी-अपनी दिनचर्या में इतना ज्यादा उलझते जाते हैं कि दोनों के बीच एक संवादहीनता पैदा हो जाती है और आपसी इगो और नाराजगी के चलते बातचीत भी बंद हो जाती है। दोनों एक दूसरे को पहले बुलाने में अपनी हे"ाr समझते हैं नतीजतन दोनों के बीच दूरियां बढ़ती जाती हैं। तिल का ताड़ बन जाता है। नपफरत और गुस्सा दोनों के जीवन में इस कदर हावी हो जाता है कि दोनों एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते और इसकी परिणति तलाक में जाकर होती है। रिश्तों रूपी वृक्ष को हर समय हरा भरा बनाए रखने के लिए हमें उसे भी उचित देखभाल और पालने पोसने की जरूरत होती है। पति-पत्नी अपने रिश्ते को कैसे तरोताजा बनाए रखें आइये जानें-पति-पत्नी अपने रिश्ते को कैसे तरोताजा बनाए रखें आइये जानें- t अड्जेस्ट करेंक्र अड्जेस्ट करें एक दूसरे के साथ तू तड़ाक न करें। छोटी-छोटी बातों को दिल से लगाकर बिना वजह व्यथित न हों। छोटी सी बात को बड़ा बनाना समझदारी नहीं होती। छोटी-छोटी बातों को बड़ा रूप लेने से पहले ही खत्म कर देना चाहिए। छोटी-छोटी बातों को मन में रखकर उन्हें अपनी नकारात्मकता  से बड़ा न बनाएं। गुस्से में न रहें क्योंकि हर समय गुस्सा रहने से ही कम्युनिकेशन गैप बढ़ता है। बातचीत न करने पर लड़ाई की संभावनाएं कम नहीं होतीं बल्कि बढ़ जाती हैंऋ क्योंकि मन ही मन गुस्सा रखकर हम उसे अपने भीतर बढ़ाते रहते हैं। रिश्तों के बीच में इगो नहीं होनी चाहिए। व्यवहार में अपनापन लाएं। एक दूसरे पर अंगुली न उ"ाएं। t पॉजिटिव सोचेंक्र पॉजिटिव सोचें रिश्तें को मध्gर बनाने के लिए परिपक्वता होना जरूरी है। रिश्तों के पति संवेदनशील रहें। एक दूसरे की जरूरतों को समझें और एक दूसरे के सुख दुख को समझकर एक दूसरे से व्यवहार करें। एक दूसरे की बात को सुनें और बात को नेगेटिव लेने की बजाय पॉजिटिव लें। पॉजिटिव सोचें और पॉजिटिव करें। t बढ़ाएं बातचीत का दायराक्र बढ़ाएं बातचीत का दायरा पति-पत्नी की रुचियां यदि एक दूसरे से अलग हों तो भी अपने बातचीत के दायरे को बढ़ाने का पयास करें। भले ही दोनों का कार्यक्षेत्रा एक दूसरे से बिल्कुल अलग हो तो भी बातचीत के कुछ ऐसे साझे विषय बनाएं जिसमें दानों की हिस्सेदारी हो सके। ऑपिफस से घर आने के बाद दोनों मिलकर चाय पियें। एक दूसरे से बातचीत करें। यदि समय का अभाव हो तो भी रात में खाना खाकर एक साथ टहलने जाएं जिससे आपस में बातचीत हो सके। t एक दूसरे के साथ हर समय संपर्क में रहेंक्र एक दूसरे के साथ हर समय संपर्क में रहें अकसर सुनने में आता है कि कामकाज की व्यस्तता के चलते पति-पत्नी को एक दूसरे से बातचीत का मौका नहीं मिलता। इस तरह का रव्वैया न अपनाएंं। दिन के समय पति-पत्नी पफोन द्वारा एक दूसरे की कुशलता का समाचार जानें। पत्नी यदि घर में है तो उस समय भी पति घर में पफोन करके उसका हालचाल पूछें जिससे दोनों के बीच दूर रहते हुए भी नजदीकियां बनी रहें। पति-पत्नी आपस में अपनी शिकायतों को एक दूसरे से कहें। अंदर ही अंदर घुलकर किसी से कुछ न कहने वाले लोग अकसर अपने रिश्तों को खराब करते हैं। एक दूसरे के पति मन में अगर शिकायत हो तो उसे मन में न रखकर सामने लाएंंऋ क्येंकि बात को लम्बे समय तक मन में रखने से वह और बढ़ती जाती है। इसे अगर कह दिया जाए तो वह वहीं खत्म हो जाती है। t रिश्तें तो रिश्ते हैंक्र रिश्तें तो रिश्ते हैं पति-पत्नी के रिश्ते में अगर हम बंध्s हैं तो क्यों न इन रिश्तों की डोर को मजबूत बनाया   जाए? सचमुच ये रिश्ते बहुमूल्य हैं। इन्हें बचाएं। इन्हें संवारें। इन्हीं पर टिकी हैं हमारे जीवन की नीव। नीलम अरोड़ा  

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