पत्र लेखकों को पत्रकार का दर्जा दें
30 मई हिन्दी पत्रकारिता दिवस है। जो व्यक्ति 10 वर्ष से पत्र लिख रहे हों उन्हें पूर्ण पत्रकार का दर्जा दे। परिचय पत्र जारी करे। उस क्षेत्र, जिले, नगर, कस्बे का संवाददाता बनाए। कुछ व्यक्ति 30-40 वर्ष से लिख रहे हैं ऐसे लोग गुमनाम दुनिया से रुखसत न हो। -रजत कुमार, 278, भूड़, बरेली (उप्र)। पोस्टल बैलेट से बेहतर होगी प्रॉक्सी वोटिंग? अप्रवासी भारतीयों के चुनाव में हिस्सा लेने के लिए अबू धाबी में रहने वाले एनआरआई शमशीर वयल्लील ने एक जनहित याचिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि इस बारे में क्या कदम उठाए जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि हम प्रॉक्सी वोटिंग और पोस्टल बैलेट का सहारा ले सकते हैं। पोस्टल बैलेट को लेकर मेरे मन में एक संशय है। इसमें जोखिम ये है कि लंदन और कुवैत में बैठकर आप किस-किस को अपना बैलेट दिखा रहे हैं या पैसे ले रहे हैं या नहीं, इन सबका पता नहीं चल पाएगा इसलिए पोस्टल बैलेट में भ्रष्टाचार हो सकता है और गोपनीयता भी नहीं रहने का खतरा है। गोपनीयता पर सवालöऐसे में मेरे ख्याल से प्रॉक्सी वोटिंग सही तरीका होगा। इसमें आप अपने परिवार के किसी सदस्य को, रिश्तेदार को या फिर जानने वाले को अपना मत देने के लिए अधिकृत कर सकते हैं। वो चुनाव के दौरान जाकर आपका वोट गोपनीयता से डाल सकता है। अभी ये तय नहीं है कि सरकार प्रॉक्सी वोटिंग का विकल्प अपनाएगी या फिर पोस्टल बैलेट का। पोस्टल बैलेट को ईमेल से किसी के पास भेजना बहुत आसान है लेकिन इसमें गोपनीयता नहीं रहेगी। भ्रष्टाचार और धमकाने की आशंका भी बनी रहेगी। भारत से बाहर पढ़े-लिखे लोगों को प्रभावित करना आसान नहीं होगा लेकिन मध्य-पूर्व के देशों में हमारे लाखों लोग मजूदरी करते हैं, उन्हें प्रभावित करना आसान होगा। इन लोगों को विभिन्न प्रलोभनों के जरिए प्रभावित किया जा सकता है। सबसे बेहतर उपायöएक विकल्प यह हो सकता है कि लोग रिमोट वोटिंग करें यानी इंटरनेट के जरिए वोट दे दें, लेकिन वहां हैकिंग की बड़ी समस्या है। यानि आपने वोट किसी को दिया और हैकर ने उसे किसी और पर ट्रांसफर कर दिया। इसका पता भी नहीं चल पाएगा। ऐसे में मेरे ख्याल से प्रॉक्सी वोटिंग सबसे सुरक्षित तरीका है और यह आसानी से लागू भी हो पाएगा। यह सबसे सुरक्षित भी है। मेरे ख्याल से सरकार को इसे ही अपनाना चाहिए। -राजन सहगल, कीर्तिनगर, दिल्ली। कैलकुलेटर को `न', ट्यूशन को `हां'? सिंगापुर में प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता ट्यूशन ले रहे हैं। खबरों के मुताबिक उन्हें बच्चे के गणित के सवालों को हल करने में पेश आ रही मुश्किलें समझने के लिए गणित सीखनी पड़ रही है। `माई पेपर' वेबसाइट ने यह जानकारी दी है। वेबसाइट ने बताया कि एक ट्यूशन सेंटर के आठ घंटे की खास गणित वर्कशाप के लिए माता-पिता 700 डॉलर खर्च कर रहे हैं। सिंगापुर में यह चलन बढ़ रहा है। यहां बच्चों को दी जाने वाली एक्स्ट्रा ट्यूशन पहले से एक फलता-फूलता कारोबार है। जिसकी कमाई अब एक अरब डॉलर से अधिक तक पहुंच चुकी है। स्कूल के ढर्रे पर माता पिता को भी उनकी योग्यता और जानकारी के आधार पर ट्यूशन क्लासेज में एबिलिटी ग्रुप में बांटा जाता है। `जीनियस यंग माइंड्स सेंटर' के प्रिंसिपल नूर हिदायह इस्माइल ने वेबसाइट को बताया है कि वर्कशॉप में आने वाले कुछ पेरेंट्स तो गणित में एकदम जीरो हैं। कुछ माता-पिता का कहना है कि ट्यूशन से वो बच्चों की पढ़ाई में आने वाली मुश्किलों को समझ पा रहे हैं। सिंगापुर में एक्स्ट्रा ट्यूशन एक फलता-फूलता कारोबार है। लेकिन जो गणित काफी पहले पीछे छोड़ चुके हैं उन्हें यह कठिन लग रहा है। -सुभाष बुड़ावन वाला, 18, शांतिनाथ कार्नर, खाचरौद।