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फेफड़ों में सूजन है तो दिन में 6 बार खाएं खाना

👤 | Updated on:4 Oct 2010 1:33 AM GMT
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  32 वर्षीय पूजा को जब यह एहसास होने लगा कि पिछले कुछ महीनों में उसका वजन तेजी से कम होता जा रहा है तो उसे अपनी फा होने लगी। पति से इस विषय में बात करने के बाद पूजा ने अपनी जांच कराने का निर्णय किया। डॉक्टर ने पूजा से फेफड़ों की जांच कराने की बात कही। पहले तो पूजा को यह लगा कि वजन कम होने से फेफड़ों का क्या लेना-देना। लेकिन डॉक्टर ने जब उसे फेफड़ों में सूजन जैसी बीमारी के लक्षण पूजा की समस्याआंs से मेल खाते हुए बताए तो पूजा ने बिना देर किए फेफड़ों की जांच कराई। डॉक्टर का आंकलन सही था। पूजा के फेफड़ों में काफी सूजन आई हुई थी। जिसके कारण वह दिन ब दिन कमजोर होती जा रही थी। फेफड़ों में सूजन आना ाढाsनिक ऑब्सट्रक्शन पल्मोनरी डिजीज की श्रेणी में आता है। इस बीमारी से ग्रस्त होने वाले व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इसे अस्थमा नहीं कह सकते बल्कि अस्थमा के लक्षण इससे बिल्कुल भिन्न होते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त होने वाला व्यक्ति समय बीतने के साथ सीरीयस होता चला जाता है। sफेफड़ों में सूजन आने का अर्थ है धीरे-धीरे फेफड़े खराब होते जाना। कोनिक ऑब्सट्रक्शन पल्मोनरी डिजीज के असर से मरीज का वजन तेजी से घटता है। कुछ मरीजों में कोनिक ऑब्सट्रक्शन पल्मोनरी डिजीज के कारण मांसपेशियां नष्ट होने लगती हैं और या तो वजन घटता है या तेजी से मोटापा बढ़ता है। यह बीमारी धूम्रपान और पदूषित जहरीले तत्वों या गैस के फेफड़ों में पवेश करने के कारण होती है। डॉक्टरों का मानना है कि यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है क्योंकि लोग धूम्रपान को स्टेटस सिंबल मान रहे हैं। अब तो महिलाओं  में भी धूम्रपान की लत बढ़ रही है जिसके कारण फेफड़ों में सूजन आने की समस्या आम हो चली है। फेफड़ों में सूजन वाले मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि चार में से एक आदमी इस बीमारी से ग्रस्त है। ाढाsनिक ऑब्सट्रक्शन पल्मोनरी डिजीज के रूप में यह बीमारी व्यक्ति का वजन लगातार कम करती जाती है। इस  बीमारी के शुरुआती लक्षणों में मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। तेजी से वजन घटने के कारण व्यक्ति की रोग-पतिरोध्क क्षमता भी कम होती जाती है, जिसके कारण उसे कई और बीमारियां भी घेर लेती हैं। इन्फेक्शन के चलते फैलने वाली बीमारियों से तो व्यक्ति हमेशा परेशान रहता है।    हालांकि अभी भी ाढाsनिक ऑब्सट्रक्शन पल्मोनरी डिजीज के चलते वजन के तेजी से कम होने का कारण मालूम नहीं हो पाया है। लेकिन जानकारों को भरोसा है कि ऐसा कई कारणों के चलते होता है। विशेषज्ञों की मानें तो फेफड़ों में सूजन आने पर व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इस तकलीफ के चलते व्यक्ति कम खाने लगता है। धरे-धरे मरीज की खाने की इच्छा भी कम होती जाती है। इन वजहों के चलते भी मरीज का वजन तेजी से कम होता जाता है। इस बीमारी के इलाज में डॉक्टर जो दवाइयां देते हैं उससे भी भूख कम हो जाती है और मांसपेशियों के उफतक नष्ट होने लगते हैं। इसमें यह आशंका भी बनी रहती है कि ाढाsनिक ऑब्सट्रक्शन पल्मोनरी डिजीज के चलते खून में ऑक्सीजन की कमी हो जाए। जिससे शरीर भोजन लेने में अनिच्छा व्यक्त करता है। जिसके चलते वजन कम होना शुरू हो जाता है। जो लोग ाढाsनिक ऑब्सट्रक्शन पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित