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पाकिस्तान के नजारे

👤 | Updated on:12 Jun 2010 3:14 PM GMT
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पेज 1                                                       देश विदेश                                                                       स्वास्थ्य                                             सम्पाक्दकीय                   क्या उम्मीद की जाए कि भारत में बैठे पाकिस्तान के लिए तड़पने वाले मुसलमान उस देश के हालात से संतुष्ट हैं और क्या यह उम्मीद कर रहे थे कि भारत से अलग होने के बाद जो इलाका   पाकिस्तान कहा जाएगा उसमें इस किस्म की शांति व अमन देखने में मिलेगा जैसा इन दिनों मिल रहा है। इस सिलसिले में अफगानिस्तान के हालात भी बयान करने पड़ रहे हैं क्योंकि पाकिस्तानी सरकार यह समझती है कि अफगानिस्तान उसका एक सूबा है इसलिए वहां जो कुछ भी हो रहा है वो पाकिस्तान को हकीकत से आशना कर रहा है। जो भी हो ताजातरीन सूचना यह है कि तालिबान स्थित इलाके के अफगानिस्तान में 40 लोगो का खून कर दिया गया और दर्जनों को जख्मी। यह सूचना हुक्काम ने वीरवार के दिन दी। यह सूचना अफगानिस्तान में अमेरिकन फौजों के कमांडर की तरफ से आई है जिसमें आपने इशारा किया है कि जिस इलाके पर आज तालिबान का कब्जा है उसे आजाद करने में ज्यादा वक्त लगेगा जबकि पहले यह उम्मीद की जाती थी कि यह सब कुछ दिनों में हो जाएगा। जो बम बुधवार के दिन चला उसने अफगानिस्तान के कंधार शहर में एक दीवार को पूर्णतया ध्वस्त कर दिया। इत्तेफाक से वहां एक शादी समारोह चल रहा था। जब यह बम चला इससे वह इमारत पूर्णतया ध्वस्त हो गई। ईंटें व पत्थर खाने की मेजों पर आ गिरे। खुशकिस्मती से औरतों की पार्टी साथ वाले कमरे में हो रही थी जहां उस बम का कोई असर न हुआ। अफगानिस्तान के मंत्री जमीरी बुशरा का कहना है कि हलाकों में जख्मी कुछ बच्चे भी हैं। यह एक कातिलाना हमला था। आपके एक अन्दाजे के मुताबिक 40 हलाक और 74 जख्मी हुए। इत्तेफाक से दुल्हा मियाँ भी जख्मियों में शामिल है। ज्यादा काबिलेगौर बात यह है कि जिस खानदान पर हमला हुआ उसमें अफगानिस्तान की पुलिस के कई लोग शामिल हैं। दुल्हे का भाई और उसके दो भांजे पुलिस में हैं। तालिबान ने बेशक इस बात से इंकार किया है कि यह हमला उनका है। लेकिन इस बात के जबरदस्त इशारे हैं कि यह हमला भी आज से पहले के हमलों की तरह का है जिसमें सरकार से वाबस्ता लोग हलाक हो गए थे। यह खौफनाक हमला उस समय हुआ जब अमेरिकन फौजों के कमांडर जनरल स्टेनले मैक क्रिस्टल ने कहा कि कंधार के इलाके को आजाद करने में जरूरत से ज्यादा वक्त लगेगा। हालात का जायजा लेने वाले लोग इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि स्थानीय बाशिंदे तालिबान से वो नफरत नहीं करते जिसकी किसी वक्त उम्मीद थी। इससे बढ़कर जो चिन्ताजनक बात है वो यह कि अमेरिकन फौजें जिन लोगों की सुरक्षा कर रही हैं वो नहीं चाहते कि अमेरिकन उनकी रक्षा करें। ऐमनेस्टी इंटरनेशेल ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ इसलिए जबरदस्त नुक्ताचीनी की है कि वह अपने शहरियों की रक्षा में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही। आज हालत यह है कि लाखों लोग ऐसे इलाके में रह रहे हैं जहां कानून नाम की कोई चीज नहीं और तालिबान के निजाम के तहत उन्हें रहना पड़ रहा है। ऐसे लोगों की संख्या कम से कम चालीस लाख है और नजर यह आता है कि पाकिस्तान सरकार ने उन्हें उनके अपने रहमोंकरम पर छोड़ दिया है। ऐमनेस्टी के इंचार्ज जनरल क्लाडियू कार्डोन के यह तास्सुरात हैं। आपका कहना है कि इन 40 लाख के अलावा 10 लाख के करीब ऐसे भी पाकिस्तानी हैं जो इस इलाके में रह रहे हैं जो अमली तौर पर तालिबान के रहमोंकरम पर हैं और ऐसा नजर आता है कि पाकिस्तान सरकार ने यह समझ रखा है कि उन्हें किसी तरह की मदद की जरूरत नहीं है। लन्दन स्थित मानवाधिकार आयोग ने पाकिस्तानी सरकार और तालिबान से कहा है कि वह अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का ध्यान रखें। ऐमनेस्टी के मुताबिक 2009 में 1300 सिविलियन हलाक हो गए थे। एक स्कूल का टीचर जो अपने परिवार के साथ स्वात वादी से भाग रहा था, ने बताया कि सरकार ने आपकी किस्मत तालिबान के हाथ में दे दी है। आपने सवाल किया कि इतनी बड़ी संख्या में फौज का क्या फायदा जो अपने नागरिकों की रक्षा उन दरिन्दों से नहीं कर सकती। उन्होंने मेरे स्कूल पर कब्जा कर लिया और बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया जिसमें यह सबक  सबसे पहले दिया गया कि अफगानिस्तान में किस तरह लड़ना है। इन्हीं दिनों तालिबान ने पाकिस्तान सरकार को धमकी दी है कि वह उत्तरी वजीरिस्तान में तालिबान के खिलाफ कोई कार्रवाई न करे। अगर सिक्योरिटी ने ऐसा किया तो उन्हें भयानक नतीजे देखने होंगे। तालिबान की यह धमकी इश्तिहारों में बांटी गई थी जो वजीरिस्तान के कबायली इलाके के शहर मिरान शाह में तकसीम किए गए। मोटर गाड़ियों में सवार तालिबान उर्दू और अंग्रेजी में प्रकाशित इस पम्पलेट को लोगों में बांटते जा रहे थे। कई जगह पर यह इश्तिहार चिपकाए भी देखे गए। जिनमें सरकार को धमकी दी गई थी कि वह उत्तरी वजीरिस्तान में कोई हमला न करे और अवाम से अपील कर रहे थे कि वह जालिमाना ताकतों के खिलाफ जेहाद के लिए तैयार हो जाएं। कराची की खबर है कि पाकिस्तानी बेड़े के एक अधिकारी के घर के सामने एक बम मिला। यह बम एक मोटर साइकिल में छिपा था। यह सारी खबरें तालिबान के जेरे असर पाकिस्तानियों और अफगानियों को परेशान कर रही है। लेकिन मैं अपने भारतीय मुस्लिम भाइयों से पूछना चाहता हूं कि इन तमाम खबरों की मौजूदगी में वह फिर भी पाकिस्तान के लिए तड़पते रहते हैं। दानिशमंदी का तकाजा है कि अपने दिमाग से पाकिस्तान को निकाल दें, क्योंकि जब तक वे पाकिस्तान के हालात पर दुखी होते हैं तब तक उन्हें चैन से जिन्दगी बसर करना मुश्किल हो जाएगा और यकीनन यह कहा जा सकता है कि आज जो हालात नजर आ रहे हैं वो यही बताते हैं कि तालिबान का असर व रसूख कम होने के बजाय ज्यादा से ज्यादा होता जाएगा।    

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