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अफगानिस्तान की अहमियत

👤 | Updated on:20 Jun 2010 3:18 PM GMT
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लोग हैरान हैं कि अफगानिस्तान में कौन-सी ऐसी चीज है जिसके लिए कितनी सरकारें तड़प रही हैं। जहां तक अफगानिस्तानी सरकार का ताल्लुक है, यह तो समझ आता है कि वह हालात से बेचैन है। अमर वाकया यह है कि काबुल की सरकार के अलावा अमेरिका, पाकिस्तान, भारत और अब चीन भी किसी हद तक इस मामले में दिलचस्पी लेने लग गया है।  इन देशों की दिलचस्पी समझ में आती है, यह अपने हित के लिए अफगानिस्तान के हक में या खिलाफ लड़ रहे हैं। लेकिन कितने लोग हैं जो यह जानते हैं कि अफगानिस्तान में क्या पैदा होता है और मुझे यह जानकर हैरानी न होगी कि जो देश अफगानिस्तान में अपने जवानों को कुर्बान कर रहे हैं उन्हें भी मालूम हो कि कुदरत ने अफगानिस्तान में क्या-क्या जमा कर रखा है और मैं दावे से कह सकता हूं कि जब यह तथ्य मंजरे आम पर आते हैं तो वे सरकारें जो अपनी फौजों को काबुल की मदद करने के बाद वापस बुलाने की सोच रही थीं, वह शायद दोबारा सोचने पर मजबूर हो जाएं। आज तक आम ख्याल यह रहा है कि काबुल में करीबन 10 लाख टन की खानें हैं जिनका आज तक अफगानिस्तान की सरकार को पता नहीं चला। उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि अफगानिस्तान की जनता पठानों में सम्मिलित है और जरा-जरा-सी बात पर अपना दिमागी संतुलन खो बैठते हैं। लेकिन उम्मीद की जाती है कि जब अफगानिस्तान की सरकार को यह पता चलेगा कि विशेषज्ञों ने यह पता लगाया है कि अफगानिस्तान में कम से कम 30 अरब डालर के खनिज पदार्थ मौजूद हैं तो शायद सारा नक्शा ही पलट जाए। काबुल के सरकारी हलकों में इस बात का जिक्र है कि अफगानिस्तान की खानों के इंचार्ज आने वाले कुछ दिनों में बरतानिया जा रहे हैं ताकि वहां के लोगों को बता सकें कि अफगानिस्तान में सारी दुनिया का सबसे बड़ा फौलाद का भण्डार इन्हीं खानों में पड़ा है। अगर उसे निकालकर काम में लाया जाए तो आज का अफगानिस्तान कल को एक नए रूप में दुनिया के सामने आ सकता है। यह कोई राज की बात नहीं कि दुनिया के भौतिकी विशेषज्ञ को वर्षों से मालूम है कि अफगानिस्तान में फौलाद, ताम्बा, कोबाल्ट, सोना और दूसरे अन्य खनिज पदार्थ का भण्डार है। लेकिन अमेरिका के सुरक्षा विभाग ने इन्हीं दिनों एक सनसनीखेज खुलासा किया है कि वहीदुल्ला शहरानी के मुताबिक एक भौतिकी विशेषज्ञ होने की वजह से यह अन्दाजा किया है कि अफगानिस्तान में खनिज पदार्थ 300 अरब डालर से भी ज्यादा है। यह 300 अरब तो एक क्यास के मुताबिक ही है, कौन जानें कि जब इन खानों की खोज शुरू हो तो कितना सरमाया नजर आ जाए। अफगानिस्तान की खानों के इंचार्ज मिस्टर वहीदुल्ला शहरानी का कहना है कि अफगानिस्तान में कुदरती एनर्जी और मिनरल स्रोत का भण्डार है जिससे हमारी हालत में काफी सुधार हो सकता है। यह सब इस बात पर निर्धारित है कि उसे किस तरह किया जाता है।  क्या हमारी सरकार यह काम कर सकेगी।शहरानी ने बताया कि उपरोक्त हाइड्रोकार्बन और दूसरे क्वानीन में भी मुनासिब संशोधन किया गया है जिनसे सरकार यह महसूस करना शुरू हो जाए कि यह खानें उसकी सबसे बड़ी दौलत है और इनमें करोड़ों-अरबों का माल है।शहरानी साहब ने यह भी बताया कि मिनरल और हाइड्रोकार्बन क्वानीन में संशोधन कर दिया गया है और जो देश काबुल की सरकार की मदद करे उनमें भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी कम से कम हो। मानना पड़ेगा कि जो खुलासा इन दिनों हुआ है यह जब दुनिया की सरकारों को मालूम हो जाएगा तो सब सरकारें अफगानिस्तान को भिन्न नजर से देखना शुरू हो जाएंगी।  

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