रहते हैं उन्हें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। भोजन में पोषक तत्वों की कमी के चलते वजन कम होना तो सामान्य है लेकिन फेफड़ों में सूजन आने पर भाजन में जरा सी भी लापरवाही तेजी से वजन कम करती जाती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा पोटीन और कैलोरी वाला भोजन करना चाहिए यानी भोजन में वही चीजें लें जिसमें ज्यादा से ज्यादा वसा और पोटीन हो। ाढाsनिक ऑब्सट्रक्शन पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित व्यक्ति को सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा उर्जा की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीमारी में व्यक्ति को सांस लेने के लिए अतिरिक्त पयास करने पड़ते हैं। इस पयास में काफी मात्राा में कैलोरी नष्ट होती है। इसी कारण फेफड़ों में सूजन आने पर मरीज को ज्यादा से ज्यादा ताकत वाली चीजें खाने की सलाह दी जाती हैं। इस तरह के रोगियों को सामान्य लोगों की तुलना में 10 गुना ज्यादा कैलोरी की जरूरत होती है। इसमें मरीज को एक दिन में कम से कम 6 बार भोजन करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सांस लेने में परेशानी होने के कारण व्यक्ति एक बार में ही ज्यादा भोजन नहीं कर पाता है। थोड़ी-थोड़ी देर में खाते रहने से शरीर की अतिरिक्त उर्जा की जरूरत पूरी होती रहती है। एक अच्छी डाइट से इस बीमारी का इलाज तो नहीं किया जा सकता। लेकिन रोजाना के कामों में होने वाली परेशानी के अलावा सांस लेने में होने वाली तकलीफ को कम किया जा सकता है। कोनिक ऑब्सट्रक्शन पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित व्यक्ति का इलाज करने वाले डॉक्टर उसे यही सलाह देते हैं कि किसी भी कीमत पर वजन कम नहीं होना चाहिए। कभी-कभी अतिरिक्त मोटापा होने के कारण भी लोग फेफड़ों में सूजन से पीड़ित हो जाते हैं। ज्यादा वजन होने पर आपके हृदय और फेफड़ों को सांस लेने के लिए सामान्य से कहीं ज्यादा कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। जिसके कारण फेफड़ों में सूजन आ जाती है। इसलिए अध्कि मोटापा भी फेफड़ों का दुश्मन है। इस बीमारी के इलाज के पहले चरण में फेफड़ों की पूरी जांच की जाती है। जांच में यदि फेफड़ों में सूजन होने की पुष्टि हो जाए तो डॉक्टर तमाम तरह की थैरेपी के जरिये सूजन को कम करने की कोशिश करते हैं। थैरेपी से पहले डॉक्टर मरीज को धूम्रपान से दूर रहने की सलाह देते हैं। धूम्रपान छोड़े बिना इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है। ड्रग थैरेपी या रीहेबिलिटेशन के जरिये मरीज का इलाज शुरू होता है। कुछ मरीज जो काफी सीरीयस हो चुके होते हैं उन्हें  लांग टर्म ऑक्सीजन थैरेपी के जरिये "ाrक करने की कोशिश की जाती है। फेफड़े यदि पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं तो लंग ट्रांसप्लांट के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता। इस बीमारी से ग्रस्त रहने वाले व्यक्ति को कभी भी भरपेट खाना खाने की सलाह नहीं दी जाती। दिन में कई बार खा लेना "ाrक है लेकिन एक बार में ही पेट भर के खाना खाने से सांस लेने में फेफड़ों पर ज्यादा जोर पड़ता है। इससे इलाज की पािढया और भी जटिल हो सकती है। भोजन करते समय मरीज को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसके खाने की गति धमी हो और साथ ही वह भोजन अच्छी तरह चबाकर खाए। ऐसा करने से शरीर को भोजन पचाने के लिए अतिरिक्त उर्जा की आवश्यकता नहीं पड़ती है। डॉ. भारत भूषण  

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