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सुप्रीम कोर्ट और कत्ल के आरोपी

👤 | Updated on:7 Jun 2010 3:39 PM GMT
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जिस तरीके पर दिल्ली पुलिस अमल कर रही है उस पर सुप्रीम कोर्ट को सख्त शिकायत हो गई है। सोमवार के दिन कुछ न्यायाधीशों ने यह कहा कि कत्ल के सैकड़ों आरोपी दिल्ली में खुलेआम घूमते-फिरते हैं जबकि उन्हें जेल की चारदीवारी में होना चाहिए था। यह आश्चर्यजनक हकीकत दिल्ली के लॉ एण्ड ऑर्डर पर कितना असरंदाज हो सकती है, इसका जिक्र जस्टिस जीएफ सिंघवी और सीके प्रसाद की बैंच ने किया। जब उन्होंने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीपी मल्होत्रा से पूछा कि क्या वजह है कि आज तक कत्ल के आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया। हालांकि इस वाकया को 8 महीने होने के हैं। यह वाकया मौजपुर पुलिस थाने का है, जहां धनपाल और उसके बेटे कमल ने दूसरे लोगों की मदद से एक आदमी को मार डाला था। बाप और दोनों बेटों पर आरोप साबित हुआ। यह 2010 की बात है जब उन्हें सजा हुई थी। उनकी अपील नामंजूर हो गई जबकि यह वाकया सितम्बर 2009 का है। इस पर धनपाल ने अपने आपको पुलिस के हवाले कर दिया लेकिन कमल आजादी से घूमता रहा। जब बाप ने अपनी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी तो फिर पता चला कि कमल अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ। इस पर दोनों जज आग बबूला हो गए और पुलिस से पूछा कि वजह बयान करो कि इस व्यक्ति को क्यों गिरफ्तार नहीं किया जा सका। जज साहिबान का ख्याल है कि जानबूझकर यह गिरफ्तारी नहीं हो रही। ज्योंहि धनपाल की जमानत की अर्जी पेश हुई तो बैंच ने पूछा कि क्या वजह है कि दूसरा आरोपी अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ। इस पर वकील पक्ष ने कुछ कहना चाहा लेकिन बैंच ने कह दिया कि वह दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को हिदायत कर रही है कि इस मामले में जो पुलिस अफसर तहकीकात कर रहा है उसे सस्पेंड किया जाए। इस चेतावनी का प्रभाव अच्छा हुआ। बचाव पक्ष की तरफ से कहा गया कि आरोपी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जो अफसर इस केस का इंचार्ज है उसकी सफाई पेश करते हुए सरकारी वकील ने कह दिया कि कुछ और मामले भी हैं लेकिन जज साहिबान कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। आपका कहना है कि दिल्ली में हजारों ऐसे केस हैं जिसे पूछने वाला  कोई नहीं। जज साहिबान ने यह भी कहा कि अपनी सफाई में पुलिस जो कुछ कह रही है उससे वह बड़ी अच्छी तरह वाकिफ हैं और उनके दिमाग में कोई गलतफहमी नहीं है। जज साहिबान ने फरमाया कि वह किसी किस्म की दलील सुनने को तैयार नहीं। उनका कहना है कि दिल्ली में हजारों ऐसे लोग खुलेआम घूम-फिर रहे हैं, किसी को फिक्र नहीं है।  