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हेडली का मामला

👤 | Updated on:15 Jun 2010 3:36 PM GMT
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एक सक्रिय अमेरिकन अधिकारी ने सोमवार के दिन बताया कि अमेरिका और भारत में कानून लागू करने और इंटेलीजेंस के मामले में हैरतअंगेज तरक्की की है और आतंकवाद के मुकाबले के लिए डेविड हेडली के मामले में भी कोई इख्तिलाफ नहीं रहा। इन्हीं दिनों अमेरिका और भारत के अधिकारियों के बीच जो बातचीत हुई है उसकी कामयाबी का इशारा करते हुए मिस्टर ब्लेक ने कहा कि इस बात में कोई वजन नहीं कि हेडली के मामले में भारत सरकार ने जो मांगें की हैं उनको मानने में अमेरिका को कोई मुश्किल हो रही है। अमेरिकन सरकार ने पूरी ईमानदारी से मान लिया है कि 26 नवम्बर के वाकया के लिए हेडली पूरी तरह जिम्मेदार है।  मिस्टर ब्लेक ने कहा कि मैं इस बात को चैलेंज करता हूं कि हमने हेडली के मामले में गौर करने पर काफी वक्त लगाया है। अमर वाकया यह है कि यह सारे मामले निहायत पेचीदा और नाजुक हैं। इसलिए उन पर कोई फैसला करने में लाजिमी तौर पर वक्त लगेगा और कुछ समय गलतफहमियां भी पैदा हो सकती हैं। बहरहाल हम यह चाहते हैं कि हेडली को जो कुछ भी मालूम है वह भारतीय अधिकारियों को बता दिया जाए। मिस्टर ब्लेक विदेशी पत्रकारों की एक मीटिंग में इस सवाल पर अपनी राय का इजहार कर रहे थे और आपने कहा कि हेडली भी इस मामले में कोई अड़चन नहीं लगा रहा है। हक तो यह है कि भारत के खुफिया अधिकारी अभी तक हेडली से सवाल-जवाब कर रहे हैं। स्पष्ट हो कि हेडली का पहला नाम दाऊद गिलानी था और वह शिकागो में रहा करता था। मिस्टर ब्लेक ने यह बात भी बड़े जोर से कही क्योंकि वह यह बात स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि दोनों देशों में जो बातचीत चल रही है वह काफी हद तक समझने लायक है और दोनों सरकारों में  इनके नतीजे पर तसल्ली का इजहार हो रहा है। आपने यह भी कहा कि आपके ख्याल में भारतीय अधिकारी इस बात की पुष्टि करेंगे। आपने यह भी कहा कि कई कारणों से आप पत्रकारों से खुलकर बात नहीं कर सकते। लेकिन यह बात पूरे जोर से कहना चाहते हैं कि भारत और अमेरिका को आतंकवादियों से जो खतरे पैदा हो रहे हैं उनसे दोनों मुल्कों के हित के पेशेनजर पूरी तरह मुकाबला किया जाएगा। आपने इस बात का इशारा भी किया कि कई खतरे पाकिस्तान से जारी हो रहे हैं और इसलिए सब मुल्कों का फायदा इस बात में है कि आतंकवाद के नाजुक मसले पर समय रहते ही संजीदगी से गौर करें। आपने यह भी कहा कि आपको इस बात का ज्यादा से ज्यादा विश्वास होता जा रहा है कि कई देश जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है, आतंकवाद का समर्थक रहे हैं। आज पाकिस्तान के साहिल से जो आतंकवाद फैल रहा है उसके खिलाफ अमेरिका अपनी प्रभावित इकदाम कर रहा है और यह बात पाकिस्तान के फायदे में है कि जो कुछ हम कह रहे हैं उस पर वह ध्यान दे। जो भी हो अमेरिका यह बात स्पष्ट करना चाहता है कि वह आतंकवाद का मुकाबला करने में कभी ढील नहीं करेगा। हम इस मामले को सबसे ज्यादा