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2010 फुटबॉल विश्व कप

👤 | Updated on:13 Jun 2010 3:29 PM GMT
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फुटबॉल के मैदान में इतने लोग नहीं जाते हैं जितने कि मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर या अन्य र्ध्मस्थलों पर जाते हैं। यह बात सही है। लेकिन पुफटबॉल का मैच एक ऐसा अवसर है जहां एक जगह पर, एक ही समय में लोगों को ऐसा सामूहिक अनुभव होता है जो कहीं और नहीं होता। इसलिए इस खेल का महत्व जुनून की हद तक बढ़ जाता है, और यही वजह है कि मंडेला के देश में होने जा रहे 19वें विश्व कप की तारीख ज्यूं-ज्यूं करीब आती जा रही है दुनियाभर में पुफटबॉल पफैंस का उन्माद इस हद तक बढ़ता जा रहा है कि अपनी-अपनी टीम की जीत के लिए विशेष धर्मिक अनुष्"ान आयोजित किये जा रहे हैं। गौरतलब है कि 2010 पफीपफा वर्ल्ड कप आगामी 11 जून से 11 जुलाई तक दक्षिण अपफीका में खेला जाएगा। इस कप के लिए 32 देश अपनी किस्मत आजमाएंगे। यह पहला अवसर है जब विश्व कप का आयोजन अपफीका के किसी देश में किया जा रहा है। विश्व कप के लिए अभी से ही लोगों में बढ़ते जोश का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अनेक गिरजाघर अपने हॉलों और मुख्य चर्च में क्रीन लगाने की योजना बना रहे हैं ताकि श्र(ालू पूजा करने के साथ-साथ मैच भी देख सकें। इंग्लैंड के एक पादरी निक बेंस ने तो अपनी टीम के लिए तीन पार्थनाएं भी रची हैं जिनमें यीशू को बतौर पुफटबॉल्र दर्शाया गया है। इन पार्थनाओं से उन्हें उम्मीद है कि न केवल इंग्लैंड विश्व कप जीत जाएगा बल्कि उसके पैफंस र्ध्मभीरू हो जाएंगे। इसमें शक नहीं है कि पैफंस अपनी टीम के लिए सकारात्मक नतीजा बरामद कराने हेतु दुआएं करते हैं। चर्च इसी भावना को भुनाना चाहती है। इस जुनून को मद्देनजर रखते हुए यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि विश्व कप के शुरू होते ही दुनियाभर में लोग अपने-अपने टीवी क्रीनों से चिपके रहेंगे और पुफटबॉल के अलावा किसी दूसरे विषय पर चर्चा नहीं करेंगे। लेकिन तस्वीर का दूसरा रुख यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय पैफंस पफीपफा वर्ल्ड कप से दूर रहने का संकेत दे रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दक्षिण अपफीका में लगभग 2 लाख अंतरराष्ट्रीय पैफंस ही मैच देखने मैदान में जाएंगे। शुरुआती अनुमान 7.5 लाख पैफंस के पहुंचने का था। विशेषज्ञों की राय को मद्देनजर रखते हुए आयोजक अंतरराष्ट्रीय पैंफस के टिकटों को बहुत कम दरों पर स्थानीय शौकीनों को बेच रहे हैं। यद्यपि दक्षिण अपफीका के एअरपोर्टों और शहरों में पभावी तैयारी का पदर्शन जारी है, लेकिन लगता यह है कि अनुमान से 5 लाख पर्यटक इस इंदध्नुषी देश में कम आएंगे। इसका अर्थ यह है कि आयोजकों को जबरदस्त आर्थिक नुकसान हो सकता है। भले ही दक्षिण अपफीका में पैफंस कम पहुंचे, लेकिन इंटरनेट और टेलीविजन यह सुनिश्चित कर देंगे कि दुनियाभर में पुफटबॉल का जुनून पहले जैसा बना रहे। इंग्लैंड के लिए पार्थनाएं जरूरी की जा रही हैं लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि इंग्लैंड ने सिर्पफ एक बार ;1966 मेंद्ध विश्व कप जीता है। बावजूद इसके उसके कोच पेफबियो कैपेलो को विश्वास है कि इंग्लैंड इस बार कम से कम पफाइनल में अवश्य पहुंचेगा। इस