जज साहिबान ने आगे फरमाया कि उनके ख्याल में कत्ल का आरोपी शायद ही कभी अधिकारियों के नोटिस से बच जाए लेकिन नजर यह आता है कि पुलिस अधिकारियों ने विभिन्न रंगों की ऐनक लगा रखी है जिनसे वह हकीकी आरोपियों को पहचान नहीं सकते। देखने की बात है कि जज साहिबान की इस चेतावनी का असर पुलिस पर होता है या नहीं। बुद्धदेव भट्टाचार्य अपने केंद्रीय लीडरों से लापरवाह ऐसा नजर आता है कि बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने इस बात का फैसला कर लिया है कि शनिवार को उनकी पार्टी की जो मीटिंग होने वाली है उसमें आप शरीक नहीं होंगे। बेशक इस मीटिंग की तारीख काफी दिन पहले तय हो चुकी थी। लेकिन इस असना में बंगाल में म्यूनिसिपल चुनाव में पार्टी को जबरदस्त शिकायत हुई है और उम्मीद की जाती है कि श्री भट्टाचार्य पार्टी लीडरों को इस शिकस्त के बारे में बताएंगे ताकि आगे के लिए ऐसी शिकस्त से पार्टी बच जाए। असल में मार्क्सवादी लीडरों की यह मीटिंग अगस्त के महीने में होने वाले प्रोग्राम पर गौर करने के लिए बुलाई गई थी लेकिन इस असना में कोलकाता म्यूनिसिपल चुनाव का नतीजा सामने आ गया है और यह इतना अहम वाकया है कि इस पर गौर किए बिना कोई मीटिंग नहीं हो सकती और पार्टी उम्मीद करती है कि बंगाल के लीडर इसमें शामिल होंगे। सूचना यही है कि श्री भट्टाचार्य इस मीटिंग में शरीक होने का कोई इरादा नहीं रखते। जब आपसे इस मीटिंग के बारे में पूछा गया तो आपने फरमाया कि मैं इसमें शामिल होने नहीं जा रहा, मैं यहां बैठा हूं। आमतौर पर मार्क्सवादी लीडर यह महसूस करते हैं कि भट्टाचार्य साहब कोलकाता में हालिया चुनाव के नतीजों के बाद पैदा हुए हालात की पेचीदगियों को समझने की गरज से राज्य से कहीं बाहर जाना नहीं चाहते। लेकिन इसके बावजूद आपसे कहा गया कि आप सेंट्रल कमेटी की मीटिंग में जरूर आएं। लेकिन भट्टाचार्य साहब ने कह दिया है कि वह मीटिंग में शरीक होने का कोई इरादा नहीं रखते। इशारे इसी बात के हो रहे हैं कि इस बड़ी मीटिंग में कोलकाता के चुनाव नतीजों पर खुले दिल से विचार होगा। स्पष्ट हो कि आज से पहले भी श्री भट्टाचार्य पार्टी की मीटिंगों से गैर हाजिर रहे हैं। श्री भट्टाचार्य का फैसला कि वह इस मीटिंग में शामिल नहीं होंगे, इस बात का इशारा करता है कि आपको पार्टी के कुछ लीडरों की नीति पर नुक्ताचीनी की शिकायत है। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के प्रति आगे क्या रवैया अपनाया जाना है, इस पर भी गौर होगा। अलकायदा का एक और लीडर मारा गया अलकायदा का नम्बर तीन का लीडर मुस्तफा अबू यजीद अलमिस्री जो दक्षिण और मध्य एशिया में अलकायदा का प्रचार कर रहा था और जिसने भारत को भी 26 नवम्बर के वाकया की तरह के एक नया वाकया की धमकी दी थी वह पाकिस्तान के कबाइली इलाके में अमेरिकन हवाई जहाज डर्बन की बमबारी का शिकार हो गया है। मिस्र में पैदा हुआ मुस्तफा अहमद मोहम्मद उस्मान अबू यजीद जो मुस्तफा अबू यजीद अलमिस्री के नाम से जाना जाता है, उसकी पत्नी और तीन बच्चे 25 मई के दिन अमेरिकन डर्बन हवाई जहाज बमबारी में दाताखील एरिया में हलाक हो गए। यह वाकया मिरान शहर से 25 किलोमीटर दूर उत्तरी वजीरिस्तान में हुआ। बयान किया जाता है कि अबू यजीद अमेरिकन बमबारी का सबसे बड़ा शिकार है। इससे पहले उसकी मौत की जो खबरें आई थीं वो गलत साबित हुई हैं और अब अलकायदा ने खुद तस्लीम किया है कि अबू यजीद बमबारी में हलाक हो गया है।  

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