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विवेक और बुद्धि के दम पर समाधान

👤 | Updated on:11 Oct 2010 1:26 AM GMT
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अंग्रेजों ने भारत को 200 वर्षों तक गुलाम बनाए रखा। कुछ अंग्रेज व्यापारी 17वीं शताब्दी में भारत में आकर व्यापार करने लगे, उन्होंने अपनी फैक्ट्रियां बनाईं और उनकी सुरक्षा के प्रबंध करते हुए अपनी सैनिक शक्ति यहां के लोगों को भर्ती करके बढ़ाते चले गए। सर्वविदित है कि अंग्रेजों ने दो विश्वयुद्ध, पहला सन 1914 से 1918 का और दूसरा 1939 से 1945 का भारतीय फौजों के द्वारा ही जीते परन्तु उससे भी पहले अंग्रेजों ने भारतीय सेना के द्वारा ही धीरे-धीरे पूरे भारत को जीत लिया था। भारतीय सेना में आज भी डेढ़-दो सौ वर्ष पुरानी अंग्रेजों द्वारा बनाई हुई रेजीमेंटें हैं, यदि आप उनके इतिहास पढ़ें तो चकित रह जाएंगे कि किस प्रकार से यहां की सेना के बल पर ही भारतीय राजाओं को परास्त करके भारत को गुलाम बनाया गया। आज कांग्रेस की अध्यक्षा बनी इटली की श्रीमती सोनिया गांधी अपनी बुद्धि और चतुराई के बल पर भारत की सर्वशक्ति सम्पन्न बेताज बादशाह बन गई हैं। उन्हीं की इच्छा का प्रधानमंत्री बनता है, उन्हीं के आशीर्वाद से राष्ट्रपति, पूरा मंत्रिमंडल भी, चाहे गृहमंत्री, रक्षामंत्री हों, चाहे मुख्य निर्वाचन आयुक्त या केंद्रीय सतर्पता आयुक्त हों, सीबीआई का प्रमुख हो या राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य हों। सभी एक ही व्यक्ति के आशीर्वाद से अपने पदों पर आसीन हैं। बस उनमें एक ही परिवार के प्रति वफादारी होनी चाहिए। हिन्दुओं के वोटों से ही सत्ता प्राप्त करके, लगातार हिन्दुओं को आर्थिक और राजनैतिक रूप से कमजोर करते हुए, देश के संसाधनों को अल्पसंख्यकों के ही सशक्तिकरण में लगाकर, नौकरियों में हिन्दुओं का प्रतिशत घटाकर, सुरक्षा बलों में गैर-हिन्दुओं को अधिक से अधिक भर्ती करके अपना खेल, खेल रही हैं, क्योंकि यदि भारत पर राज करना है तो यहां के 80 प्रतिशत बहुसंख्यक हिन्दू समाज को कमजोर करते और अन्य अल्पसंख्यकों को साथ लेकर ही राज किया जा सकता है। 60 के दशक में होप कूप नाम की एक अमेरिकी लड़की भारत आई और सिक्किम के राजकुमार से विवाह रचाकर सिक्किम की महारानी बन बैठी और भारत को आंखें दिखाने लगी।  पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग जिले पर उसने अपना दावा टोक दिया कि भारत यह क्षेत्र सिक्किम को वापस करे। वह तो भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी की कुशलता और बुद्धिमत्ता ही थी कि सिक्किम में राजपरिवार के विरुद्ध विद्रोह खड़ा हो गया और सिक्किम का भारत में विलय हो गया। ऐसे ही बारबरा नामक एक विदेशी लड़की ने नेपाल के राजघराने से संबंध बढ़ाकर राजा नहीं तो राजा के भाई से विवाह कर लिया। लेडी माउंटबेटन ने पंडित जवाहर लाल नेहरू को अपने प्रेमपाश में ऐसा फंसाया कि नेहरू जी कई महत्वपूर्ण निर्णय लॉर्ड माउंटबेटन की इच्छा के अनुसार लेने लगे। माउंटबेटन के कहने पर ही नेहरू जी ने कश्मीर के भारत में विलय पत्र पर प्लेबीसाइट (जनमत संग्रह) की शर्त लगाई। भारतीय सेना पाकिस्तान से अपने क्षेत्र वापस ले सकती थी परन्तु नेहरू जी ने कश्मीर का प्रश्न यूएनओ में भेज दिया। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ किन्तु स्वतंत्र भारत को फिर से अंग्रेज गवर्नर जनरल माउंटबेटन के अधीन बनाए रखने का जो कारनामा श्री नेहरू जी ने किया, क्या उसके पीछे भी लेडी माउंटबेटन का हाथ नहीं था? जबकि पाकिस्तान ने विदेशी गवर्नर जनरल के अधीन रहना स्वीकार नहीं किया। पंचतंत्र में ठीक ही कहा गया है कि बुद्धिर्यस्य बलम् तस्य निर्बुद्धेस्तु कुतो बलम् अर्थात् बुद्धिमान ही बलशाली है और बुद्धिहीन के पास बल होते हुए भी वह निर्बल है। -भीम सिंह राठौड़, शाहदरा,  दिल्ली।      

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