विश्वास का आधर यह है कि अर्जेंटीना को छोड़कर इंग्लैंड ने विश्व कप के सभी पमुख दावेदारों से हाल-पिफलहाल में मुकाबले किए हैं और उनमें उसका पदर्शन सराहनीय रहा है। यद्यपि 2008 के बाद इंग्लैंड को स्पेन, ब्राजील और पफांस से शिकस्त का मुंह देखना पड़ा है, लेकिन उसने मुकाबला इतना जमकर किया कि कोच का हौसला बढ़ गया है। चोट के कारण डेविड बेकहम इंग्लैंड की नुमाइंदगी तो नहीं करेंगे, लेकिन टीम का हौसला बढ़ाने के लिए उन्हें विशेष रूप से दक्षिण अपफीका में मौजूद रहने के लिए कहा गया है। इसके अलावा कैपेलो ने उद्देश्य की पूर्ति के लिए पांच सूत्रााrय योजना बनाई है, जोकि इस तरह से है- t वर्तमान में रहें, पिछली गलतियों को भूल जाएं और दिमाग को भटकने न दें। जिससे अच्छेपन का एहसास हो उस पर पफोकस करें। t सकारात्मक पफोकस रखें, यह सोचते हुए कि मैं गोल दागूंगा। t स्पष्ट रहें, रुटीन कार्य जारी रखें और अपनी क्षमता पर विश्वास करें। t शांत रहने के लिए गहरे-गहरे सांस लें। t आप ही बॉस हैं, जब तक आप नहीं चाहेंगे कुछ नहीं होगा, यही     मन आपको विशेष शक्ति पदान करेगा। ऐसा नहीं है कि अकेले कैपेलो ने ही अनोखी योजना अपनी टीम के लिए बनाई है। रिकॉर्ड पांच बार विश्व कप जीत चुकी ब्राजील के कोच डूंगा तो अपनी टीम की तैयारी एकांत में करा रहे हैं। उनकी तैयारी को न पैफंस देख सकते हैं और न ही मीडिया। दिलचस्प बात यह है कि डूंगा की इस शैली को ब्राजील के महान खिलाड़ियों जैसे गिलबर्टो सिल्वा और कीबर्सन ने पसंद किया है। दरअसल हर कोच या ट्रेनर की अपनी शैली होती है और वह उसी के मुताबिक अपनी टीम को ढालना पसंद करता है। जब तक अपने पतिद्वंदियों से एक कदम आगे होकर नहीं सोचा जाएगा तब तक कड़ी पतिस्पर्ध के दौर में सपफलता मिलना क"िन ही होता है। इसलिए भी कोच न केवल नए पयोग कर रहे हैं बल्कि अपनी संशोध्ति शैलियों को गुप्त रखना चाह रहे हैं ताकि पतिद्वंदियों को चौंकाया जा सके। विश्व कप के लिए एक अन्य पमुख दावेदार टीम है अर्जेंटीना। अर्जेंटीना की दावेदारी कई वजह से मजबूत पतीत हो रही है। पहली बात तो यह है कि इस बार उसके लिए कोच की भूमिका में महान पुफटबॉल्र डीगो माराडोना हैं। माराडोना ने बतौर खिलाड़ी अपने देश को 1986 में विश्व कप खिताब दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उम्मीद है कि कोच के रूप में भी वे अपनी टीम को सपफलता दिला सकेंगे। दूसरा यह कि अर्जेंटीना ने अपने 23 खिलाड़ियों में उभरते हुए स्टार डीगो मिलिटो को शामिल किया है। यहां यह याद दिलाना जरूरी है कि मिलिटो ने चैंपियन्स लीग में इंटरमिलान के लिए दो शानदार गोल किए थे जिसकी वजह से वह बायरन म्युनिख पर विजय हासिल कर सकी। इन्हीं गोलों को देखकर माराडोना ने मिलिटो का चयन किया। माराडोना की योजना एकसाथ तीन पफॉरवर्ड- लियोनल मैसी, गेंजालो हिग्यूएन और कार्लोस तावेज को खिलाने की है। माराडोना से यद्यपि बहुत उम्मीदें हैं लेकिन बतौर कोच उनका उन्नीस माह का कार्यकाल उल्लेखनीय नहीं रहा है। उनकी रणनीति, औपचारिक कोचिंग पशिक्षण का अभाव और चयन पक्रिया की इस दौरान कड़ी आलोचना हुई है, खासकर इसलिए भी क्योंकि अर्जेंटीना को क्वालिपफाइंग राउंड में बुलीविया से 6-1 से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा और अपने ही घर में ब्राजील से 3-1 की पराजय देखनी पड़ी। बहुत मुश्किल से ही