हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ कर सकते हैं शिकायत
तमाम लोगों को सजा सुनाने वाले जजों के खिलाफ भी अब शिकायत की जा सकेगी और हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ भी अब आप शिकायत कर सकेंगे। एक हिन्दी अखबार के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना जारी करते हुए यह अधिकार दिया है। अभी तक जज के खिलाफ शिकायत नहीं की जा सकती थी। उन्हें हटाने के लिए अलग से कानून (जजेज इंक्वायरी एक्ट, 1968) है जिसकी कार्रवाई बहुत जटिल और समय लेने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कदम से लोगों का न्यायपालिका पर भरोसा बढ़ेगा। अगर आपके द्वारा की गई शिकायत में दम हुआ तो चीफ जस्टिस उसकी जांच करवाएंगे।अगर जज दोषी पाया गया तो चीफ जस्टिस उसे न्यायिक कार्य से हटाने, पद से इस्तीफा दिलाने, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए कहने और जवाबतलब करने के लिए पीएम को सूचना देने तक का दंड दे सकते हैं। -सुरेश शर्मा, लक्ष्मीनगर, दिल्ली। ये तो खून की पहली बूंद है..आगे और? शार्ली एब्दो पर हुए हमले की जगह पर निगरानी करते फ्रांसीसी पुलिस के जवान। चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने पेरिस में एक पत्रिका के दफ्तर में हुए हमले को सही ठहराया है। इस हमले में 12 लोग मारे गए हैं और कई अन्य घायल हुए हैं। इस्लामिक स्टेट के एक चरमपंथी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा है कि बुधवार को फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो पर हमला इस्लाम के अपमान के लिए लिया गया बदला है। आईएस के लिए लड़ने वाले एक सीरियाई लड़ाके अबू मुसअब ने कहा कि हमारे शेरों ने पैगंबर का बदला ले लिया है...ये हमारे शेर हैं। ये तो खून की पहली बूंद है...अभी आगे और बाकी है। मुसअब ने सीरिया से इंटरनेट के माध्यम से बात की। उन्होंने रॉयटर्स से कहा कि वो और उनके साथी हमले से बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा कि इन क्रूसेडरों को डरने दीजिए क्योंकि उन्हें डरना ही चाहिए। 12-13वीं सदीं में इस्लाम और ईसाई धर्म के लोगों के बीच हुई लड़ाइयों में शामिल लोगों को क्रूसेडर कहा जाता है। यह हमला पिछले कुछ समय में फ्रांस पर हुआ सबसे बड़ा हमला है। अभी तक किसी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। अबु मुसअब ने कहा कि वो हमलावरों को नहीं जानते लेकिन उन्होंने आगे कहा कि वो हमारे अमीर...और हमारे शेख ओसामा (बिन लादेन) की राह पर हैं। मुसअब का अमीर से आशय अबु बक्र अल-बगदादी से है। उनका संगठन सीरिया और इराक में सरकार विरोधी एक मजबूत लड़ाका संगठन है। मध्य-पूर्व और एशिया के दूसरे देशों में भी उनके अनुयायी बढ़ रहे हैं। -सुभाष बुड़ावन वाला, 18, शांतिनाथ कार्नर, खाचरौद।