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बेअसर हैं माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी

👤 | Updated on:31 Aug 2010 1:02 AM GMT
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लाखों टन अनाज भंडारण के अभाव में बाहर पड़ा-पड़ा सड़ गया। इस पर स्वयं संज्ञान लेते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक नहीं दो-दो बार आदेश जारी किया कि फालतू पड़े ऐसे अनाज को जिसे रखने की जगह सरकार के पास नहीं है गरीबों में निशुल्क बांट दिया जाए। अब भी अन्न बर्बाद हो रहा है पर सरकार है कि हिलने का नाम नहीं ले रही। टीवी पर दिखाए गए समाचारों के अनुसार एक युवक तथा एक महिला को लोगों ने पकड़कर पुलिस में सिर्प इसलिए दे दिया क्योंकि उन्होंने दो-दो किलो अनाज चुराया था। पूछताछ में उन लोगों ने बताया कि वे भूखे मर रहे थे और बच्चों के लिए उन्हें अनाज मजबूरी में चुराना पड़ा। एक तरफ वे लोग हैं जो मजबूरी में मात्र 2 किलो अनाज चुराने के आरोप में जेल जा रहे हैं और दूसरे ओर वे लोग/नेता हैं जिनकी लापरवाही से लाखों टन अनाज सड़ गया। लेकिन उन्हें कोई पूछना  वाला नहीं। सरकार को चाहिए कि वह माननीय कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए सड़ने को तैयार पड़े अनाज को फौरन सबसे पहले गरीबों में बांट दे। यदि सरकार चाहे तो दिल्ली में अनाज का वितरण करने की जिम्मेदारी हमारी संस्था तन-मन-से उठाने को तैयार है। कोर्ट ने बिल्कुल ठीक कहा है कि जिस देश में लोग भूखों मरने को मजबूर हों उस देश में अन्न को सड़ाने से बड़ा अपराध और कोई हो ही नहीं सकता। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की रिपोर्ट बताती है कि भारत की आबादी का कुल चौथाई हिस्सा यानि कुल 23 करोड़ लोग भूखे या फिर आधे पेट खाकर सोने को मजबूर हैं। जब तक हमारी सरकार कानून बनाएगी या व्यवस्था करेगी तब तक और न जाने कितने लोग भूख की भेंट चढ़ चुके होंगे, क्योंकि यहां तो व्यवस्था तैयार करने में ही सालों लग जाते हैं। माननीय कोर्ट का साफ संकेत है कि सरकार अपनी भंडारण व्यवस्था को बढ़ाए। लेकिन कौन किसे क्या कहे? यहां पेप्सी व कोकाकोला के लिए तो गोदाम मिल जाएंगे पर अन्न को रखने की लिए जगह नहीं मिलेगी। कारण बताने की जरूरत नहीं है। जिस हिसाब से दे रही है लेकिन आंचल ही न समाए तो क्या कीजे? एक सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया के भूखे लोगों में हर पांचवां भूखा व्यक्ति भारतीय है। यहां करीब 45 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इतनी बड़ी घटना पर भी हमारे कृषि मंत्री शरद पवार बड़ी सरलता से यह कह रहे हैं कि मीडिया अन्न की बर्बादी की खबरें बढ़ाचढ़ाकर पेश कर रहा है। शर्म आनी चाहिए हमारे ऐसे मंत्रियों को। टीवी पर तस्वीरें देखकर भी उनको अपनी नाकाबलियत पर यकीन नहीं होता। कमाल है! -राजेश कुमार, शाहदरा , दिल्ली।  

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