अर्जेंटीना विश्व कप के लिए क्वालिपफाई कर सका है। माराडोना की आलोचना इसलिए भी की गई है कि उन्होंने अपनी टीम में अर्जेंटीना के अनुभवीय खिलाड़ियों डिपफेंडर जेवियर जेनेटी और मिड पफील्डर एस्तेबान कंबेसियो को शामिल नहीं किया है। इन दोनों की अनुपस्थिति निश्चित रूप से अर्जेंटीना के लिए हानिकारक रहेगी। जेनेटी की जगह माराडोना ने एरिअल गार्से का चयन किया है जिन्होंने अपने देश के लिए केवल एक  ही मैच हैती के विरु( खेला है। अर्जेंटीना के साथ ग्रुप बी में नाइजीरिया, यूनान और दक्षिण कोरिया हैं। ये सभी टीमें मजबूत हैं। इसलिए अंतिम 16 में पहुंचने की राह क"िन है। बावजूद इसके माराडोना को लगता है कि वे कुछ चौंकाने वाले नतीजे पेश करेंगे। बहरहाल विश्व कप का सबसे क"िन ग्रुप जी है जिसमें सभी विश्व कपों में हिस्सेदारी कर चुका ब्राजील के साथ पुर्तगाल, आइवरी कोस्ट और उत्तरी कोरिया शामिल हैं। इस ग्रुप में पुफटबॉल के सुपर स्टार एक दूसरे के आमने सामने होंगे। जहां ब्राजील के लिए काका अपना जोहर दिखाएंगे वहीं आइवरी कोस्ट के लिए स्ट्राइकर डीडियर ड्रोगबा होंगे और पुर्तगाल के लिए मिडपफील्डर कम स्ट्राइकर क्रिस्टानियो रोनाल्डो होंगे। ये सब ऐसे सुपर स्टार हैं जो मैदान में अपने कारनामों की वजह से हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। ये ग्रुप इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्येंकि ब्राजील में विश्व कप रिकॉर्ड पांच बार जीता है, पुर्तगाल 2006 में चौथे नंबर पर रहा था और आइवरी कोस्ट के बारे में विशेषज्ञों की राय है कि अपफीका में उससे बेहतर पिफलहाल कोई दूसरी टीम नहीं है। जबकि उत्तर कोरिया हमेशा से ही रहस्यमयी पतिद्वंदी बना रहा है। वह 32 देशों की इस पतियोगिता में ऐसी ख्याति लिये हुए है कि सभी को हराने की क्षमता रखत है और सभी से आसानी से हार भी सकता है। इसका अर्थ यह है कि वह अगर खुद अंतिम 16 में न भी पहुंच सका तो भी पमुख दावेदारों के गणित व योजना को बिगाड़ सकता है। ध्यान रहे कि 1966 में उत्तरी कोरिया ने इटली को हराकर अचंभित कर दिया था, जिसे आजतक विश्व कप का सबसे बड़ा शॉक माना जाता है। काका के अलावा ब्राजील के पास जूलियो सीजर के रूप में शानदार गोलकीपर है और डिपफेंस में लूसियो और जॉन हैं। पिफर मिडपफील्ड में गिलबर्टो सिल्वा और लुई पफेबिनो। इन नामों को देखकर ही सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि गुप जी से अंतिम 16 में पहुंचने वाली एक टीम तो ब्राजील होगी और दूसरी के लिए संभवतः पुर्तगाल और आइवरी कोस्ट में कड़ा संघर्ष होगा। ग्रुप जी का शुरुआती मैच 15 जून को आइवरी कोस्ट और पुर्तगाल के बीच में ही है। यही मैच शायद तय कर देगा कि ब्राजी के साथ कौन सी दूसरी टीम ग्रुप जी से क्वालिपफाई करेगी अंतिम 16 के लिए। हालांकि जीदान जिदेन की गैर मौजूदगी में पफांस पहली जैसी टीम नहीं है लेकिन इस बार के विश्व कप में जर्मनी, स्पेन और इटली के साथ वह भी पमुख दावेदारों में से है। अन्य दावेदारों का उल्लेख उफपर किया जा चुका है। इटली और जर्मनी की मजबूती इसी बात से लगाई जा सकती है कि न केवल ब्राजील के बाद विश्व खिताब पर कब्जा करने का नंबर उनका दूसरा व तीसरा है बल्कि दोनों ने विश्व कप के लिए अब तक 16 बार क्वालिपफाई किया है। ब्राजील अकेली ऐसी टीम है जिसने सभी विश्व कपों में हिस्सा लिया है। बहरहाल