कश्मीर में हिंसा आखिर कब रुकेगी
न हमने मर्ज का इलाज किया और न करना ही है तो मर्ज तो बढ़ेगा ही। कश्मीर पिछले कई महीनों से हिंसा की चपेट में है। सरकार वहां सुरक्षा बलों को तैनात तो कर देती है पर साथ ही उनके हाथ भी बांध देती है। अखबारों में छपे चित्र तथा टीवी पर दिखाई जा रही तस्वीरें साफ-साफ बयां करती हैं कि कश्मीरियों की आड़ में कुछ असामाजिक तत्व ही इन आंदोलनों को चला रहे हैं और उन्हें हिंसक बना रहे हैं। अब एक और खतरनाक बात सामने आई है। हमारे पीएम साहब फरमा रहे हैं कि कश्मीर को स्वायत्तता देने पर विचार किया जा रहा है। यह तो अत्यंत घातक सिद्ध होगा भविष्य में। जरूरत है वहां पर सक्रिय हो रहे अलगाववादी तथा विदेशी तत्वों की पहचान कर उन्हें बनेकाब करने की तथा उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की बजाय इसके सरकार ऐसी योजनाएं बनाने पर समय खराब कर रही है जिनका अंततोगत्वा कोई परिणाम नहीं निकलने वाला है। वक्त तो यह कह रहा है कि हमारी सरकार थोड़ी हिम्मत दिखाए और पीओके को वापस हासिल करे। इसके लिए यदि पाकिस्तान ने आर-पार का युद्ध भी करना पड़े तो जनता इस मसले पर सारे राजनीतिक मतभेद भुलाकर आपके साथ खड़ी होगी। -इन्द्र सिंह धिगान, किंग्जवे कैम्प, दिल्ली।