अहमियत देते हैं। मिस्टर ब्लेक ने इस बात की भी पुष्टि की है कि अमेरिकन सरकार अनकरीब पाकिस्तान को पंजाब में बने हुए धड़ों और लश्करे तोयबा आदि के धड़ों से निपटने के लिए इशारे किए जा रहे हैं और उनसे कहा जा रहा है कि यह धड़े भारत और अमेरिका के खिलाफ अमल करते रहे हैं और इसका सबूत मुंबई और दूसरी जगह के वाकयात हैं। मिस्टर ब्लेक ने यह भी बताया कि अमेरिका और भारत ने अफगानिस्तान में साझा कार्रवाई पूरी करने पर काफी गौर किया है और अमेरिका ने इस बात को माना है कि अफगानिस्तान में भारत को ज्यादा से ज्यादा दिलचस्पी पैदा हो रही है और इस मामले में पाकिस्तान को जो शिकायत है उसे नजरंदाज किया जा रहा है। हमने इस बात का तहैया कर रखा है कि हम उन तरीकों पर विचार करें जिन पर दोनों सरकारें मिलकर अमल कर सकती हैं। जब आपसे पूछा गया कि अफगान जवानों को ट्रेनिंग देने के लिए भारत सरकार तैयार है तो आपने कहा कि इस बात का फैसला भारत सरकार ही कर सकती है। अमेरिका हर हालत में भारत का समर्थन करेगा। इस बात की वजह यह है कि अब हमें भारत पर ज्यादा से ज्यादा भरोसा होने लगा है और हमें इस बात का विश्वास हो गया है कि भारत सरकार एक तामीरी रोल अदा कर रहा है। इजरायल और अरबों के मामले में ईरान हस्तक्षेप करेगा यह खबर आ चुकी है कि इजरायल न् ाs गजा का मुहासरा करने का फैसला कर लिया है और इस पर ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला खुमैनी ने फैसला किया है कि फिलस्तीनियों की मदद की जाए। तेहरान से खबरें आ रही हैं कि ईरान के इंक्लाबी गार्ड की समुद्री फौजें गाजा को जाने वाले जहाजों पर इजरायलियों के हमलों को रोकने के लिए हर तरह की मदद करने को तैयार हैं। अली शिराजी जो रिवोल्यूशनरी गार्ड का सक्रिय लीडर बयान किया जाता है, ने इस बात को माना है। इस पर इजरायल के एक प्रवक्ता ने कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो इजरायल इस पर सख्त रवैया अपनाएगा। ईरानी सरकार की किसी तरह का हस्तक्षेप एक इशतियालअंगेज इशारा समझा जाएगा। स्पष्ट हो कि इजरायल पहले ही ईरान पर हमास को हथियार सप्लाई करने का आरोप लगा रहा है। इस सिलसिले में यह भी कहा जा  रहा है कि ईरान ने इजरायल सरकार को तसलीम नहीं किया है और ईरानी राष्ट्रपति अहमदी नेजाद ने अधिकतर इजरायल की तबाही का इशारा किया है। पिछले हफ्ते इजरायलियों ने हमास को मदद पहुंचाने वाले जहाज पर हमला करके नौ सक्रिय लोगों को मार डाला था। इस पर अंतर्राष्ट्रीय हेजान पैदा हो गया था। उस जहाज के वाकया के बाद एक और जहाज पर हमला करने का इशारा इजरायल की तरफ से हो रहा है और उधर हमास के लोग ईरानी समुद्री फौजों के साथ मिलकर इजरायल का मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं। इस तरह इस बात की चिन्ता महसूस हो रही है कि कहीं इजरायल और ईरान में युद्ध न छिड़ जाए। इस सिलसिले में राष्ट्रपति अहमदी नेजाद का शपथ लेने के फौरन बाद इजरायल की तबाही का इशारा अंतर्राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना हुआ है।  

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