पिफलहाल की स्थिति यह है कि दक्षिण अपफीका के स्टेडियमों में नई घास बिछा दी गई है, गोल पोस्टों का रंग ताजा है, स्टैंड चमचमा रहे हैं और खेल का इंतजार है। अगले डेढ़ माह तक चर्चा सिपर्फ पुफटबॉल की होगी जिसमें मैसी के जादू से लेकर काका की कलात्मकता पर टिप्पणियां होंगी। साथ ही ड्रोगबा के नखरे और रोनाल्डो की स्पीड का भी जिक्र होगा। कुछ नए खिलाड़ी उभरेंगे, लेकिन डेविड बेकहम, जिदाने जिदान और ब्राजील के रिकॉर्डधरी रोनाल्डो को भी शिद्दत से याद किया जाएगा। ध्यान रहे कि ब्राजील के रोनाल्डो जो अपनी 9 नम्बर की जर्सी के लिए विख्यात थे, के नाम विश्व कप के अध्कितम गोल दागने का रिकॉर्ड है। उन्होंने विश्व कप में कुल पंदह गोल किये। उनका यह रिकॉर्ड 2010 में जर्मनी के मिरोस्लाव क्लोस ही तोड़ने की स्थिति में हैं। क्लोस ने अब तक दो विश्व कप ;2002 व 2006द्ध में हिस्सा लिया है और उनके नाम 10 गोल हैं। रोनाल्डो ने ब्राजील के लिए 1998, 2002 और 2006 में विश्व कप खेले और कुल 15 गोल किये। यहां यह जानकारी भी दिलचस्पी से खाली नहीं होगी कि ब्राजील ने 1930 से अब तक विश्व कप में 92 मैच खेले हैं और रिकॉर्ड 64 में जीत दर्ज की है। हर चार साल बाद जब विश्व कप होता है तो कुछ नए खिलाड़ी उभरते हैं और कुछ नामवर हस्तियां इतिहास का हिस्सा बन जाती हैं। यही पफीपफा वर्ल्ड कप की तारीख रही है। आगे भी ऐसा ही होने की उम्मीद है। एक नाम जो स्टार बन सकता है वह है उत्तरी कोरिया का स्ट्राइकर जांग ताई-से। वह अपने देश के लिए 20 मैच खेल चुका है जिसमें उसने 12 गोल दागे हैं। उत्तर कोरिया की टीम में अहान योंग हक, होंग योंग जो और किम कुक जिन भी ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनके पास अंतरराष्ट्रीय अनुभव तो कम है लेकिन वे अपने ग्रुप में वैसा ही तहलका मचा सकते हैं जैसा कि उत्तर कोरिया ने 1966 में इटली को हराकर मचाया था। उत्तर कोरिया की तरह ही एक और खतरनाक टीम है सर्बिया। विश्व कप में वह पहली बार स्वतंत्रा रूप से खेल रही है लेकिन उसको दिशा दे रहे हैं चतुर रडोमीर एंटीक, जिनकी वजह से क्वालिपफाइंग राउंड में सर्बिया ने रोमानिया को 5-0 से शिकस्त दी थी। सर्बिया के पास नेमांजा विदिक के रूप में जबरदस्त खिलाड़ी है और विदिक के साथ-साथ देजान स्तेनकोविच और निकोला जीजिक भी अपना नाम रोशन कर सकते हैं। निकोला जीजिक 6 पफुट 7 इंच का कद रख सकता है जिससे वह विश्व पफुटबॉल का सबसे लंबा स्ट्राइकर है। सर्बिया के साथ ग्रुप डी में जर्मनी, ऑस्ट्रिया और घाना हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो ये ग्रुप भी एक तरह से ग्रुप ऑपफ डेथ है। कुल मिलाकर तथ्य ये है कि 19वें विश्व कप के लिए मंच सजा हुआ है, टीमें तैयार हैं और बस 11 जून को सीटी बजने का इंतजार है ताकि कुछ नए सितारे पेले, माराडोना और जिदान की तरह रोशन हो सकें और पुफटबॉल इतिहास में अपना नाम सुनहरी अक्षरों से लिखा सकें।  काश इन सितारों में अपने देश का भी कोई होता, लेकिन पुफटबॉल खेल ही ऐसा है कि दीवाने कैलिपफोर्निया से कोलकाता तक अपने पसंदीदा खिलाड़ियों व टीम के लिए न सिपर्फ शोर मचाते हैं बल्कि उनके लिए र्ध्मभीरू होकर पूजा-पा" भी करते हैं। यही पुफटबॉल को विश्व का सबसे अध्कि रोमांचक व दिलचस्प खेल बना देता है। सारिम अन्ना  

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